अयोध्या में हर साल सांप्रदायिक सौहार्द की एक उल्लेखनीय मिसाल देखने को मिलती है, जहां मुस्लिम समुदाय के लोग छह दशक से पारंपरिक हिंदू उत्सव रामलीला में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं. मुमताज नगर के मुख्य रूप से मुस्लिम बहुल इलाके में 1963 से रामलीला रामायण समिति के बैनर तले राम लीला का आयोजन किया जा रहा है.
दस दिन की रामलीला
समिति की स्थापना विशेष रूप से सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए की गई थी. दस दिवसीय रामलीला में मुस्लिम कलाकार रामायण महाकाव्य के विभिन्न पात्रों को प्रदर्शित करते हैं. रामलीला समिति के अध्यक्ष डॉ. माजिद अली के दिवंगत पिता डॉ. वाजिद अली ने इसकी स्थापना की थी. अली ने कहा, 'मुस्लिम बहुल गांव में हिंदू त्योहारों के दौरान उत्सव सुनिश्चित करने के लिए 1965 में यह पहल शुरू की गई थी.'
एक स्थानीय मौलवी लियाकत अली ने कहा, 'रामलीला सामुदायिक सहिष्णुता और भाईचारे में विश्वास की एक मिसाल है.' सब्जी बेचने वाले एक युवक महबूब ने भी ऐसी ही भावना प्रकट करते हुए कहा कि राजनीतिक तनाव फैलाने के प्रयासों के बीच राम लीला की यह परंपरा बेहद अद्भुत है.
रामलीला समिति का नेतृत्व वर्तमान में डॉ. माजिद अली कर रहे हैं, जिनके दिवंगत पिता डॉ. वाजिद अली इसके संस्थापक अध्यक्ष थे.
12 अक्टूबर को दशहरा
साल 2024 में दशहरा का त्योहार शनिवार, 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा. यह त्योहार आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है. दशहरा को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान राम ने रावण पर जीत हासिल की थी. दशहरे के दिन ही देवी मां की मूर्ति का विसर्जन भी किया जाता है.
दशहरा, नवरात्रि के नौ दिनों के त्योहार का समापन करता है. दशहरे के दिन अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की जाती है. इस दिन सबसे पहले देवी और फिर भगवान राम की पूजा की जाती है. पूजा के बाद देवी और भगवान राम के मंत्रों का जाप किया जाता है.