वाराणसी के औरंगाबाद मोहल्ले का नाम बदलने की मांग को लेकर विवाद तेज हो गया है. हिंदूवादी संगठनों ने इसका नाम बदलकर लक्ष्मी नगर या नारायणी धाम करने की मांग की थी. इस पर वाराणसी नगर निगम की कार्यकारिणी में चर्चा हुई, लेकिन फिलहाल इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है.
नगर निगम के उपसभापति नरसिंह दास ने स्पष्ट किया कि पार्षदों की ओर से इस विषय पर कोई प्रस्ताव नहीं आया और महापौर की भी ऐसी कोई मंशा नहीं है कि मोहल्ले का नाम बदला जाए. इसलिए कार्यकारिणी में इस मांग को खारिज कर दिया गया.
नाम बदलने से स्थानीय लोग चिंतित
औरंगाबाद मोहल्ले के लोगों को नाम बदलने से कोई विशेष आपत्ति नहीं है, लेकिन वे इसके बाद होने वाली दस्तावेजी दिक्कतों को लेकर चिंतित हैं. पहचान पत्र, आधार कार्ड, बैंकिंग दस्तावेजों समेत कई सरकारी कागजों में नाम बदलने की वजह से उन्हें परेशानी हो सकती है. अमित गुप्ता, अर्जुन यादव और अनिल पांडेय जैसे स्थानीय निवासियों ने बताया कि नाम बदलने के बाद उन्हें नए दस्तावेज बनवाने होंगे, जिससे समय और पैसे की बर्बादी होगी. इसलिए वे इस प्रक्रिया को लेकर आशंकित हैं.
50 से ज्यादा मोहल्लों के नाम बदलने की मांग
सनातन रक्षक दल नामक संस्था ने काशी के 50 से अधिक मोहल्लों के नाम बदलने की मांग की है. संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा ने कहा कि ऐसे नामों की वजह से तीर्थ स्थलों की पहचान खत्म हो रही है और व्यक्ति विशेष के नाम को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसलिए वो नामों को बदलकर तीर्थों के मूल नाम बहाल करने के लिए अभियान चला रहे हैं.
हालांकि, नगर निगम ने फिलहाल यह प्रस्ताव खारिज कर दिया है, लेकिन हिंदूवादी संगठन अपने अभियान को जारी रखने की बात कह रहे हैं. ऐसे में देखना होगा कि यह मामला आगे कैसे बढ़ता है और प्रशासन इस पर क्या रुख अपनाता हैं.