मुरादाबाद की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने छजलैट मामले में पूर्व सांसद आजम खान और बेटे विधायक अब्दुल्ला आजम को दोषी करार दिया है. कोर्ट ने इस मामले में आजम खान और उनके बेटे को 2-2 साल जेल की सजा सुनाई है. बता दें कि छजलैट यूपी में एक जगह का नाम है.
वहीं विधायक और पूर्व मंत्री महबूब अली, विधायक मनोज पारस सहित सभी सात आरोपितों को मामले में बरी कर दिया गया है.
ये है पूरा मामला
दरअसल ये मामला 15 साल पुराना है. 29 जनवरी 2008 को छजलैट पुलिस ने पूर्व मंत्री आजम खान की कार को चेकिंग के लिए रोका था जिससे उनके समर्थक भड़क गए थे.
इसके बाद समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया था . इस हंगामे में अब्दुल्ला समेत नौ लोगों को आरोपी बनाया गया था.
पुलिस ने इस मामले में हंगामा करने वाले सभी लोगों पर सरकारी काम में बाधा डालने और भीड़ को उकसाने के आरोप में केस दर्ज किया था.
आजम खान को सजा मिलने को लेकर वकील नितिन गुप्ता ने बताया कि यह मामला 2008 का था, उस गाड़ी को रोका गया था जिसमें काले शीशे लगे थे. काले शीशों पर फिल्म चढ़ी हुई थी और लाल बत्ती के साथ हूटर भी लगा हुआ था.
वकील ने क्या कहा?
आजम खान को सजा मिलने को लेकर वकील नितिन गुप्ता ने बताया कि यह मामला 2008 का था, उस गाड़ी को रोका गया था जिसमें काले शीशे लगे थे. काले शीशों पर फिल्म चढ़ी हुई थी और लाल बत्ती के साथ हूटर भी लगा हुआ था.
वकील ने कहा, गाड़ी चेकिंग के दौरान ना तो उसमें सवार लोग गाड़ी के कागज दिखा पाए थे और ना ही ड्राइविंग लाइसेंस दिखाया था. जब कागज मांगा गया तो अफरा-तफरी मचा कर लॉ एंड ऑर्डर खराब करने की कोशिश की गई थी. इसी मामले में आज सजा सुनाई गई है.
इस केस में कुल 9 नामजद हुए थे जिसमें 7 लोगों को बरी कर दिया गया था जबकि अब्दुल्ला और आजम खान को 2 साल की अधिकतम सजा सुनाई गई . हालांकि दोषी ठहराये जाने के बाद आजम खान और उनके बेटे ने जमानत की अर्जी दी थी जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए उन्हें जमानत दे दी गई.
कोर्ट की अवमानना का अलग केस
2008 के छजलैट प्रकरण में कोर्ट से लगातार गैरहाजिर होने के कारण 2020 मे कोर्ट की तरफ से उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया था. अब इस मामले में आजम खान को अपना पक्ष रखने के लिए 20 फरवरी की तारीख दी गई है.
यूपी सरकार ने भी दिया था झटका
बीते दिनों आजम खान को यूपी सरकार ने भी बड़ा झटका दिया था. लखनऊ में हुई कैबिनेट बैठक में रामपुर के जौहर शोध संस्थान को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला लिया था. अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर प्रशिक्षण और शोध संस्थान को सरकार ने वापस ले लिया था.
अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए जब आजम खान अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री थे तब 100 रुपये के सालाना लीज पर 100 वर्षों के लिए यह सरकारी शोध संस्थान मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को दिया गया था.
दरअसल मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट यह संस्थान चला रहा था और समाजवादी पार्टी नेता आजम खान इस ट्रस्ट के आजीवन अध्यक्ष थे.