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एकसाथ 14 लोगों को गोलियों से भून दिया, फूलन देवी से थी दुश्मनी... पूर्व डकैत Kusuma Nain की कहानी

70 के दशक में कुसुमा नाइन का यूपी से लेकर एमपी तक के बीहड़ों में आतंक था. उस पर हत्या समेत दर्जनों केस दर्ज थे. 61 वर्षीय कुसुमा को कभी सबसे खूंखार 'दस्यु सुंदरी' माना जाता था.

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दस्यु सुंदरी फूलन देवी और कुसुमा नाइन
दस्यु सुंदरी फूलन देवी और कुसुमा नाइन

यूपी की कुख्यात डकैत कुसुमा नाइन की इलाज के दौरान मौत हो गई. वह इटावा जेल में हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रही थी. 70 के दशक में कुसुमा का यूपी से लेकर एमपी तक के बीहड़ों में आतंक था. उस पर हत्या समेत दर्जनों केस दर्ज थे. 61 वर्षीय कुसुमा को कभी सबसे खूंखार 'दस्यु सुंदरी' माना जाता था. बताया जाता है कि कुसुमा की कुख्यात डकैत फूलन देवी से अदावत थी. एक बार कुसुमा ने अपने साथियों संग फूलन को पीट दिया था. 

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प्राप्त जानकारी के मुताबिक, कुसुमा नाइन ने 2004 में मध्य प्रदेश के भिंड में आत्मसमर्पण किया था. तभी से वह जेल में बंद थी. इस बीच उसे कई बीमारियों ने जकड़ लिया. उम्र का भी असर रहने लगा. इन सबके बीच बीते दिनों लखनऊ के एक अस्पताल में इलाज के दौरान कुसुमा का निधन हो गया.  

1970 के दौर में कुसुमा नाइन बीहड़ का जाना माना नाम था. उसे क्रूरता के लिए जाना जाता था. कुसुमा डाकुओं के कई गैंग में शामिल रही थी. कभी माधव एवं धर्मजीत के गैंग में तो कभी विक्रम मल्लाह और लाला राम एवं श्रीराम के गैंग में. माना जाता है कि कानपुर देहात के बेहमई कांड का बदला लेने के लिए वह डाकू बन गई थी. 

दरअसल, उस कांड में डाकू फूलन देवी ने 22 राजपूतों की सामूहिक हत्या की थी. जिसके चलते 1984 में कुसुमा ने बाद में 14 मल्लाहों को मौत नींद की सुला दिया था. उनके घरों को भी आग के हवाले कर दिया था. कुसुमा के निधन के बाद नरसंहार वाले औरैया के गांव अस्ता में जश्न का माहौल है. 

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1964 में जालौन में जन्मी कुसुमा को चंबल की कुख्यात दस्यु सुंदरी माना जाता था. उसने संतोष और राजबहादुर नामक दो मल्लाहों की आंखें निकाल कर बेरहमी की नई इबारत लिख दी थी. पिछले 20 साल से इटावा जेल में उम्रकैद की सजा काट रही कुसमा टीबी रोग से ग्रसित थी.  उसके क्रूरता के किस्से आज भी लोगों के जेहन में हैं. 

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