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बीजेपी के कद्दावर नेता और यूपी की कैसरगंज सीट से सांसद बृजभूषण शरण सिंह अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. हाल ही में उन्होंने 'बुलडोजर एक्शन' को लेकर जो बयान दिया उसकी काफी चर्चा हो रही है. बीजेपी सांसद ने दो टूक कहा कि वो बुलडोजर नीति के खिलाफ हैं. इसके अलावा उन्होंने आगामी लोकसभा चुनाव में टिकट को लेकर अपनी दावेदारी पर भी जोरदार बयान दिया है. महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोप उनपर लगा ही है. इन्हीं सब मुद्दों पर सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने 'आज तक' से खास बातचीत की और अपना पक्ष रखा.
भारत ने एशियन गेम्स में मेडल्स का शतक लगाया, कुश्ती में ये हाल क्यों?
इस सवाल के जवाब में बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि हम लोग पॉलिसी को लेकर आए थे कि बिना ट्रायल के कोई भी इंटरनेशनल प्रतियोगिता में नहीं जाएगा. एक-एक वेट कैटेगरी में अब चार-चार, पांच-पांच बच्चे तैयार हैं. बजरंग पुनिया पर भी मैंने कहा था बिना ट्रायल के नही जाना चाहिए. बिना ट्रायल के गए नतीजा आ गया. बजरंग ट्रायल करके जाता तो गोल्ड तय था. जनवरी से इस कुश्ती को ग्रहण लगना शुरू हुआ. फिर धरना-प्रदर्शन और राजनीति शुरू हुई.
2014 में सरकार में आने के बाद पीएम मोदी ने खेलों पर फोकस को बढ़ाया. हर क्षेत्र में बदलाव लाए, खेल में भी लाए. इसी का नतीजा है कि मेडल्स की संख्या बढ़ी है. इतिहास में सबसे ज्यादा मेडल आए हैं. दुनिया मे केवल दो देश हैं, अमेरिका और भारत जो अपनी पूरी टीम भेजते हैं. चाहे मेडल मिले या न मिले. पहले 15 देशों के बाद हमारा नंबर आता था. लेकिन आज हम दुनिया के टॉप 5 में हैं. हम वर्ल्ड चैंपियन भी बनने लगे हैं. 18-18, 19-19 मेडल आने लगे हैं.
महिला पहलवानों ने आप पर जो आरोप लगाए हैं वो बेहद गंभीर हैं, क्या कहेंगे इस पर?
मुझ पर मुकदमा नहीं चल रहा बल्कि मेरे ऊपर चार्जशीट दाखिल हुई है. इस चार्जशीट को मैंने चैलेंज किया है. क्योंकि इसमें छेड़छाड़ की जो जगह बताई जा रही है और जो तारीख बताई जा रही है उस दिन मैं वहां से 500 किलोमीटर दूर था. मैंने कोई गलत काम नहीं किया है. इसलिए मुझे न्याय मिलेगा. दो-तीन महीने में रिजल्ट आ जाएगा. आप सब कुछ ही देख लीजिएगा. सार्वजनिक जीवन में बहुतों पर आरोप लगे हैं. क्या सभी पद छोड़-छाड़ के बैठ गए. ऐसे नहीं होता. मेरे ऊपर लगे आरोप फर्जी हैं. मैं इन्हें साबित करके दिखाऊंगा.
आखिर पहलवान आपके विरोध में क्यों आए?
इसके पीछे की राजनीति पर मैं नहीं जाना चाहता. कुश्ती को जनवरी से ग्रहण लगना शुरू हुआ. 18 तारीख से धरना शुरू हो गया. शुरूआत में मांग की गई कि फेडरेशन के अध्यक्ष को हटाया जाए. यहां से बढ़ते-बढ़ते बात यौन उत्पीड़न तक पहुंची. पहले कहा हमारे साथ नहीं हुआ दूसरे खिलाड़ियों के साथ हुआ. बाद में कहने लगे कि हमारे साथ ही हुआ है. सब आरोप ओपन एरिया के हैं. मेडल पहनाते हुए या मीटिंग आदि के दौरान.
मुझे कुश्ती संघ दान में नही मिला था. 25 राज्य हैं. उनके वोटर हैं. उन्होंने वोट दिया तब जीता. हरियाणा के दीपेन्द्र हुड्डा चुनाव लड़े तो थे. तीन-चार वोट मिला था. इस बार भी लड़ के देख लें. इतने ही मिलेंगे. हमारे साथ देश के लोग हैं. हमें पसंद करते हैं. जो सही होता वो मैं डंके की चोट पर कहता हूं. यही बात कुछ लोगों को चुभ जाती है.
इस बार कुश्ती संघ चुनाव को लेकर क्या प्लान है?
फिलहाल, तो मैंने कुश्ती संघ से खुद को अलग कर लिया है. अपने परिवार को भी इसमें शामिल नहीं करूंगा. हां, लेकिन मैं कुश्ती से हरदम जुड़ा रहूंगा. इस बार हमारे कैंडिडेट संजय सिंह हैं. वाराणसी के रहने वाले हैं. वही जीतेंगे ये चुनाव. पूरा देश एकजुट है.
आप पर आरोप लगते रहे लेकिन पार्टी साथ खड़ी रही, ऐसा क्यों?
पार्टी को पता था कि बृजभूषण शरण सिंह कुछ भी कर सकते हैं लेकिन यह कदापि नहीं कर सकते. हमारे लिए पार्टी सर्वोपरि है. मैं अपराधी बन कर नहीं रह सकता. मेरी सबसे मुलाकात होती रहती है. अमित शाह जी से भी होती रहती है. योगी जी से दुआ सलाम होती है.
