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जिस अनुराग दुबे के केस में SC ने यूपी पुलिस को फटकारा, जानिए उसके गैंगस्टर भाई की क्राइम कुंडली, दारोगा हत्याकांड में काट रहा उम्रकैद की सजा

फर्रूखाबाद निवासी माफिया अनुराग दुबे का एक भाई अनुपम दुबे मथुरा जेल में बंद है, उसपर भी 50 से अधिक केस दर्ज हैं. वह दारोगा हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. आइए जानते हैं दुबे ब्रदर्स की क्राइम कुंडली... 

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माफिया अनुपम दुबे और अनुराग दुबे
माफिया अनुपम दुबे और अनुराग दुबे

उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद का एक गैंगस्टर सुर्खियों में है, नाम है अनुराग दुबे उर्फ डब्बन. सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग दुबे की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपी पुलिस को जमकर फटकार लगाई है. कोर्ट ने यह तक कह दिया कि अगर याचिकाकर्ता (अनुराग दुबे) को छुआ गया तो डीजपी के खिलाफ ऐसा आदेश पारित करेंगे कि जिंदगी भर याद रहेगा. ये वही अनुराग है जिसके ऊपर दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं. जबकि, उसका एक भाई अनुपम दुबे जो मथुरा जेल में बंद है, उसपर भी 50 से अधिक केस दर्ज हैं. आइए जानते हैं दुबे ब्रदर्स की क्राइम कुंडली... 

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आपको बता दें कि अनुराग दुबे उर्फ डब्बन का नाम राज्यस्तरीय माफिया की लिस्ट में शामिल है. वह बसपा नेता अनुपम दुबे का छोटा भाई है. साथ ही माफिया अनुपम दुबे गैंग का सक्रिय सदस्य भी है. आरोप है कि दोनों माफिया भाई गैंग चलाते हैं और क्षेत्र में दहशत फैलाते हैं. इलाके में इनकी खूब दादागिरी चलती है. अनुमान के मुताबिक, इन दोनों का 100 करोड़ रुपये से अधिक का साम्राज्य है. उनकी गिनती प्रदेश के बाहुबली माफियाओ में होती है.

बसपा में रहा अनुपम दुबे हरदोई की सवायजपुर विधानसभा सीट से वर्ष 2017 में चुनाव लड़ चुका है. हालांकि, इस चुनाव में उसे हार का सामना करना पड़ा था. वर्तमान में अनुपम मथुरा जेल में बंद है. वहीं, अनुराग पुलिस के डर से पिछले कई महीनों से अंडरग्राउंड चल रहा है. 

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दुबे ब्रदर्स की क्राइम कुंडली 

अनुपम और अनुराग मूल रूप से फर्रूखाबाद के फतेहगढ़ कोतवाली क्षेत्र के कसरट्टा बाजार निवासी हैं. अनुपम दुबे पर 60 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं. फिलहाल, वह पुलिस इंस्पेक्टर हत्याकांड में मथुरा की जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. वहीं, उसका एक और भाई अभिषेक दुबे मोहम्दाबाद ब्लॉक प्रमुख रहा है. अभिषेक भी एक आपराधिक मामले में हरदोई की जेल में निरुद्ध है. उसपर भी कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. 

ये भी पढ़ें- 100 करोड़ का साम्राज्य, 50 से ज्यादा मुकदमे, इलाके में खौफ...कौन है अनुराग दुबे जिसके केस में यूपी पुलिस को मिली 'सुप्रीम' फटकार?

जबकि, अनुराग दुबे पुत्र महेश दुबे पर लगभग डेढ़ दर्जन मामले दर्ज हैं, जिनमे अधिकांश जमीन कब्जाने जुड़े हैं. गौरतलब है कि अनुराग पर अधिकांश आपराधिक मामले माफिया भाई अनुपम दुबे के जेल जाने के बाद दर्ज हुए हैं. पुलिस लगातार पर उसपर शिकंजा कस रही है.  

फर्रूखाबाद के मऊदरवाजा थाना क्षेत्र में बढ़पुर स्थित एक प्लॉट को लेकर शकुंतला देवी नाम की महिला ने दुबे ब्रदर्स सहित चार लोगों के खिलाफ रंगदारी मांगने व धोखाधड़ी से बैनामा कराने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था. इसी मुकदमे में अनुराग को पुलिस की तलाश है, जो कि फरार चल रहा है. इस बीच पुलिस ने उसके घर की कुर्की का निर्णय लिया, जिसको लेकर अनुराग लोअर कोर्ट पहुंच गया. जब स्थानीय अदालत से कोई राहत नहीं मिली तो उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. बीते दिन सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई की, साथ ही अनुराग को राहत देते हुए यूपी पुलिस पर सख्त टिप्पणी की. 

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जानकारी के मुताबिक, अनुराग दुबे व उसके बड़े भाई अनुपम दुबे और परिजनों की अब तक 200 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को गैंगस्टर एक्ट के तहत कुर्क की जा चुकी है. इसमें आवासीय, व्यावसायिक व कृषि भूमि शामिल है. वही शहर के पॉश इलाके में स्थित करोड़ों की लागत का एक आलीशान होटल भी जमीदोज किया चुका है. 

पुलिस के अनुसार, यह होटल तालाब की जमीन पर बना था, जिसको लेकर जिला प्रशासन ने बुलडोजर एक्शन लिया. इसके साथ ही पुलिस माफिया अनुपम दुबे गैंग के दूसरे सदस्यों पर भी एक्शन ले रही है. इस क्रम में गैंग के एक सदस्य विनय दुबे की भी 2  करोड़ से अधिक की संपत्ति को कुर्क किया जा चुका है. 

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

28 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुईयां की बेंच अनुराग दुबे की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी. कोर्ट के समक्ष अनुराग दुबे के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता बार-बार पेशी पर आ रहा है, फिर भी उसपर मुकदमे लादे जा रहे हैं. डर के मारे याची पेशी पर नहीं आ पा रहा. जिसपर कोर्ट ने कहा कि पुलिस अपनी पॉवर एन्जॉय कर रही है. अब अगर याचिकाकर्ता को पुलिस ने छुआ भी तो ऐसा आदेश देंगे कि डीजीपी सारी जिंदगी याद रखेंगे. हालांकि, याचिकाकर्ता को पुलिस को सहयोग करना होगा. 

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सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा कि वह शायद इसलिए पेश नहीं हो रहे हैं क्योंकि उसे पता है कि यूपी पुलिस उस पर एक और केस लगा देगी. आप कितने केस लगाएंगे उसपर? पुलिस को संवेदनशील होने की जरूरत है. जब आजकल सब कुछ डिजिटल है तो कौन सिर्फ पत्र (समन) भेजता है?

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