उत्तर प्रदेश में एक मुस्लिम संगठन ने मौलवियों से आग्रह किया है कि अगर किसी समारोह में "डीजे म्यूजिक या ब्रास बैंड" बजाए जा रहे हैं तो वहां वे 'निकाह' नहीं कराएं. मुस्लिम महासभा ने एक बयान में कहा कि उसने उलेमाओं और मौलवियों का सहयोग मांगा है ताकि समुदाय को शादी के समारोह को सरल तरीके से आयोजित करने के लिए राजी किया जा सके.
साथ ही कहा कि मुस्लिम महासभा शादी समारोहों में पैसे की बर्बादी का विरोध जारी रखेगी. बयान में कहा गया है कि परिवारों से एक लिखित गारंटी भी ली जानी चाहिए कि वे भविष्य में इस "डीजे संस्कृति" को प्रोत्साहित नहीं करेंगे.
बता दें कि बीते माह ही झारखंड के धनबाद जिले के एक ब्लॉक में मौलवियों ने शादी समारोह के दौरान डांस, डीजे और आतिशबाजी पर रोक लगा दी थी. मौलवी का कहना है कि यह गैर-इस्लामी प्रथाएं हैं, इन्हें नहीं होना चाहिए. मौलवी ने कहा कि जो लोग इसका उल्लंघन करेंगे, उनकी पहचान कर जुर्माना लगाया जाएगा. एजेंसी के अनुसार, तब निरसा प्रखंड स्थित सिबिलीबाड़ी जामा मस्जिद के प्रमुख इमाम मौलाना मसूद अख्तर ने कहा था कि शादी में डांस, डीजे और आतिशबाजी पर पाबंदियां 2 दिसंबर से शुरू होंगी.
मौलाना ने कहा था कि हमने सर्वसम्मति से फैसला किया है कि निकाह इस्लामी धर्म के अनुसार किए जाएंगे. इस दौरान कोई नृत्य नहीं होगा. डीजे और आतिशबाजी भी नहीं की जाएगी. अगर किसी ने यह नियम नहीं माना तो उसकी पहचान कर उस पर 5100 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा. साथ ही मौलाना ने कहा कि शादी रात 11 बजे से पहले करनी होगी, क्योंकि उसके बाद का समय शुभ नहीं माना जाता है. उन्होंने कहा कि अगर कोई रात 11 बजे के बाद निकाह करने की कोशिश करता है तो उस पर भी जुर्माना लगाया जाएगा.