अतुल सुभाष आत्महत्या मामले में नामजद आरोपी सुशील सिंघानिया को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गिरफ्तारी से राहत देते हुए अग्रिम जमानत दे दी है. जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की सिंगल बेंच ने उनकी बढ़ती उम्र और बीमारियों को देखते हुए हाई कोर्ट ने चार सप्ताह की अग्रिम जमानत की मंजूर दी. चार सप्ताह के अंदर सुशील सिंघानिया को कर्नाटक के बेंगलुरु में दर्ज केस में सक्षम कोर्ट से राहत लेनी होगी.
अतुल सुभाष की आत्महत्या के मामले में उनके भाई विकास कुमार की ओर से दायर एफआईआर में मृतक की पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, साले अनुराग सिंघानिया के साथ चचेरे ससुर सुशील सिंघानिया को भी नामजद आरोपी बनाया गया है. बेंगलुरु पुलिस निकिता, निशा और अनुराग सिंघानिया को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. बेंगलुरु पुलिस को इस मामले में सुशील सिंघानिया की तलाश थी.
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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत देते हुए शर्त रखी कि सुशील सिंघानिया बिना अदालत को सूचित किए देश छोड़कर नहीं जाएंगे और उन्हें अपना पासपोर्ट जौनपुर पुलिस अधीक्षक के पास जमा करना होगा. साथ ही 50-50 हजार के दो पर्सनल बांड और दो जमानतदरों के साथ इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुशल सिंघानिया को गिरफ्तारी से राहत दी.
VIDEO | Bengaluru techie death case: "Through media, I got to know that my name is also registered in the FIR. However, I am not associated with this case. This case has been going on from the past three years, but I haven't met them since then," says Sushil Singhania, uncle of… pic.twitter.com/fhbnMGeDr9
— Press Trust of India (@PTI_News) December 11, 2024
इससे पहले अतुल सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया के चाचा सुशील सिंघानिया ने एक वीडियो मैसेज जारी करके कहा था कि मीडिया के माध्यम से मुझे पता चला कि मेरा नाम भी एफआईआर में दर्ज है. हालांकि, मैं इस मामले से जुड़ा नहीं हूं. यह मामला पिछले तीन साल से चल रहा है और तब से मेरी कोई मुलाकात इन लोगों से नहीं हुई.
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बेंगलुरु पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, निकिता सिंघानिया को हरियाणा के गुरुग्राम में गिरफ्तार किया गया था, जबकि उनकी मां, निशा सिंघानिया और भाई अनुराग सिंघानिया को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गिरफ्तार किया गया था. इन सभी पर अतुल सुभाष को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है. उन्हें 14 दिसंबर को हिरासत में लिया गया, बेंगलुरु लाया गया और स्थानीय अदालत में पेश करने के बाद 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
इलाहाबाद हाई कोर्ट में, वरिष्ठ वकील मनीष तिवारी ने तर्क दिया कि निकिता, निशा और अनुराग को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका था, अग्रिम जमानत याचिका केवल सुशील सिंघानिया की ओर से दायर की गई है. वकील की ओर से यह तर्क दिया गया कि उपरोक्त गिरफ्तारियां एक सुसाइड नोट और एक वीडियो पर आधारित थीं जो ऑनलाइन सर्कुलेट हुआ था. वकील मनीष तिवारी ने कहा कि 69 साल के सुशील सिंघानिया पुरानी चिकित्सीय समस्याओं से पीड़ित हैं, अक्षम हैं और किसी को आत्महत्या के लिए उकसा नहीं सकते.
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वकील ने आगे तर्क दिया कि उत्पीड़न और उकसावे के बीच अंतर है. उन्होंने कहा कि अगर अदालत अतुल सुभाष के सुसाइड नोट का संज्ञान भी ले, तो भी आरोप उकसाने के बजाय उत्पीड़न के बनते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि बीएनएस की धारा 108, 3(5) मामले पर लागू नहीं हो सकती है. दलीलें सुनने के बाद जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव ने फैसला सुनाया कि बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद अदालत की राय है कि आवेदक सुशील सिंघानिया अग्रिम जमानत प्राप्त करने का हकदार हैं.