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'अतीक अहमद ने सबसे ज्यादा हत्याएं मुसलमानों की करवाई...', पूर्व DGP और BJP सांसद बृजलाल का खुलासा, गिनाए नाम

पूर्व DGP बृजलाल ने अतीक अहमद से जुड़ा किस्सा सुनाते हुए बताया कि अतीक ने हत्या करने की शुरुआत सबसे पहले मुसलमान शख्स को मार कर ही की थी. 14 मार्च 1984 को सभासद अशफाक अन्नू की हत्या की गई थी. यह अतीक पर पहला मर्डर केस था.

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माफिया अतीक अहमद
माफिया अतीक अहमद

लोकसभा चुनाव के बीच यूपी के पूर्व डीजीपी और बीजेपी सांसद बृजलाल ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा है. बृजलाल ने समाजवादी पार्टी पर माफिया अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी के नाम पर वोट मांगने का आरोप लगाते हुए इसे निचले स्तर की राजनीति बताया है.  उन्होंने कहा कि अतीक और मुख्तार ने सबसे ज्यादा हत्याएं मुसलमानों की ही की थी. अतीक अहमद ने तो क्राइम की शुरुआत ही मुसलमान को मार कर की थी. 

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पूर्व आईपीएस बृजलाल ने अतीक अहमद से जुड़ा किस्सा सुनाते हुए सपा को घेरा और बताया कि पार्टी को मालूम होना चाहिए कि अतीक ने हत्या करने की शुरुआत सबसे पहले मुसलमान को मार कर की थी. वह दिन था 14 मार्च 1984, जब सभासद अशफाक अन्नू की हत्या की गई थी. 

बकौल बृजलाल- अशफाक ने ईद के दिन अपने घर का गृह प्रवेश रखा था और उसी दिन वह सफेद कुर्ता पायजामा पहनकर मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए जा रहा था, तभी मस्जिद की गेट पर ही उसको मार दिया गया. हत्या करके उसके शव को असरावल में बहा दिया गया. 

BJP सांसद बृजलाल ने और क्या बताया? 

बृजलाल बताते हैं कि अतीक ने जब विधायक का पर्चा भरा तो इसी दौरान 1989 में चांद बाबा नामक सभासद ने भी उसके खिलाफ पर्चा भर दिया. जब उसने पर्चा वापस नहीं लिया तो अतीक ने उसे मार डाला. वहीं चांद बाबा का जो साथी था जिसका नाम जग्गा था वो डर कर मुंबई भाग गया था. लेकिन उसको अतीक ने धोखे से अपने पास बुलाया और अपने टॉर्चर चैंबर में ले जाकर घोड़े के चाबुक से मारकर उसकी चमड़ी उधेड़ दी थी. फिर गोली मारकर उसकी भी लाश असरावल में फेंक दी थी. 

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इतना ही नहीं छम्मन भी अतीक के डर से मुंबई भाग गया था. उसको भी अतीक ने 1425 किलोमीटर दूर से बुलवाया जबकि अतीक चाहता तो उसे वहीं मारकर फेंकवा सकता था मगर अतीक ने ऐसा नहीं किया. क्योंकि वह उसको बुलाकर अपने इलाके के लोगों को अपना आतंक दिखाना चाहता था. इसके बाद मुकीम मुकबा नाम के शख्स की हत्या की गई. 

पूर्व डीजीपी ने खुलासा करते हुए बताया कि इसके अलावा जो अशरफ था जोकि बीजेपी से था जिसका घर अतीक के घर के सामने था. उसे अतीक द्वारा टेलीस्कोपिक राइफल से मरवा दिया गया. बीजेपी के अब्दुल कारी को भी अतीक ने मरवाया था. अतीक की हत्याओं का कारवां यहीं नहीं रुका. उसने नवाबगंज के अख़्तर को इलाहाबाद कचहरी में 4 अप्रैल 1995 को दिन दहाड़े मरवा दिया था. जबकि, वह खुद डीएम के घर में बैठा था ताकि वह नामजद न हो. इतना ही नहीं जमील को भी अतीक ने ही मरवाया था.  

बृजलाल ने कहा कि चुनावों में अतीक और मुख्तार का नाम लेने वाले लोगों को इन सबकी जानकारी होनी चाहिए. ऐसे अपराधियों के नाम पर वोट नहीं मांगना चाहिए. इससे उनकी मानसिकता जाहिर होती है. 

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