उमेश पाल के हत्यारों की तलाश में उत्तर प्रदेश पुलिस ने पूरे भारत भर में नेटवर्क एक्टिव कर रखा था, लेकिन जब झांसी से खबर मिली कि असद और गुलाम भी इसी इलाके में हो सकते हैं तो एसटीएफ की पूरी टीम हाई अलर्ट पर आ चुकी थी. जब बड़ागांव और चिरगांव के बीच पारीछा डैम के आसपास दोनों एसटीएफ को दिखे तो दोनों को घेरना शुरू किया. एसटीएफ की बार बार की चेतावनी के बावजूद जब असद और गुलाम ने सरेंडर नहीं किया तो एनकाउंटर हुआ.
एनकाउंटर के बाद असद और गुलाम का पोस्टमार्टम कर लिया गया है. पोस्टमार्टम करने वाले झांसी मेडिकल कॉलेज के एमडी डॉ. नरेंद्र सेंगर ने बताया कि असद को 2 गोलियां और गुलाम को 1 गोली लगी थी, जो इनके महत्वपूर्ण अंग से निकली जिसके चलते इनकी मृत्यु हो गई, जब वे आए थे तब उनकी पीठ से काफी खून निकाल रहा था. यानी एसटीएफ की 3 कारतूस ने 49 दिन से फरार चल रहे असद और गुलाम को ढेर कर दिया.
'पीठ से निकल रहा था खून'
डॉ. नरेंद्र सेंगर ने कहा कि असद और गुलाम को 1 बजकर 10 मिनट पर लाया गया था, पीठ से खून निकल रहा था, देखने में ऐसा लग रहा था कि गुलाम को 1 गोली लगी थी और असद को 2 गोली लगी थी, जैसे ही दोनों को लाया गया हमने उनका तुरंत ट्रीटमेंट चालू किया, CPR किया, फ्लूड लगाए और 15 से 20 मिनट में डेथ डेक्लियर कर दिया.
डॉ. नरेंद्र सेंगर ने कहा कि जहां बुलेट इंजरी थी वहां से ब्लड आ रहा था, देखने में फ्रेश ब्लड था, ब्लड क्लॉट नहीं हुआ था, जिससे पता चलता है कि एनकाउंटर कुछ देर पहले ही हुआ है, ताजा एनकाउंटर है और पुलिस इलाज करवाने ले आई थी, दोनों को जब लाया गया था तो पहले ही उनकी मौत हो चुकी थी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आनी अभी बाकी है.
असद और गुलाम के एनकाउंटर की पूरी कहानी
इससे पहले एसटीएफ ने अपनी एफआईआर में बताया था कि उनकी तरफ से 9 राउंड फायरिंग की गई थी. यह तो बात हो गई फायरिंग की. आइए अब जानते हैं कि यह एनकाउंटर हुआ कैसे? दरअसल, झांसी के बड़ागांव थाना इलाके में एसटीएफ दो खूंखार अपराधियों का पीछा कर रही थी और झांसी के बड़ा गांव थाने की पुलिस को इसकी भनक भी नहीं थी.
उधर थाने से 7 किलोमीटर दूर कच्चे रास्ते पर दो अपराधी घिर चुके थे. चंद मिनटों के अंदर दोनों अपराधी कच्ची सड़क से नीचे फिसलकर गिर चुके थे और दोनों तरफ से फायरिंग चालू हो चुकी थी. टीम को फ्रंट से लीड कर रहे डीएसपी नवेंदु कुमार ने अपनी पिस्टल से 2 राउंड फायर किया. सामने से असद और अतीक को घेर चुके डीएसपी विमल ने अपनी पिस्टल से एक गोली चलाई.
तब तक इंस्पेक्टर अनिल सिंह, ज्ञानेंद्र राय, हेड कांस्टेबल पंकज तिवारी, सुशील कुमार, सुनील कुमार, भूपेंद्र सिंह सबने अपनी अपनी पिस्टल से 1-1 गोली चलाई. हालांकि एसटीएफ के पास किसी भी तरह की मुठभेड़ से निपटने के लिए पर्याप्त हथियार थे. एसटीएफ के जवान अत्याधुनिक घातक असलहों से लैस थे, लेकिन इस एनकाउंटर में असद और गुलाम को ढेर करने के लिए दिलेर जवानों की पिस्टल ही काफी थी.
चंद मिनटों के अंदर जब अपराधियों की ओर से फायरिंग बंद हो गई तब एसटीएफ टीम उन दोनों तक पहुंची. उसके बाद के हालात के बारे में FIR में लिखा गया है कि सावधानीपूर्वक नज़दीक जाकर देखा गया तो दोनों ही बदमाश घायल पड़े कराह रहे थे, जिनकी पहचान असद और मुहम्मद गुलाम के रूप में कर ली गई. दोनों घायल अभियुक्तों में जीवन के लक्षण दिखाई दे रहे थे.
एसटीएफ टीम की ओर से दर्ज एफआईआर के मुताबिक मुठभेड़ में पुलिस की गोली लगने के बाद असद और गुलाम दोनों जिंदा थे और पुलिस ने उनकी जान बचाने की कोशिश भी की. एसटीएफ के मुताबिक, मुठभेड़ के फौरन बाद दोपहर 12 बजकर 52 मिनट पर सबसे पहले पुलिस कंट्रोल रूम में 112 नंबर पर कॉल की गई और उसके बाद 12 बजकर 55 मिनट पर एम्बुलेंस के लिए 108 नंबर पर कॉल की गई. कुछ मिनटों के अंदर मौके पर एम्बुलेंस पहुंच भी गई.
इसके बाद असद और गुलाम को अलग-अलग दो एम्बुलेंस में लेकर फौरन जान बचाने के लिए अस्पताल रवाना किया गया. अस्पताल पहुंचने पर पता चला कि असद और गुलाम दोनों दम तोड़ चुके थे. असद के सीने में और गले पर 2 गोलियां लगी थीं. गुलाम की मौत भी एक गोली लगने से हुई थी. घटनास्थल पर तफ्तीश के दौरान पुलिस ने जो साजोसामान बरामद किये हैं, उनमें पी-88 वाल्थर नाम की विदेशी पिस्टल, द ब्रिटिश बुलडाग .455 बोर की एक विदेशी रिवॉल्वर थे.
इसके अलावा .32 बोर की एक देसी पिस्टल, 7.65 MM कारतूसों से भरी 5 मैगजीन, पिस्टल की नाल में लगे 7.65 MM के 2 कारतूस, 7.65 MM कारतूस के 5 खोखे, 7.65 MM के 10 जिंदा कारतूस, 09 MM का एक जिंदा कारतूस, काले-लाल रंग की बिना नंबर की डिस्कवर बाइक, एक काले रंग की टोपी. घटनास्थल से बरामद की गई थी, जिसके बाद सारी चीजों का पंचनामा करा कर एसटीएफ ने उसे झांसी पुलिस के सुपुर्द कर दिया.