गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद की हत्या को एक साल से ज्यादा वक्त हो चुका है. अब अतीक की 50 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति राज्य सरकार को हस्तांतरित कर दी गई है. यह प्रॉपर्टी आपराधिक गतिविधियों से अर्जित धन से अर्जित की गई थी. जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) गुलाब चंद्र अग्रहरि ने बताया कि अतीक अहमद ने अपराध की कमाई से 2.377 हेक्टेयर जमीन राजमिस्त्री हुबलाल के नाम खरीदी थी. जमीन हूबलाल के नाम दर्ज कराते समय अतीक ने कहा था कि जरूरत पड़ने पर वह जमीन अपने नाम दर्ज करा लेंगे.
एजेंसी के मुताबिक अग्रहरि ने बताया कि इस प्रॉपर्टी को पुलिस कमिश्नर कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट की धारा 14 (1) के तहत कुर्क किया था और जवाब दाखिल करने के लिए तीन महीने का समय दिया था, लेकिन संबंधित पक्ष की ओर से जमीन के स्वामित्व के सबूत के तौर पर कोई साक्ष्य पेश नहीं किया गया. उन्होंने बताया कि इसके बाद पुलिस कमिश्नर कोर्ट ने इस मामले की फाइल गैंगस्टर कोर्ट प्रयागराज को भेज दी. मंगलवार को न्यायाधीश विनोद कुमार चौरसिया ने पुलिस कमिश्नर की कार्रवाई को निष्पक्ष और न्यायसंगत करार देते हुए अर्जित संपत्ति को सरकार के पक्ष में कर दिया.
पुलिस के मुताबिक अतीक अहमद के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज मुकदमे की जांच के दौरान पता चला कि एयरपोर्ट थाना क्षेत्र में हुबलाल के नाम से उसकी संपत्ति है. पूछताछ में हुबलाल ने बताया कि अतीक ने 2015 में उसे धमकाकर यह जमीन अपने नाम करा ली थी. पुलिस ने नवंबर 2023 में इस जमीन को कुर्क कर लिया था.
कब हुई थी अतीक अहमद की हत्या?
अतीक अहमद की हत्या बीते साल 15 अप्रैल को हुई थी. उमेश पाल की हत्या के मामले में पुलिस ने बीते साल अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को रिमांड पर लिया था. प्रयागराज में 15 अप्रैल की रात करीब 10 बजे पुलिस अतीक और उसके भाई को जब मेडिकल जांच के लिए अस्पताल लेकर जा रही थी उसी वक्त पत्रकार बनकर आए तीन हमलावरों अरुण मौर्या, सनी और लवलेश तिवारी ने दोनों भाइयों को गोलियों से छलनी कर दिया.