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यूपी में पसमांदा vs पीडीए यात्रा... लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी और सपा सड़क से साध रहे सियासत

यूपी में लोकसभा चुनाव से पहले यात्रा की सियासत शुरू हो गई है. एक ओर जहां बीजेपी पसमांदा स्नेह संवाद यात्रा निकाल रही है. वहीं समाजवादी पार्टी अब प्रयागराज से अगस्त क्रांति दिवस पर साइकल यात्रा निकालेगी. वह अपनी इस यात्रा के जरिए पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक समाज को साधने की कोशिश करेगी.

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बीजेपी की पसमांदा रैली के जवाब में साइकल यात्रा निकालेगी सपा (फाइल फोटो)
बीजेपी की पसमांदा रैली के जवाब में साइकल यात्रा निकालेगी सपा (फाइल फोटो)

यूपी में मिशन 2024 को हासिल करने के लिए जहां बीजेपी लगातार अपने कार्यक्रम के जरिए जनता तक पहुंच रही है तो वहीं अब समाजवादी पार्टी भी यात्रा के जरिए चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है. इस बीच राज्य की सियासत का मूड यात्रा वाला होता नजर आता है. दरअसल बीजेपी की पसमांदा मुसलमानों को लुभाने के लिए निकाली जा रही यात्रा के जवाब में अब सपा प्रयागराज से अगस्त क्रांति दिवस के मौके पर साइकल यात्रा निकालेगी. 

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लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी सपा की देश बचाओ-देश बनाओ साइकल यात्रा नौ अगस्त को प्रयागराज से शुरू होगी. पहले चरण में 25 लोकसभा सीटों को कवर करने वाली यह यात्रा सपा के पक्ष में माहौल तैयार करेगी. यात्रा के पहले चरण का समापन लखनऊ में होगा. 

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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस साइकल यात्रा के जरिए जातीय जनगणना के मुद्दे को लोगों के बीच ले जाने को कहा है. प्रयागराज से शुरू हो रही यह यात्रा प्रदेश के 24 जिलों से होकर गुजरेगी. इस यात्रा की अगुवाई सपा के युवा नेता और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र नेता अभिषेक यादव करेंगे.

वहीं दूसरी तरफ बीजेपी की तैयारी पसमांदा समाज को एक बार फिर से मुख्य धारा के तौर पर जोड़ने की है, जिसके लिए अगस्त के पहले हफ्ते में पसमांदा स्नेह संवाद यात्रा गाजियाबाद से शुरू होकर पश्चिमी यूपी के 29 जिलों से होती हुई पहुंचेगी. 

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पसमांदा मुसलमानों को मुख्यधारा में जोड़ती रही है बीजेपी

पसमांदा स्नेह संवाद यात्रा पर बात करते हुए यूपी बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने कहा की कि बीजेपी पसमांदा मुसलमानों को लगातार लाभार्थी के तौर पर और मुख्यधारा में लाने के लिए जोड़ती रही है. इसी कड़ी में यात्रा सभी को यह बताने की कवायत है कि बीजेपी सरकार हर मोर्चे पर इस समाज के साथ खड़ी है. सपा, बसपा, कांग्रेस ने केवल वोट के लिए इस समाज का इस्तेमाल किया है लेकिन बीजेपी ने उन्हें मुख्यधारा में जोड़कर आगे लाने का काम किया है.

- पसमांदा मुसलमानों को लेकर बीजेपी की कवायद लंबे समय से चली आ रही है, जिसमें लाभार्थी सम्मेलन से लेकर मन की बात का उर्दू रूपांतरण और जनसंपर्क अभियान जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं, लेकिन इस बात को धार तब मिली, जब पीएम नरेंद्र मोदी ने भोपाल में बीजेपी के बूथ लेवल कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पसमांदा समाज के मुद्दों को खुले तौर पर उठाया था. 

- पीएम मोदी ने कहा था कि जो पसमांदा मुसलमान हैं, उन्हें आज भी बराबरी का दर्जा नहीं मिला है. उन्होंने मोची, भठियारा, जोगी, मदारी, जुलाहा, लंबाई, तेजा, लहरी, हलदर जैसी पसमांदा जातियों का जिक्र करते हुए कहा था कि इनके साथ इतना भेदभाव हुआ है, जिसका नुकसान उनकी कई पीढ़ियों को भुगतना पड़ा.

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बीजेपी ने हमेशा मुसलमानों को बरगलाया: सपा

दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने बीजेपी की यात्रा पर पलटवार किया है. सपा प्रवक्ता नेता अमीक जमाई ने कहा कि बीजेपी ने हमेशा मुसलमानों को बरगलाने का काम किया है. आज अल्पसंख्यकों के साथ मणिपुर से लेकर बंगाल तक अत्याचार हो रहे हैं. पसमांदा मुसलमानों के लिए ना तो रोजगार और ना ही उनके उद्योगों को कोई बढ़ावा मिला, जो आज लगातार पीछे होते नजर आते हैं. यह बीजेपी की केवल वोट पाने की कवायत है लेकिन आने वाले लोकसभा चुनाव में पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक समाजवादी पार्टी के साथ खड़ा नजर आएगा. 

मुस्लिम वोट को बांटने की कवायत में बीजेपी

वरिष्ठ पत्रकार राजनीतिक विश्लेषक शरद प्रधान कहते हैं कि बीजेपी मुस्लिम वोट को बांटने की कवायद में है. उसे लगता है कि पसमांदा मुसलमानों के मुद्दों को उठाकर और अपनी योजनाओं से जोड़कर आने वाले चुनाव में वह कुछ हद तक इस समाज का वोट पाने में कामयाब रहेगी लेकिन पिछले चुनाव में भी मुस्लिम वोट एकमुश्त सपा को जाता हुआ नजर आया था. उन्होंने कहा कि 2024 चुनाव की तैयारी की शुरुआत को लेकर अखिलेश यादव की यात्रा एक धीमी शुरुआत है. इससे पहले भी समाजवादी पार्टी मुलायम सिंह के दौर से यात्रा निकालती रही है लेकिन इस बार लड़ाई पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वोटों को लेकर है, जो दोनों पार्टियों के बीच आने वाले समय में और कड़ी होती नजर आएगी.

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बहरहाल साफ है कि लोकसभा चुनाव में जहां बीजेपी पसमांदा मुसलमानों के साथ को उन हारी हुई 2019 की सीटों पर मजबूत मान रही है, जो पश्चिमी यूपी में उसके मिशन-80 को पूरा करने में मील का पत्थर साबित हो सकता है, तो वहीं सपा अपनी पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक को जोड़ने की कवायद ने अपनी साइकल यात्रा के जरिए पूर्वांचल से शुरू कर रही है. उसे उम्मीद है कि पिछड़ों को मुद्दों को उठाकर वह बीजेपी को वोटों के बिखराव के लिए रोक सकते हैं.

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