उत्तर प्रदेश के बांदा में मारपीट के मामले में कोर्ट ने 28 साल बाद अपना फैसला सुनाया है. इस बीच आरोपी जवान से बुड्ढे हो गए. कितनी तारीखे पड़ी, कितने जज बदल गए. आखिरकार अंत मे पीड़ित को न्याय मिला. पीड़ित ने 1995 में अपने तीन सगे भाइयों पर मारपीट का एफआईआर दर्ज कराया था. 28 साल बाद कोर्ट ने दो भाइयों को दोषी ठहराया और 7-7 साल की सजा सुनाई. साथ ही 25-25 हजार का जुर्माना लगाया है.
मामला नरैनी कोतवाली क्षेत्र के कुइया नगर का है. यहां के रहने वाले एक सख्स ने 1995 में थाना में शिकायत दर्ज कराई थी कि जमीनी विवाद में उसके तीन भाइयों ने उसके साथ लाठी-डंडो और कुल्हाड़ी से हमला किया है. पुलिस ने तहरीर के आधार पर तीनों के विरुद्ध 323/ 324/ 325/ 504 की धाराओं में एफआईआर दर्ज कर विवेचना शुरू की.
दोनों सगे भाइयों को दोषी करार
इसके बाद कोर्ट में दो भाइयों के खिलाफ चार्ज और आरोप पत्र दाखिल किया गया. फिर कोर्ट में बहस शुरू हुई. दोनों पक्षों की तमाम दलीलों के बाद शुक्रवार शाम अदालत ने दोनों सगे भाइयों को दोषी करार दे दिया और 7-7 साल की सजा सुनाई है. साथ ही 25-25 हजार का जुर्माना भी लगाया है. दोनों आरोपियों में से एक की उम्र 60 और दूसरे की उम्र 65 साल है.
सरकारी वकील ने कही ये बात
बांदा कोर्ट के सरकारी वकील सुरेंद्र प्रसाद ने बताया कि नरैनी थाना क्षेत्र का मामला था. 1995 में जमीन के विवाद में वादी को उसी के भाइयों ने डंडो और कुल्हाड़ी से मारपीट की थी. इसके बाद आरोप पत्र दाखिल हुआ. कई गवाह पेश किए गए. कोर्ट ने दोषी करार देते हुए दो भाइयों को 7-7 साल की सजा सुनाई है. इस फैसले में डेढ़ दर्जन से ज्यादा जज बदल गए. 100-150 तारीखे पड़ी. आरोपियों की इस समय एक की उम्र 60 साल है. दूसरे की उम्र 65 साल है. यानी 1995 में आरोपी 32 और 37 वर्ष के थे.