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संभल में 7वें दिन भी 'रानी की बावड़ी' की खुदाई जारी, ASI टीम ने मापी गहराई, तीन मंजिला होने का अंदेशा

संभल में शुक्रवार को रानी की बावड़ी (Sambhal Rani ki Bawadi) की खुदाई वाली जगह पर ASI टीम दूसरी बार पहुंची. टीम ने फीता डालकर इसकी गहराई मापी. फिलहाल, इस बावड़ी की पहली मंजिल तक खुदाई हो चुकी है. इसके तीन मंजिला होने का अंदेशा है.

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संभल में बावड़ी की खुदाई
संभल में बावड़ी की खुदाई

उत्तर प्रदेश के संभल में ASI का सर्वे जारी है. शुक्रवार को रानी की बावड़ी (Sambhal Rani ki Bawadi) की खुदाई वाली जगह पर ASI टीम दूसरी बार पहुंची. टीम ने फीता डालकर इसकी गहराई मापी. फिलहाल, इस बावड़ी की पहली मंजिल तक खुदाई हो चुकी है. बावड़ी की खुदाई का आज 7वां दिन है. इसको लेकर पुलिस-प्रशासन अलर्ट है. 

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आपको बता दें कि संभल जिले के चंदौसी इलाके में ऐतिहासिक बावड़ी की खुदाई के दौरान बड़ा खुलासा हुआ है. यहां 12 फीट की खुदाई के बाद मजदूरों को बावड़ी की पहली मंजिल का तल मिला है. चंदौसी की यह बावड़ी कई दशकों से मिट्टी और कचरे के ढेर में दबी थी. इसके अंदर पुराने समय की पत्थरों से बनी संरचनाएं और सुरंगनुमा रास्ते हैं. 

फिलहाल, ASI सर्वेक्षण टीम लक्ष्मणगंज क्षेत्र में खुदाई के दौरान मिली प्राचीन बावड़ी का निरीक्षण कर रही है. बताया गया कि ये बावड़ी बिलारी सहसपुर के राजा चंद्र विजय सिंह की है, जिसे रानी सुरेंद्र बाला को रियासत के मैनेजर ने रहने के लिए दी थी. 

बिलाड़ी की रानी सुरेंद्र बाला की सबसे छोटी पोती शिप्रा बाला ने बताया कि मेरे पिता ने इसे बदायूं के अनेजा को बेचा था क्योंकि प्रॉपर्टी में कई हिस्सेदार थे, लेकिन उन्होंने प्लॉटिंग करके इसे मुस्लिमों को बेच दिया. इस कोठी को भी अनेजा ने आधे से ज्यादा मुस्लिमों को बेच दिया.  

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7वें दिन भी खुदाई जारी, बावड़ी के तीन मंजिला होने का अंदेशा

मुस्लिम बहुल मोहल्ला लक्ष्मणगंज में मिली बावड़ी में 7वें दिन भी खुदाई जारी है. बावड़ी की पहली मंजिल के गलियारों से मिट्टी हटाने का काम जारी है. इस बीच ASI टीम भी बावड़ी स्थल पर पहुंच कर जांच पड़ताल में जुट गई है. टीम ने बावड़ी की पहली मंजिल के गलियारों में घुस कर छानबीन कर फोटो और वीडियोग्राफी भी की है. इससे पहले, गुरुवार को भी पहली मंजिल के गलियारों से मिट्टी हटाने का काम किया गया. दिन भर की मेहनत के बाद पहली मंजिल के एक साइड के गलियारे का पूरा फर्श साफ कर दिया गया. वहीं, बावड़ी में उतर रही सीढ़ियों के सामने एक कुआं होना बताया जा रहा है. 

ये भी पढ़ें- 12 फीट तक खुदाई, मिल गया पहली मंजिल का तल... संभल की बावड़ी का क्या है सीक्रेट? सामने आईं अंदर की तस्वीरें

रानी की ये बावड़ी करीब 150 साल पुरानी बताई जाती है. इसका इस्तेमाल पहले पानी स्टोर करने के लिए और सैनिकों के आराम करने के लिए किया जाता था. इन दीवारों में अभी भी नमी है क्योंकि यहां पानी रहता था. बावड़ी की बनावट पहले के जमाने की है. कहा जा रहा है कि तीन मंजिला बावड़ी है. यहां से 150 मीटर दूर इलाके का प्रसिद्ध मंदिर है.  

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