
उत्तर प्रदेश के एटा में जीते जी अपना क्रिया-कर्म कराने वाले शख्स की मौत हो गई है. उसकी तेरहवीं में सैकड़ों लोग आए थे. इलाके में इसकी खूब चर्चा हुई थी. हालांकि, तब किसी को नहीं पता था कि वो इतनी जल्दी दुनिया को अलविदा कह देगा. गांव वाले हैरान हैं कि दो दिन पहले हंसते हुए खुद का मृत्यु भोज कराने वाला शख्स आज ईश्वर को प्यारा हो गया है.
बता दें कि एटा निवासी बुजुर्ग हाकिम सिंह ने 15 जनवरी को ही अपना क्रिया-कर्म करवाया था. जीते जी तेरहवीं और पिंडदान करने के पीछे की वजह बताते हुए हाकिम ने कहा था कि परिवार वालों से उसका भरोसा उठ गया है. मरने के बाद वो मेरी तेरहवीं करेंगे या नहीं, इसका पता नहीं. इसलिए जिंदा रहते हुए ही सारी क्रियाएं करा लीं.
अब इस घटना के तीसरे दिन हाकिम सिंह का निधन हो गया है. लोगों का कहना है कि शायद हाकिम को अपनी मौत का पूर्व आभास हो गया था. बताया जा रहा है कि हाकिम की डेथ नेचुरल है. शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया है.
कार्ड बांटकर कराया था मृत्यु भोज
बता दें कि सकीट कस्बा के मुहल्ला मुंशी नगर के रहने वाले हाकिम सिंह ने कार्ड छपवाकर अपनी तेरहवीं के निमंत्रण बांटे थे, जिसमें करीब 800 लोग शामिल हुए थे. इससे पहले हाकिम ने तेरहवीं में होने वाले अनुष्ठान पूर्ण कराए थे.
जानकारी के मुताबिक, हाकिम सिंह ने बिहार की एक युवती के साथ विवाह किया था. लेकिन कुछ समय साथ रहने के बाद पत्नी उन्हें छोड़कर अपने घर चली गई. हाकिम की कोई संतान न होने के कारण परिजनों ने उनकी जमीन और मकान पर कब्जा कर लिया. उनके व्यवहार से हाकिम काफी परेशान रहते थे.
हाकिम सिंह ने बताया था कि भाई-भतीजे मकान और 5 बीघा खेत के लिए अक्सर उनके साथ मारपीट करते है. उन्होंने कुछ दिनों पहले मारपीट कर हाथ भी तोड़ दिया था. ऐसे में भरोसा नहीं था कि मृत्यु होने के बाद वे लोग मेरी तेरहवीं आदि करेंगे या नहीं.