अयोध्या विवाद की तर्ज पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सोमवार से मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद का भी ट्रायल शुरु हो गया. पहले दिन हिंदू पक्षकारों ने वाद बिंदु के लिए अपने प्रस्ताव अदालत को दिए. अब तक हिंदू पक्षकारों की ओर से 17 प्रमुख बिंदु कोर्ट को वाद बिंदु तय करने के लिए दिए गए हैं. जिसके आधार पर अदालत अब लंबित वादों की सुनवाई आगे बढ़ायेगा. जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच में दोपहर 2:00 बजे से 2.45 बजे तक करीब 45 मिनट तक सुनवाई हुई.
हालांकि, सुनवाई में शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी की ओर से आपत्ति दाखिल कर केस की सुनवाई टालने का अनुरोध किया गया. शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड ने कोर्ट को दलील दी कि मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है. मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक मुकदमों का ट्रायल ना किए जाने की भी अपील की. हालांकि हिंदू पक्ष की तरफ से अदालत में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल पर रोक नहीं लगाई है. इसलिए मुकदमों का ट्रायल चलते रहना चाहिए. हिंदू पक्षकारों का कहना है कि उन्होंने जो वाद बिंदु अदालत में दिए हैं वह सभी एविडेंशियल और तथ्यात्मक हैं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान वाद नंबर सात के वादी कौशल किशोर ठाकुर की ओर से सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रीना एन सिंह पेश हुईं. उन्होंने अदालत में 17 बिंदुओं को लेकर वाद बिंदु पेश किया है. अब कोर्ट इन्हीं वाद बिंदुओं के आधार पर मुकदमे का ट्रायल चलाएगा.
अधिवक्ता रीना एन सिंह ने कहा कि विवादित संपत्ति एएसआई के संरक्षण में है. देश के आजाद होने के पहले 1920 में यह एएसआई के संरक्षण में आ गई थी. उन्होंने कहा है कि मंदिर का गर्भ गृह भी एएसआई की संपत्ति है. ऐसे क्या उसे कोई प्राइवेट व्यक्ति खरीद या बेच सकता है. उन्होंने वाद बिंदु में 1968 के समझौते को भी चुनौती दी है.
शाही ईदगाह कमेटी और वक्फ बोर्ड के दावे को लेकर कहा गया कि यह सब जानते हैं कि इस्लाम का जन्म कब हुआ. अधिवक्ता रीना एन सिंह का कहना है कि हिंदुओं के पक्ष में तमाम साक्ष्य और सबूत मौजूद हैं. उनका कहना है मुकदमे का ट्रायल शुरू हो गया है. अब कोर्ट में समय समय पर केस से जुड़े सभी तथ्य पेश किए जाएंगे. अधिवक्ता रीना एन सिंह ने उम्मीद जताई है कि उन्हें पूरा विश्वास है कि हिंदुओं के पक्ष में ही फैसला आएगा.