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Moradabad: शादी से एक दिन पहले बेटी को बनाया 'दूल्हा', बग्घी पर बैठाया, ढोल नगाड़ों संग निकाली बारात

मुरादाबाद में शादी से ठीक एक दिन पहले एक पिता ने बेटी की ढोल-नगाड़ों के संग बारात निकली. इसको देखकर लोग आश्चर्यचकित हो गए. साथ ही लोगों का कहना है कि उन्होंने इससे पहले कभी बेटी की बारात निकलते नहीं देखा है. वहीं, लड़की के पिता का कहना है कि उन्होंने महिलाओं को समानता का अधिकार देने के लिए बेटी की बारात निकाली है.

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पिता ने बेटी की निकाली बारात
पिता ने बेटी की निकाली बारात

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में अनोखा मामला देखने को मिला है. बेटी की शादी से ठीक एक दिन पहले पिता ने ढोल नगाड़ों के संग बारात निकाली है. इसको देखकर आसपास के लोग हैरान हो गए. लड़की के पिता का कहना है कि लड़कों की तरह उन्होंने अपनी बेटी की घुड़चढ़ी की है. यह उन्होंने महिलाओं को समानता का अधिकार देने के लिए किया है. इसमें परिवार के सभी लोगों ने उनका सहयोग किया है. 

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शहर के राम गंगा विहार स्थित हिमगिरी कॉलोनी के रहने वाले राजेश शर्मा अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा के प्रदेश महामंत्री है. उनकी बेटी की शादी बुधवार को है. इससे पहले उन्होंने महिलाओं को समानता का अधिकार देते हुए, बेटी श्वेता की घुड़चढ़ी कर बारात निकाली. इस दौरान बेटी लड़को की तरह ड्रेस पहनी और साथ में सेहरा भी पहनी. इसके बाद मंदिर में जाकर भगवान को प्रणाम की.   

मोहल्ले के लोग हैरान, फोन में कैद की तस्वीर

शादी से ठीक एक दिन पहले बेटी की बारात निकलते देख सभी लोग हैरान हो गए. क्योंकि यह बरात ठीक वैसे ही निकली, जैसे लड़के अपने शादी के दौरान तैयार होते हैं और मोहल्ले से बारात निकालते हैं. बेटी की बारात निकलते देख लोगों ने अपने फोन से फोटो भी लेने लगे. उनका कहना था कि इससे पहले कभी बेटी की बारात निकलते नहीं देखा है.

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बारात में बेटी ने जमकर डांस भी किया

पिता ने 27 साल बाद मनाई खुशियां

वहीं, लड़की के पिता राजेश शर्मा का कहना है कि उनके इस कार्य से बेटियों और बेटों में भेदभाव की मानसिकता रखने वाले लोगों में बदलाव आएगा. बेटा होता है, तो लोग खुशियां मनाते हैं. बेटी होते ही दुखी हो जाते हैं. मैंने 27 साल पहले खुशियां नहीं मनाई थी. अब मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ है.

लड़कियों को भी समानता का अधिकार मिलना चाहिए, इसलिए बेटी के विवाह के अवसर पर भूल का सुधार करते हुए बेटी की बारात नीकाली है. इससे निश्चित रूप से समाज को प्रेरणा मिलेगी. वह भी बेटियों को समानता का अधिकार के साथ जीने का अवसर देंगे.

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