बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर निशाना साधते हुए कहा कि वह चुनाव से पहले समुदायों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. बौद्ध और मुस्लिम समुदाय उनके बहकावे में नहीं आएंगे.
मायावती ने कहा कि सपा नेता स्वामी प्रसाद ने बयान दिया था कि बद्रीनाथ समेत कई मंदिर बौद्ध मठों को तोड़कर बनाया गया था. इसके अलावा ज्ञानवापी मस्जिद के अलावा कई प्रमुख मंदिरों का भी आधुनिक सर्वे किया जाना चाहिए. ये विशुद्ध राजनीतिक बयान है, जो नए विवाद को जन्म दे रहा है.
मायावती ने ट्वीट कर मौर्य से यह भी पूछा कि बीजेपी सरकार में मंत्री रहते हुए उन्होंने कभी ऐसी मांग क्यों नहीं उठाई. बीएसपी सुप्रीमो ने कहा, "मौर्य लंबे समय तक बीजेपी सरकार में मंत्री थे. उन्होंने इस संबंध में अपनी पार्टी और सरकार पर इतना दबाव क्यों नहीं डाला? और अब चुनाव के समय इस तरह का धार्मिक विवाद पैदा कर रहे हैं. बौद्ध और मुस्लिम समुदाय उनके बहकावे में नहीं आएंगे."
2. जबकि श्री मौर्य लम्बे समय तक बीजेपी सरकार में मंत्री रहे किन्तु तब उन्होंने इस बारे में पार्टी व सरकार पर ऐसा दबाव क्यों नहीं बनाया? और अब चुनाव के समय ऐसा धार्मिक विवाद पैदा करना उनकी व सपा की घिनौनी राजनीति नहीं तो क्या है? बौद्ध व मुस्लिम समाज इनके बहकावे में आने वाले नहीं।
— Mayawati (@Mayawati) July 30, 2023
स्वामी प्रसाद ने दिया जवाब
वहीं इन आरोपों को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि हमारा संविधान सभी धर्म-संप्रदाय का बराबर सम्मान करता है. बीजेपी के लोग साजिश के तहत मंदिर-मस्जिद के मामले को उठाकर हर मस्जिद में मंदिर खोजने की बात करेंगे तो यह परंपरा महंगी पड़ेगी. अगर हर मस्जिद में मंदिर खोजेंगे तो लोग हर मंदिर में बौद्ध मठ खोजना शुरू करेंगे क्योंकि इतिहास और साक्ष्य के प्रमाण हैं कि जितने भी हिंदू धर्म के तीर्थ स्थल बनाए हैं, यह सब बौद्ध मठ पर बने हैं.
क्या कहा था स्वामी प्रसाद ने?
सपा के राष्ट्रीय महासचिव मौर्य ने हाल ही में दावा किया था कि हिंदू तीर्थस्थल बद्रीनाथ 8वीं शताब्दी तक एक बौद्ध मठ था. सपा नेता ने यह भी कहा कि अधिकारियों को इस बात का सर्वेक्षण करना चाहिए कि जहां अब ज्ञानवापी मस्जिद है, वहां मंदिर से पहले क्या था. उन्होंने कहा था, "अगर सर्वे करना ही है तो इस बात का भी सर्वेक्षण होना चाहिए कि मंदिर से पहले वहां क्या था. हिंदू धर्म के सभी स्थान पहले बौद्ध मठ थे. बौद्ध मठों को तोड़कर मंदिर बनाए गए थे."
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की भी आई प्रतिक्रिया
स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद की प्रतिक्रिया भी सामने आई थी. शंकराचार्य ने कहा ''हमने स्वामी प्रसाद मौर्य को टेलीफोन किया था, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई. जिस तरह का वक्तव्य फैलाया जा रहा है वह यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि आठवीं शताब्दी तक बद्रीनाथ बौद्ध तीर्थ था और बौद्ध तीर्थ को समाप्त कर बद्रीनाथ जी का मंदिर बनाया. स्वामी प्रसाद मौर्य ना तो धर्म शास्त्र के विद्वान हैं ना ही इतिहास के विद्वान हैं, वह राजनीतिज्ञ हैं राजनीति को चमकाने के लिए बीच-बीच में ऐसे बयान देते रहते हैं. सनातन धर्म की भावनाओं को बार-बार ठेस पहुंचाते रहते हैं, इससे पहले भी उन्होंने रामचरितमानस को जलाने के लिए प्रेरित किया था.'
रामचरितमानस को लेकर दिया था बयान
मौर्य ने इस साल जनवरी में एक और विवाद खड़ा कर दिया था जब उन्होंने तुलसीदास के रामचरितमानस में कुछ छंदों को हटाने की मांग की थी. उनका दावा था कि ये पंक्तियां जाति के बारे में बात करते हैं और समाज के एक बड़े वर्ग का अपमान करते हैं.
ज्ञानवापी सर्वे मामले में 3 अगस्त को आएगा फैसला
बता दें कि ज्ञानवापी सर्वे मामले में गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट 3 अगस्त को फैसला सुनाएगी. तब तक ASI सर्वे पर रोक जारी रहेगी. वाराणसी की जिला अदालत ने हाल ही में भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) को वज़ू खाना को छोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था, लेकिन इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जिसने हाई कोर्ट को मामले की सुनवाई करने का निर्देश दिया.