अयोध्या में हनुमानगढ़ी के एक 95 वर्षीय महंत की जमीन पर भू-माफिया द्वारा कब्जा करने का मामला सामने आया है. जानकारी के मुताबिक महंत जुगल बिहारी दास की बरहटा माइन में साढ़े चार बिगहा जमीन थी लेकिन गौरीशंकर ने उन्हें मृत बताकर वह करोड़ों की जमीन हड़प ली. महंत ने बताया कि आरोपी ने उन्हें उनकी जमीन से भगा दिया, पिस्तौल दिखाकर डराने की कोशिश की थी. उन्होंने मीडिया के जरिए सीएम योगी आदित्यनाथ से भी न्याय की गुहार लगाई है. अब वह पिछले 10 साल से खुद को जीवित साबित कर अपनी जमीन वापस लेने के लिए कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने पिछले महीने ही जनता दर्शन के दौरान जमीन से जुड़ी शिकायतों पर कहा था कि अगर कोई दबंग या माफिया किसी की जमीन कब्जा कर रहा हो तो उसके खिलाफ कठोर कानूनी कार्यवाही की जाए. श्रीराम मंदिर के कारण अयोध्या में जमीनों के रेट काफी बढ़ गए हैं.
40 भूमाफिया की लिस्ट पर रही थी चर्चा में
पिछले साल अयोध्या विकास प्राधिकरण द्वारा कथित रूप से 40 अवैध प्लाटिंग करने वालों की सूची जारी की गई थी. इस सूची में अयोध्या के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय, नगर विधायक वेद प्रकाश गुप्ता और पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा समेत कई अन्य के नाम शामिल थे. हालांकि इस पर विवाद बढ़ने के बाद अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और नगर आयुक्त विशाल सिंह ने प्राधिकरण की सूची को फर्जी बताया था. साथ ही उन्होंने इस मामले में जांच के आदेश भी दे दिए थे.
लल्लू सिंह ने योगी को लिखा था लेटर
अयोध्या से बीजेपी सांसद लल्लू सिंह ने पिछले साल अधिकारियों और भू-माफियाओं के बीच गठजोड़ को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर एसआईटी बनाकर जांच करने की भी मांग की थी.
उन्होंने लिखा था कि अयोध्या में भू माफियाओं का ऐसा दबदबा है कि पूर्व में संबंधित तात्कालिक अधिकारियों कर्मचारियों के साथ मिलकर नजूल और डूब-क्षेत्र (दरिया बुर्ज) की जमीनों में कागज में लिख कर के लोगों को गुमराह कर जमीनों की एन केन प्रकरेण उनके नाम कर दिया गया, जिसमें रोजी-रोटी कमाने वाले जो व्यक्ति शहरों में रहना चाहते हैं, ऐसे लोगों के साथ उक्त जमीन को बेचकर करोड़ों अरबों रुपयों की हेराफेरी की गई है. जमथरा घाट से गोलाघाट तक की जमीनों पर भूमाफिया का व्यापार फल फूल रहा है.
उन्होंने लिखा था कि तीन दशकों से उत्तर प्रदेश शासन द्वारा नजूल का किसी भी प्रकार का पट्टा नहीं किया जा रहा है, और न ही किए गए पट्टे का रिन्यूअल हो रहा है. डूब क्षेत्र जमीनों पर किसी प्रकार का फ्रीहोल्ड भी नहीं हो रहा है फिर भी उपरोक्त जमीन का किन परिस्थितियों में भू माफियाओं द्वारा डूब क्षेत्र में नजूल की भूमि का विक्रय किया गया जिस पर स्थाई व अस्थायी लोगों के द्वारा निर्माण कराया जा रहा है.