आपके खिलाफ सपा, बसपा क्यों नहीं बोलती?
मेरे संबंध सबसे मधुर हैं. मेरे खिलाफ न बोलकर अखिलेश जी को फायदा ही हुआ. यूपी में कुश्ती खेलने वाले अधिकांश लड़के यादव बिरादरी से हैं. मैं उनका भला चाहता हूं. ये बात वो लोग भी समझते हैं. इसलिए सपोर्ट करते हैं. वैसे भी सब जानते हैं कि बृज भूषण पर जो आरोप लगे हैं वह काम वो कभी नहीं कर सकता.
क्या पार्टी आपको ही कैसरगंज से चुनाव लड़वाएगी, दूसरी पार्टी का विकल्प भी खुला है?
कैसरगंज ही क्यों मुझे हरियाणा से भी चुनाव लड़ने के लिए वहां के लोग कह रहे हैं. अगर पार्टी कहेगी तो मैं हरियाणा से ही चुनाव लड़ जाऊंगा. हरियाणा में जाट ही मुझे वहां से चुनाव लड़ना चाहते हैं. हरियाणा बृज भूषण को पसंद करता है. हालांकि, पार्टी तय करेगी चुनाव कहां से लड़ना है. जो पार्टी तय करेगी मैं उसे मानूंगा. आखिर बड़े-बड़े मंत्री लड़ ही रहे हैं ना. आयोध्या आता-जाता हूं. वो जगह बेहद पसंद है. लेकिन चुनाव वहां से नही लड़ूंगा. कैसरगंज पहली पसंद है.
और देखिए बीजेपी मेरी मूल पार्टी है. बीजेपी से अलग होने का सवाल ही नहीं. पूरा जीवन बीजेपी में गुजरा है. राम जन्मभूमि आंदोलन में मैं आरोपी रहा हूं. बीजेपी छोड़ने का सवाल कहां है. मेरा गुनाह क्या है. जो भी मुझ पर आरोप लगे हैं सब झूठे और गलत हैं. अपराधी बनकर नहीं जाऊंगा.
आपका बयान है कि बुलडोजर नीति गलत है, ये नहीं चलना चाहिए. क्या मतलब है इसका?
बुलडोजर नीति गलत है. कोर्ट कचहरी का क्या मतलब फिर. अब अवैध निर्माण गिराया जा रहा है. जिस समय निर्माण हो रहा था तब क्यों नहीं रोका. कौन कलेक्टर था तब. किसने नक्शा पास किया था. उस वक्त आंख बंद रखने वालों पर एक्शन क्यों नहीं. वो भी तो दोषी हैं. इसमें योगी सरकार की बात नहीं है. यह अब अधिकारियों की करतूत है.
क्या बुलडोजर सरकार की बिना सहमति के चल रहा है?
इसमें योगी जी का दोष नहीं है. यह सब अधिकारियों की नीति है. यही लोग अवैध निर्माण करवाते हैं फिर उसपर बुलडोजर चलवाते हैं. ये बीजेपी का एजेंडा नहीं है. योगी बाबा खुद बुलडोजर लेकर नहीं जाते हैं. जो अधिकारी अवैध मकान बनवाते हैं वहीं बुलडोजर लेकर जाते हैं. योगी जी हमारे नेता हैं. हम महाराज जी से जुड़े हैं. काफी समय से.
अखिलेश यादव ने कहा कि उनकी सरकार में भी बुलडोजर का कारखाना चालू रहेगा, तो फिर?
अखिलेश यादव कह रहे हैं कि उनके वक्त में भी बुलडोजर का कारखाना चालू रहेगा यानी अब वह भी धमकाने पर उतर आए हैं. अखिलेश जी हम इसको धमकी मानें क्या कि आपकी सरकार आई तो ठाकुरो, ब्राह्मणों, सवर्णो का घर गिराएंगे. यूपी की जनता को धमकाना बंद करिए. हमारे संबंध अखिलेश जी, मुलायम जी दोनों से थे. बुलडोजर वाली एकदम गलत बोली.
वहीं, बीते दिन लखनऊ में JPNIC का गेट फांदकर जयप्रकाश नारायण को श्रंद्धांजलि देने के मामले में बृज भूषण सिंह ने कहा कि इसके पहले कुछ कार्यक्रम नहीं किया. अब दिखावा कर रहें. आखिर गेट में ताला किस अधिकारी ने बंद किया. नहीं करना चाहिए था. मुफ़्त में चर्चा में आ गए. मीडिया में छा गए.
जानिए बृजभूषण शरण सिंह के बारे में
बता दें कि 1991 से अभी तक बृजभूषण शरण सिंह 6 बार सांसद रह चुके हैं. वो तीन बार कैसरगंज से, दो बार गोंडा और एक बार बलरामपुर से सांसद रहे हैं. एक बार उनकी पत्नी भी चुनाव जीती है. बृजभूषण सिंह के बेटे बीजेपी से दो बार के विधायक हैं. बृजभूषण अपने इलाके के बाहुबली ठाकुर नेता हैं. कई दर्जन शिक्षण संस्थानों, खासकर स्कूल और कॉलेज के मालिक हैं. जिससे उनका प्रभाव लगभग हर घर तक माना जाता है. राजनीतिक पकड़ हर पार्टी में मानी जाती है.
सांसद बृजभूषण सिंह अपनी कई रैलियां में यह दावा कर चुके हैं कि वो कैसरगंज से ही चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने हाल ही में मीडिया के सवाल पर कहा था- मेरा टिकट कौन काट रहा है, नाम बताओ, है हिम्मत.