श्री राम जन्मभूमि अयोध्या में भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का समय नजदीक आ रहा है. यहां कुछ परिवार ऐसे हैं, जो तीन पीढ़ियों से रामलला की सेवा में जुटे हैं. जैसे- जैसे मकर संक्रांति के बाद जनवरी 2024 का समय नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे इन परिवारों में उत्साह और उमंग बढ़ती जा रही है. रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान होने वाले हैं.
अयोध्या विवाद के दौरान जब रामलला त्रिपाल में थे, उस समय भोग राग समेत श्री रामजन्मभूमि परिसर की सभी व्यवस्थाएं कोर्ट के आदेश पर रिसीवर के हाथ में होती थीं. तत्कालीन फैजाबाद मंडल के पदेन कमिश्नर को रिसीवर नियुक्त किया गया था. जब से व्यवस्था श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के हाथ में आई, सेवादारों को प्रतिमाह 2100 रुपये मिलते हैं.
पिछली तीन पीढ़ियों से अयोध्या का चौरसिया परिवार रामलला को हर रोज सुबह को पान पहुंचाता है. इस परिवार के लोग सुबह सबसे पहले चूना, कत्था, गुलकंद, केसर, गरी डालकर सेंट युक्त पान के स्पेशल 10 जोड़े तैयार करते हैं. इस पान को मंदिर में पहुंचाने के बाद ही इनकी दिनचर्या शुरू होती है.
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जनवरी 2024 में जिस दिन रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी, उस दिन के लिए इस परिवार ने खास तैयारी की है. बनारस से स्पेशल पान और सामग्री आएगी. इस खास दिन रामलला को 51 जोड़े पान का भोग लगाया जाएगा.
पान सेवादार रिंकू चौरसिया ने कहा कि हमारे पिताजी के समय से मंदिर में पान जाता है. अब मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी हो रही है तो हम लोग बनारस से पान मंगवा रहे हैं. उसी से 51 जोड़ों का पान जाएगा. रोज पहले पान लगाकर भगवान जी को रख दिया जाता है.
75 साल के सीताराम यादव पहुंचाते हैं रबड़ी, पेड़ा, दही
रामलला को भोग में पेड़ा, रबड़ी, पंजीरी, दूध, खीर आदि चढ़ाया जाता है. नित्य भोर होते ही रामलला के भोग के लिए यह सब सामग्री पहुंचाने का काम सीताराम यादव के परिवार का है. लगभग 75 साल के हो चुके सीताराम से पहले उनके पिता धनीराम और बाबा नियमित रूप से रामलला की सेवा करते चले आ रहे हैं. सीताराम यादव की दुकान 1992 से पहले श्री राम जन्मभूमि परिसर में ही थी. अब मंदिर के बगल में है. सीताराम यादव श्री राम मंदिर पक्ष की तरफ से गवाह भी रहे हैं.
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मिष्ठान सेवादार सीताराम यादव ने कहा कि तीन पीढ़ी से हम सेवा करते आ रहे हैं. चैत्र रामनवमी में और दूसरे त्योहार में रबड़ी, पेड़ा, दही, देशी घी से भोग लगता है. राम जन्मभूमि मामले में मैं मुख्य गवाह भी हूं. हमने हाई कोर्ट में गवाही भी दी थी. हम भाग्यशाली हैं कि हमारे पूर्वजों के बाद हमें सेवा का मौका मिल रहा है. सीताराम यादव की पुत्री श्यामा यादव ने कहा कि पिताजी 75 साल के हैं. वे राम मंदिर का प्रसाद अपने हाथों से तैयार करते हैं. हम परिवार वाले भी सहायता करते हैं.
मौर्य परिवार हर रोज पहुंचाता है फूलों की माला
रामलला को भोग लगाने के पहले उनकी पूजा-आराधना और आरती होती है. पूजा आराधना में फूलों की सबसे अधिक आवश्यकता होती है. यह सेवा पिछली तीन पीढ़ियों से अयोध्या का मौर्य परिवार कर रहा है. पहले यह परिवार फूल की खेती करता था. अब जमीन नहीं रही तो बाहर से फूल खरीदकर माला तैयार करते हैं.
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सुबह तैयार की गई माला और फूल श्रीराम मंदिर तक पहुंचाने के साथ ही इस परिवार की दिनचर्या शुरू होती है. पुष्प सेवादार साक्षी मौर्य ने कहा कि मंदिर में फूल और माला पहले दादी लेकर जाती थीं. अब हम जाते हैं. साक्षी के चाचा अमरजीत मौर्य ने कहा कि भगवान रामलला की सेवा हमारा पूरा परिवार करता रहेगा.
क्या बोले मंदिर के मुख्य पुजारी?
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी ने कहा कि ये सभी सेवादार पीढ़ियों से रामलला की सेवा कर रहे हैं. अब सभी उत्साहित है और प्रसन्न हैं. उत्साह की वजह एक तो रामलला का भव्य मंदिर में विराजमान होना है और दूसरी यह कि व्यवस्था राम मंदिर ट्रस्ट के हाथ में आने के बाद सेवादारों की आमदनी भी बढ़ गई है.
मुख्य पुजारी श्री राम जन्मभूमि मंदिर आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि जब भव्य मंदिर में रामलला विराजमान हो जाएंगे तो यहां उनकी सेवा के लिए और अधिक सामग्री की जरूरत होगी. भगवान रामलला का श्रृंगार विधि विधान से होगा.