लोकसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) चुनाव नतीजों की समीक्षा में जुटी है. रविवार को यूपी के चुनाव नतीजों की समीक्षा की बारी थी. यूपी बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की राजधानी लखनऊ में बैठक हुई जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तक, बीजेपी के बड़े-बड़े नेता मंथन के मंच पर आए और अपनी बात रखी. इस दौरान लोकसभा चुनाव में पार्टी के यूपी में खराब प्रदर्शन की वजहों पर बात हुई तो भविष्य के लिए रोडमैप भी बना. लेकिन कुछ ऐसा भी हुआ जिसके बाद ये सवाल भी उठने लगे कि क्या संगठन और सरकार के बीच सबकुछ ठीक है?
यूपी बीजेपी कार्यसमिति में पहली बार संगठन और सरकार के बीच तालमेल को लेकर नेता मुखर नजर आए. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि संगठन, सरकार से ऊपर होता है. कोई व्यक्ति या सरकार संगठन से बड़ा नहीं हो सकते. उन्होंने कहा कि बड़े पेड़ की टहनी से जब कुल्हाड़ी बनती है तभी वो पेड़ काटा जा सकता है. उन्होंने कार्यकर्ताओं की समस्याओं का जिक्र किया और कहा कि जो दर्द आपका (कार्यकर्ता का) है, वही दर्द हमारा भी है. केशव मौर्य ने कार्यकर्ताओं के मन की बात कह तालियां तो खूब बटोरीं लेकिन उनका संबोधन कई सवाल भी छोड़ गया.
यूपी की 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं और बीजेपी इन उपचुनावों में सभी 10 सीटें जीतने के टार्गेट की बात कर रही है. ऐसे में केशव प्रसाद मौर्य के बयान से सवाल ये भी उठ रहे हैं कि उनका इशारा किस तरफ है? क्या यूपी बीजेपी में सबकुछ ठीक है? लोकसभा चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगी दल विपक्षी समाजवादी पार्टी के बराबर सीटें भी नहीं जीत सके. ऐसे में क्या लोकसभा चुनाव में दुर्गति के बाद बीजेपी में नौबत संगठन बनाम सरकार की आ गई है?
लोकसभा चुनाव में बीजेपी 2019 की 62 के मुकाबले 33 सीटें ही जीत सकी थी. सहयोगी आरएलडी ने दो और अपना दल को एक सीट पर जीत मिली. एनडीए यूपी में 36 सीटें ही जीत सका जबकि सपा ने अकेले 37 सीटों पर जीत का परचम लहरा दिया था. यूपी में इन नतीजों के बाद सीएम योगी आलोचनाओं और हमलों के केंद्र में रहे हैं. यूपी बीजेपी का एक धड़ा सीएम योगी को टार्गेट करने की कोशिश कर रहा था.
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सीएम योगी ने अपने संबोधन में दो बातें साफ कर दीं. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में यूपी की हार अतिआत्मविश्वास की हार है. सीएम योगी ने ये भी कहा कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल जिस तरह से विपक्ष ने किया, हम उसे काउंटर नहीं कर पाए. उन्होंने नेताओं और कार्यकर्ताओं को ये टास्क भी दे दिया कि उपचुनाव में सबको अपनी ताकत दिखानी होगी. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि छुई-मुई कार्यकर्ताओं से काम नहीं चलेगा. हम चैलेंज करने वाले लोग हैं और चैलेंज करना पड़ेगा.
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जेपी नड्डा ने कहा कि देश में करीब 1500 पार्टियां हैं लेकिन बीजेपी अकेली पैन इंडिया पार्टी है. बीजेपी ही भविष्य है. बीजेपी अध्यक्ष के कार्यसमिति के समापन भाषण में भी जोर आत्मविश्वास पर ही रहा. उन्होंने आत्मविश्वास साथ लेकर चलने पर जोर दिया और साथ ही ये भी जोड़ा- आत्मचिंतन की भी जरूरत है.
यूपी में विधानसभा चुनाव 2027 में होने हैं. इसमें अभी तीन साल का समय बचा है लेकिन बीजेपी के सामने 10 सीटों के उपचुनाव की चुनौती है. उपचुनाव के लिए चुनाव कार्यक्रम का ऐलान नहीं हुआ है लेकिन बीजेपी के साथ ही बाकी दलों ने भी चुनावी तैयारियां तेज कर दी हैं. ऐसे में सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या बीजेपी यूपी में लोकसभा चुनाव के खराब प्रदर्शन को पीछे छोड़ मजबूती से खड़े होने की स्थिति में है?