झारखंड के गिरिडीह स्थित सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाए जाने की अधिसूचना जारी होने के बाद जैन समाज के लोग सड़कों पर उतर आए हैं. जैन समाज के लोग सम्मेद शिखरजी को अपना पवित्र तीर्थ स्थल बताते हुए इसे बचाने, इसे संरक्षित करने की मांग करते हुए विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. इसे लेकर उत्तर प्रदेश के इटावा से भी हंगामे की खबरें आईं. इटावा कलेक्ट्रेट में हजारों की संख्या में जैन समाज की महिलाएं, पुरुष और बच्चे एकत्रित होकर नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन करने लगे. सभी जैन समाज के लोग झारखंड सरकार के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे और नारे लगाते हुए झारखंड में पारसनाथ पर्वत राज मंदिर को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने का विरोध भी कर रहे थे.
सभी लोगों की मांग थी कि किसी प्रकार से पर्यटन स्थल घोषित अगर हो गया तो मांस मदिरा की बिक्री होगी, पेड़ों का अवैध कटान होगा, पत्थरों का अवैध खनन होगा. इससे हमारे संतो की मोक्ष स्थान सम्मेद शिखर प्रदूषित हो जाएगा, इसलिए इसको रोका जाए. सभी जैन समाज के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक मांग पत्र लिखा है, जिसमें 5 सूत्रीय मांगे लिखी गईं. यह मांग पत्र स्थानीय लोगों ने इटावा के जिलाधिकारी को सौंप दिया.
इसलिए हो रहा विरोध
बता दें कि सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के फैसले का विरोध कर रहे लोग इसे अपनी धार्मिक आस्था पर आघात बता रहे हैं. जैन धर्म के लोगों का कहना है कि इससे पवित्र स्थल पर लोग आध्यात्मिक नहीं, मौज-मस्ती के मनोभाव से जाएंगे.
जैन मुनि ने किया कड़ा विरोध
इटावा में भीड़ का संचालन कर रहे जैन मुनि आचार्य सौभाग्य सागर महाराज ने कहा कि झारखंड में स्थित सम्मेद शिखर स्थल पर अनंत संतों की मोक्ष स्थल चौबीसी के शंकर भगवान भी पधारे हैं. उस जगह पर कई मुनियों ने तपस्या करके निर्वाण प्राप्त किया है, वह आस्था का केंद्र है. उस जगह को झारखंड सरकार ने पर्यटन स्थल घोषित कर दिया है. जैन मुनि आचार्य ने कहा, हमारे समाज को इस फैसले से ठेस पहुंची है, हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह मांग करते हैं कि जैसा भी वह क्षेत्र है, उसी स्थिति में यथावत रखा जाए.
जैन समाज के लोगों को स्वीकार नहीं ये चीज
जैन मु्नि ने कहा हम यह बर्दाश्त नहीं करेंगे कि उस पवित्र जगह पर मांस, मदिरा, शराब आदि का सेवन करने के लिए लोग पहुंचें. उन्होंने आगे कहा कि हम लोग सरकार से पैसा भी नहीं मांगते हैं. ना ही हम मंदिर, सड़क या किसी भी प्रकार के निर्माण के लिए कभी कोई मांग करते हैं. लेकिन अब हमारी बस यही मांग है कि हमारी धरोहर को सुरक्षित रखा जाए और उसको वापस करें. अगर सरकार को पैसे की कमी पड़ रही है तो हमारे मंदिरों में गुल्लक रख दे. उससे हम झारखंड सरकार को पैसा देते रहेंगे. हमारे धार्मिक स्थलों के साथ छेड़छाड़ ना करें. वो अहिंसा का क्षेत्र है उसकी पवित्रता बनाए रखें, यदि सरकार ऐसा नहीं करती है, तो हम लोग सभी साधु संत अन्न, जल त्याग कर सड़क पर आ जाएंगे.