यूपी के कानपुर में अपने दस साल के इकलौते बेटे की मौत के बाद भी उसकी मां ने इंसानियत की अनोखी मिसाल पेश की है. महिला ने 11 साल के उस बच्चे को माफ कर दिया जिसकी वजह से उसके आंखों का तारा हमेशा के लिए इस दुनिया से ओझल हो गया.
दरअसल कानपुर में क्रिकेट खेलने के दौरान नो बॉल को लेकर हुए बच्चों के झगड़े में दूसरे बच्चे ने गुस्से में महिला के बेटे को बैट से मार दिया जिससे उसकी मौक हो गई. बेटे की मौत के बाद उसकी मां को पुलिस से लेकर आसपास के लोगों तक ने आरोपी बच्चे के खिलाफ केस दर्ज करवाने की सलाह दी लेकिन उसने ऐसा नहीं किया.
खेल में झगड़ा होता है: मृतक की मां
आरोपी बच्चे की मां के दर्द को समझते हुए महिला ने यह कहकर आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाने से इनकार कर दिया कि खेल-खेल में तो विवाद होता ही है, उस बच्चे ने कोई जानबूझकर मेरे बेटे को थोड़ी मारा था.
दरअसल यह पूरा मामला रविवार की सुबह का है. जाजमऊ इलाके के केडीए कॉलोनी में रहने वाला 10 साल का आरिज अपने मोहल्ले के दोस्तों के साथ सामने बने एकता पार्क में क्रिकेट खेलने गया था. वह बॉलिंग कर रहा था जबकि सामने दूसरा लड़का बैटिंग कर रहा था.
नो बॉल को लेकर हुआ था झगड़ा
आरिज ने बॉलिंग की तो सामने वाला लड़का (उम्र - 11 साल) आउट हो गया लेकिन आउट होने पर उसने कहा कि तुमने नो बॉल फेंकी है. इसी बात पर दोनों बच्चों में विवाद हो गया है. इसके बाद बैटिंग कर रहे ग्यारह साल के बच्चे ने आरिज को बैट के साथ एक घूंसा मार दिया.
यह घूंसा इतना जोरदार था कि आरिज वहीं पर गिरकर बेहोश हो गया. यह देखकर सभी बच्चे डर गए और उसे मारने वाला आरोपी बच्चा भी जगाने की कोशिश करने लगा लेकिन आरिज नहीं उठा. इसके बाद सब उसे उठाकर उसकी मां सरिया के पास ले गए. परिजन तुरंत बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचे लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
महिला का इकलौता बेटा था आरिज
वो महिला का इकलौता बेटा था. सभी लोग महिला को आरोपी बच्चे के खिलाफ केस दर्ज कराने की सलाह देते रहे लेकिन सामने आरोपी बच्चे को देखकर सरिया का दिल पसीज गया. आरोपी बच्चा कुछ बोल नहीं पा रहा था.
उस बच्चे को देखने के बाद महिला ने दरियादिली दिखाते हुए कहा कि जिस तरह मेरा बच्चा है, मैं अपने बच्चों को लेकर परेशान हूं इसी तरह अगर मैं इसको बंद (गिरफ्तार) करा दूंगी तो इसकी मां का क्या हाल होगा.
पुलिस के कहने पर भी दर्ज नहीं कराई शिकायत
महिला ने पुलिस के कहने के बाद भी बच्चे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने से इनकार कर दिया. सरिया ने कहा कि उसने जानबूझकर नहीं मारा है. खेल में तो ऐसा होता है हम लोग बचपन में खेलते थे तो भी लड़ जाते थे तो कोई किसी को मारना नहीं चाहता. खुदा को शायद इतने ही दिन मेरा बेटा मंजूर था. सरिया के पति की 9 साल पहले ही मौत हो चुकी है.
सरिया के जेठ जमाल ने कहा कि मैंने उसे बहुत बार समझाया की दूसरी शादी कर लो लेकिन वह नहीं मानी. बोली मेरे लिए यही बेटा ही मेरी पहचान बनेगा, मेरी जिंदगी का यही सहारा है लेकिन आज वो भी चला गया. आखिरकार सरिया के फैसले पर उसके घर वाले भी मान गए और उन्होंने भी कोई रिपोर्ट दर्ज कराने से इनकार कर दिया.