पूर्व बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर झूठी गवाही देने के मामले में स्थानीय अदालत ने 500 रुपये का जुर्माना लगाया और केस को बंद कर दिया. यह मामला 1990 का है, जब उन्होंने अपने ऊपर हुए कथित हमले को लेकर एफआईआर दर्ज कराई थी.
क्या है पूरा मामला?
बृजभूषण शरण सिंह ने 1990 में नवाबगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि 8 सितंबर को उनके घर पर कुछ लोग बातचीत के लिए आए थे. इसी दौरान एक व्यक्ति ने उन पर गोली चलाई, लेकिन वह बच गए. उन्होंने आरोप लगाया कि दो अन्य लोगों ने उन पर चाकू से हमला किया, जिससे उन्हें हाथ में चोट आई.
जांच के बाद पुलिस ने तीन आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की. सुनवाई के दौरान इनमें से दो आरोपियों की मौत हो गई, जबकि तीसरे आरोपी, वीरेंद्र कुमार मिश्रा, के खिलाफ केस जारी रहा. लेकिन जब बृजभूषण अदालत में गवाही देने पहुंचे, तो वे मिश्रा को पहचान नहीं पाए और उन्होंने हमले की घटना से भी इनकार कर दिया. इसके बाद बचाव पक्ष ने मिश्रा को बरी करने की मांग की, जिसे अदालत ने 11 सितंबर 2023 को स्वीकार कर लिया और उन्हें बरी कर दिया.
बृजभूषण पर झूठी गवाही का मामला दर्ज
इसके बाद अदालत ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ झूठी गवाही देने का मामला दर्ज किया और उन पर अलग से आपराधिक कार्यवाही शुरू की. उन्हें अदालत में पेश होने के लिए बुलाया गया, लेकिन वह अनुपस्थित रहे, जिसके कारण गैर-जमानती वारंट जारी किया गया.
सोमवार को बृजभूषण अदालत में पेश हुए और अपनी गैर-हाजिरी के लिए माफी मांगी. इसके बाद मंगलवार को हुई सुनवाई में अदालत ने उन पर 500 रुपये का जुर्माना लगाकर मामला समाप्त कर दिया.