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72 घंटे में 2500 किमी, पुलिस का पहरा और वज्र वाहन में बाहुबली की यात्रा... पेशी से सजा और फिर जेल वापसी तक अतीक की कहानी

माफिया ने राजनेता बने अतीक अहमद को उमेश पाल अपहरण केस में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. उसे इस मामले में कोर्ट में पेश करने के लिए यूपी पुलिस साबरमती जेल से प्रयागराज लाई थी. वह करीब 1250 किमी. का सफर तय कर 24 घंटे में यूपी पहुंचा था. सजा मिलते ही उसे सड़क मार्ग से वापस गुजरात ले जाया जा रहा है. 

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अतीक अहमद ने 28 फरवरी 2006 को कर लिया था उमेश पाल का अपहरण (फाइल फोटो)
अतीक अहमद ने 28 फरवरी 2006 को कर लिया था उमेश पाल का अपहरण (फाइल फोटो)

अतीक अहमद, जिसने डर का व्यापार किया. मामूली बदमाश से माफिया डॉन बन गया. जिसने असलहों के दम पर ताकत कमाई और फिर इसी के बूते काली कमाई ढेर लगा दिया. उसके काफिले में बेहिसाब गाड़ियां होती थीं, हर समय असलहाधारी बदमाशों ने घिरा रहता था. पुलिस के हाथ उस तक पहुंच पाते उससे पहले ही राजनीति में एंट्री कर ली. माफिया से माननीय बन गया. पुलिस पर भी काबू पा लिया यानी न कोई FIR न कोई सजा. 

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हत्या, अपहरण, फिर हत्या.... अतीक अहमद, राजू पाल और उमेश पाल की कहानी

अतीक अहमद का अब राजनीति कद और माफियाराज दोनों ही बढ़ने लगे. इसकी शह पर खुलेआम हत्या, अपहरण, फिरौती जैसे जघन्य अपराध होने लगे. पीड़ितों की तादाद बढ़ने लगी लेकिन अतीक का आतंक इतना था कि न्याय की उम्मीद लगाना बेमानी जैसा ही हो गया. इसका अंजादा इस बात से लगा सकते हैं कि उस पर 1979 से अब तक 100 से अधिक मामले दर्ज हैं, अलग-अलग कोर्ट में 50 मामले विचाराधीन हैं, इन 44 सालों में यूपी के 19 सीएम बदल गए लेकिन उसे किसी मामले में दोषी नहीं ठहराया जा सका था. 

अतीक अहमद को किसी मामले में पहली बार मिली सजा

ऐसे खत्म हो गया अतीक का आतंक

जब यह लगने लगा कि अतीक अहमद पर हाथ रख पाना मुश्किल है, उसी पल से अतीक की उलटी गिनती शुरू हो गई. उसने 2006 उमेश पाल का अपहरण कर लिया. उमेश ने अतीक को चुनौती दे दी और कानूनी लड़ाई लड़ी. अतीक को जब लगने लगा कि वह एक मामूली आदमी से हार जाएगा तो उसने इसी साल 24 फरवरी को उसकी हत्या करवा दी लेकिन मौत के बाद उमेश पाल की लड़ाई बेकार नहीं गई. उसने अतीक का 44 साल का आतंक खत्म कर दिया. 28 मार्च को प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ने अतीक अहमद को उमेश पाल के अपहरण केस में दोषी ठहराया दिया. इतना ही नहीं उसे उम्रकैद की सजा सुना दी. पहली बार अतीक अहमद को किसी मामले में सजा सुनाई गई है. जिसके नाम से लोग कांपते थे आज वहीं अतीक अहमद डरा हुआ है.  

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27 मार्च को नैनी जेल शिफ्ट किया गया था अतीक

गुजरात के साबरमती जेल में बंद अतीक अहमद की बखत अब किसी मामूली कैदी जैसी ही रह गई है. एमपी-एमएलए कोर्ट में पेश होने के लिए 27 मार्च को प्रयागराज की नैनी जेल में शिफ्ट किया गया था. उसे साबरमती से प्रयागराज सड़क मार्ग से लाया गया. यूपी पुलिस के व्रज वाहन से अतीक को नैनी जेल लाया गया. इस बार अतीक के काफिले में पुलिस के कुल 6 वाहन, दो वज्र वाहन और एक एंबुलेंस थी. इसके अलावा 45 हथियारबंद पुलिसकर्मी उसके काफिले के साथ चल रहे थे. 24 घंटे में करीब 1250 किमी. का सफर तय कर अतीक नैनी जेल पहुंचा. यहां उसे हाई सिक्योरिटी बैरक में आइसोलेशन में रखा गया. जेल कर्मी को उनके रिकॉर्ड के आधार पर चयनित करके ड्यूटी पर लगाया है. जेल में ड्यूटी पर लगाए गए पुलिसकर्मी बॉडी वॉर्न कैमरा से लैस किया गए. प्रयागराज जेल कार्यालय और जेल मुख्यालय पर वीडियो कॉल के जरिए निगरानी में रखा गया. 

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अपहरण मामले में उम्रकैद की सजा

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अगले दिन यानी 28 मार्च को उसे कोर्ट के सामने पेश किया गया. कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुना दी. यूपी पुलिस ने उमेश पाल हत्याकांड में अतीक अहमद की पुलिस रिमांड मांगी लेकिन कोर्ट का कोई आदेश नहीं आया तो उसी दिन पुलिस उसे लेकर साबरमती जेल के लिए रवाना हो गई. अतीक को फिर सड़क के रास्ते साबरमती जेल ले जाया जा रहा है. वह फिर से करीब 1250 किमी. का सफर कर तय साबरमती पहुंचेगा यानी 72 घंटे में उसे 2500 किमी. तक भगाया जा रहा है. फिलहाल अतीक अहमद को लेकर यूपी पुलिस का काफिला राजस्थान से गुजर रहा है. उम्मीद है कि वह आज शाम तक साबरमती जेल पहुंच जाएगा.

क्या है उमेश पाल के अपहरण का पूरा मामला

2004 में अतीक अहमद फूलपुर लोकसभा सीट से सपा सांसद था. इससे पहले वह इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से विधायक था, लेकिन सांसद बनने के बाद वह सीट रिक्त हो गई थी. उपचुनाव का ऐलान हुआ और अतीक अहमद का छोटा भाई अशरफ मैदान में उतरा. बसपा से राजू पाल अशरफ के खिलाफ चुनाव में खड़े हो गए. अशरफ चुनाव हार गया, जिसके बाद 25 जनवरी 2005 को राजूपाल की गोलियों ने भूनकर हत्या कर दी गई. हत्या के केस में अतीक अहमद, अशरफ समेत 5 लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया. राजू पाल का रिश्तेदार उमेश पाल मुख्य गवाह बना. अतीक ने उमेश को डराने के लिए 28 फरवरी 2006 को अपहरण कर लिया था.

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एक साल बाद उमेश ने 5 जुलाई 2007 को एफआईआर दर्ज कराई. आरोप लगाया था कि जब उसने अतीक अहमद के दबाव में गवाही से पीछे हटने से इनकार कर दिया तो बंदूक की दम पर उसका अपहरण कर लिया गया. इसके बाद उमेश को कई बार धमकी मिली लेकिन उन्होंने केस वापस नहीं लिया. कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली. इस बीच प्रयागराज में इस साल 24 फरवरी को दिनदहाड़े उमेश पाल की हत्या कर दी गई. 

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