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8 घंटे की ड्यूटी, 12 हजार तनख्वाह और राम में अनंत आस्था... अयोध्या में 30 साल से जारी है पत्थरों की नक्काशी

अयोध्या में इस वक्त 22 जनवरी को होने वाले भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां चल रही हैं. इस सबके बीच अयोध्या के कारसेवकपुरम में पिछले 30 साल से चल रही वर्कशॉप भी चर्चा में है, जहां मंदिर निर्माण में लगाए जा रहे पत्थरों को तराशा जा रहा है.

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कारसेवकपुरम में राम मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों को तराशती महिलाएं
कारसेवकपुरम में राम मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों को तराशती महिलाएं

सुप्रीम कोर्ट के 2019 में दिए ऐतिहासिक फैसले के बाद अयोध्या पूरी तरह बदल चुकी है, लेकिन ‘कारसेवकपुरम’अब भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. अयोध्या की मूल निवासी आरती इस पवित्र शहर में 30 से अधिक वर्ष से कारसेवकपुरम में संचालित एक कार्यशाला में अलंकृत नक्काशीदार पत्थरों को तराशने और पॉलिश करने के काम में जुटी हुईं हैं.

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आरती ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए बताया कि मंदिर के लिए पत्थरों को तराशने का काम कारसेवकपुरम में पिछले 30 साल से लगातार जारी है. यहां से पत्थरों को तराशने के बाद मंदिर निर्माण स्थल पर भेजे जाते हैं. हमें अच्छा लगता है कि हम मंदिर निर्माण में योगदान दे रहे हैं.

ओवर टाइम भी करती हैं महिला श्रमिक

अयोध्या में राम जन्मभूमि न्यास द्वारा कारसेवकपुरम में संचालित वर्कशॉप में हर दिन सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक काम होता है और यहां काम करने वाले कामगार अपनी मर्जी से 10 मिनट ओवर टाइम भी करते हैं. इस काम के लिए उन्हें वेतन के रूप में 12 हजार रुपये प्रतिमाह मिलते हैं.

महिला ने बताया कि वह लोहे के एक ब्लेड से सुंदर नक्काशीदार पत्थर की सतह को इंच-दर-इंच साफ करती हैं. कभी-कभी हमारी कलाई में दर्द जाता तो काम से ब्रेक लेना पड़ता  है. उन्होंने यह भी बताया कि मंदिर दर्शन करने आने वाले ज्यादातर श्रद्धालु कारसेवकपुरम भी आते हैं और हमारे काम की तारीफ करते हैं. इस कार्यशाला में ट्रस्ट द्वारा तैयार कराए जा रहे मंदिर की लड़की की छवि पर एक बड़ी डिजिटल तस्वीर भी है.

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राजस्थान के हैं कारीगर

कार्यशाला के प्रभारी ऑक्टोजेरियन अन्नू भाई सोमपुरा ने रविवार को पीटीआई को बताया कि इन नक्काशीदार पत्थरों के कई ब्लॉकों को 'पॉलिश करने के बाद निर्माण स्थल पर भेज दिया गया है. हाल ही मंदिर परिसर में छत पर लगने वाले विशाल पत्थर को निर्माण स्थल पर भेजा गया है, जिसमें फूलों की आकृति बनी हुई है. वर्कशॉप अभी भी देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में आने वाले लोगों का ध्यान आकर्षित करती है.

उन्होंने बताया कि पत्थरों पर पॉलिश करने वाली ज्यादातर महिलाएं अयोध्या से ही हैं, जबकि पॉलिश और पत्थरों को तराशने वाले कारीगर राजस्थान के रहने वाले हैं. सभी कारीगर सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक काम करते हैं और केवल अमावस्या के दिन छुट्टी करते हैं.

मंदिर के लिए पत्थर को तराशते कारीगर
राम मंदिर के लिए पत्थर तराशते कारीगर

बढ़ गया है मंदिर का आकार

एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, राम जन्मभूमि न्यास द्वारा पहले से प्रस्तावित मंदिर से मंदिर के आकार को बढ़ा दिया है. इन सभी पत्थरों को मंदिर के आस-पास बनने वाले 70 एकड़ परिसर में किया जाएगा.

राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने 26 दिसंबर को मीडिया को बताया कि पारंपरिक नागर शैली में निर्मित मंदिर परिसर 380 फीट लंबा (पूर्व-पश्चिम दिशा), 250 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा होगा. उन्होंने बताया कि मंदिर की प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची होगी और इसमें कुल 392 स्तंभ और 44 द्वार होंगे.

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विशाल घंटा है लोगों के आकर्षण का केंद्र

साइट पर मौजूद एक ट्रस्ट के अधिकारी ने वर्कशॉप में रखे एक विशाल घंटे के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इस पर काफी मोटे लाल अक्षरों में जय श्री राम लिखा हुआ है. यह घंटा मंदिर को दान में दिया गया है और इसको तमिलनाडु से अयोध्या लाया गया था. इस घंटे का वजन 6.13 क्विंटल है. यह साढ़े चार फीट ऊंचा और 3.5 फीट चौड़ा है.

आपको बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा.   

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