यूपी के हाथरस (Hathras) में सत्संग के दौरान हुई भगदड़ (stampede) से ठीक पहले का वीडियो सामने आया है. इसमें देखा जा सकता है कि सत्संग में किस कदर लोगों की भीड़ है. महिलाएं, बच्चे और पुरुष पंडाल में खड़े होकर बाबा की जय-जयकार कर रहे हैं. बाबा को देखने के लिए भीड़ व्याकुल हो रही थी. वीडियो में देखा जा सकता है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों के पहुंचने के बाद भी व्यवस्थाएं उतनी दुरुस्त नहीं थीं.
बता दें कि हाथरस में सत्संग के दौरान हुई भगदड़ में अब तक 121 लोगों की मौत हो हुई और 28 घायल हैं. इस घटना को लेकर भाजपा नेता लक्ष्मीकांत बाजपेई ने कहा कि हाथरस की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है. जिन लोगों की जान गई है, उनके प्रति हमारी संवेदना है और सरकार से अनुरोध है कि घायलों को मुफ्त इलाज दिया जाए. किसने अनुमति दी, क्या जो शर्तें लगाई गई थीं, उनका पालन किया गया? सबकी जांच होनी चाहिए.
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मंत्री असीम अरुण ने कहा- दोषियों के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई
हाथरस की घटना पर मंत्री असीम अरुण ने कहा कि पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार अब तक 121 लोगों की मौत हो चुकी है और 19 शवों की पहचान होनी बाकी है. भगदड़ की शिकार महिलाओं से बात की और उन्होंने बताया कि कार्यक्रम समाप्त हो चुका था, जब भगदड़ हुई तो लोग बाहर निकल रहे थे. आयोजकों ने गलत प्रबंधन किया. लोगों को बाहर जाने से रोका और संकरे रास्ते को बंद कर दिया. वहां एक गड्ढा था, जिसमें महिलाएं और बच्चे गिरते रहे, चोटिल हुए और दम घुटने से उनकी मौत हो गई.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने एडीजी जोन आगरा की अध्यक्षता में जांच समिति गठित करने के आदेश दिए हैं. एफआईआर दर्ज कर ली गई है. दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. जांच में समय लग सकता है. घायल महिला पुलिस का मेडिकल कराया जा रहा है, इलाज जारी है. उम्मीद है कि आज जांच पूरी हो जाएगी. यह राजनीति का मुद्दा नहीं है. सीएम योगी आदित्यनाथ अस्पताल में घायल पीड़ितों और मृतकों के परिजनों से मिलने हाथरस पहुंचेंगे. सीएम स्थिति की समीक्षा करेंगे और जरूरी दिशा-निर्देश देंगे.
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह बोले- पूरे देश में बाबा बाजार विकसित हो रहा
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि यह सिर्फ हाथरस का मामला नहीं है. पूरे देश में जिस तरह से बाबा बाजार विकसित हो रहा है, अनियंत्रित तरीके से धर्म के नाम पर धंधा चल रहा है, इस पर रोक कब लगेगी. अंधविश्वास का प्रचार कराओ और हजारों-लाखों लाख की भीड़ इकठ्ठा करो, उस पर न प्रशासन की रोक है ना शासन की. दिल्ली में अगर 100 लोग भी ज्यादा हो जाते हैं, प्रशासन हमें लाठियां मारकर जेल में बंद कर देता है.
संजय सिंह ने कहा कि अगर हाथरस में हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा हो गए तो उत्तर प्रदेश का पुलिस प्रशासन, जिला प्रशासन क्या कर रहा था? वहां एंबुलेंस की व्यवस्था क्यों नहीं थी और कैसे भीड़ अनियंत्रित हो गई.
उन्होंने कहा कि हरियाणा का बाबा जब चाहे पैरोल पर बाहर आ जाता है. चाहे हत्या करें या बलात्कार करें, पूरी सरकार उसके सामने झुकी रहती है. धर्म के नाम पर धंधे पर रोक लगनी चाहिए या ऐसे ही अनियंत्रित चलता रहेगा. इस घटना में मारे गए लोग समाज के सबसे अंतिम पायदान में बैठे लोग हैं. अब उनके परिवार का सहारा कौन है. आज मुख्यमंत्री वहां जा रहे हैं, पीड़ित परिवारों के लिए उचित मुआवजा घोषित करें.
संजय सिंह ने कहा कि इस मामले में शामिल लोगों के खिलाफ जांच कर, सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. सबसे बड़ी समस्या है कि बाबाओं के सामने सरकारें झुकी हुई हैं, बाबाओं के खिलाफ सरकारें कोई कार्रवाई नहीं करना चाहती हैं. उस बाबा की क्या पृष्ठभूमि है? वह बाबा कहां से आया, अचानक इतना बड़ा बाबा कैसे बन गया? उसको इतनी छूट कैसे मिली कि इतनी भीड़ इकट्ठी करे?
AAP सांसद ने कहा कि उत्तर प्रदेश के शासन प्रशासन की घोर लापरवाही है. पूरे देश में बाबा बाजार विकसित हो रहा है, इस पर रोक लगाने की जरूरत है. चाहे किसी भी धर्म के हों, धर्म के नाम पर धंधा करने की छूट किसी को नहीं होनी चाहिए.
कौन है भोले बाबा उर्फ सूरजपाल
भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है. वह कासगंज जिले के बहादुर नगर के मूल निवासी हैं. सूरजपाल ने साल 1990 के दशक के अंत में एक पुलिसकर्मी के रूप में नौकरी छोड़ दी थी और प्रवचन देना शुरू किया था. बाबा ने 'सत्संग' (धार्मिक उपदेश) करना शुरू कर दिया. सूरजपाल उर्फ भोले बाबा की कोई संतान नहीं है. सत्संग में बाबा की पत्नी भी साथ रहती हैं. वह अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय से आते हैं. बहादुर नगर में आश्रम स्थापित करने के बाद भोले बाबा की प्रसिद्धि गरीबों और वंचित वर्गों के बीच तेजी से बढ़ी और लाखों लोग अनुयायी बन गए.