उत्तर प्रदेश में करीब एक साल बाद फिर सरकारी संस्थान से करोड़ों रुपए ठगने का दूसरा केस सामने आया है. हाल ही में राजधानी लखनऊ की अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (AKTU) के खाते से 120 करोड़ रुपये की ठगी करने वाला गैंग पकड़ा गया है. जालसाजों ने जिस तरह से ठगी को अंजाम दिया, ठीक उसी तरह पिछले साल भी नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) को भी करोड़ों रुपए का चूना लगाया गया था. खास बात यह है कि दोनों संस्थानों के पैसे हड़पने के लिए एक ही तरह की मॉडस ऑपरेंडी अपनाई गई. दोनों ही मामलों के बारे में जानिए...
हजरतगंज के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के ब्रांच मैनेजर अनुज सक्सेना ने शिकायत दर्ज करवाई कि बीते 3 जून को डॉक्टर शैलेश कुमार रघुवंशी नाम के एक शख्स का उनके पास 100 करोड़ की एफडी करवाने के लिए कॉल आया था. ठीक उसके बाद किसी जय कुमार उर्फ एनके सिंह नाम के शख्स का भी कॉल आया. जय कुमार नाम बताते हुए शख्स ने अपना परिचय AKTU के वित्त अधिकारी के तौर पर दिया. कहा कि बैंक में खाता खुलवाना है. इस पर मैनेजर ने दोनों को बैंक की ब्रांच में जाने को कह दिया.
लेकिन इसके बाद 4 जून को जय कुमार नाम का शख्स बैंक से आकर एफडी का ऑफर लेटर लेकर चला गया. इसके बाद उसने यूनियन बैंक की फर्जी मेल आईडी क्रिएट की और उस आईडी से AKTU की मेल आईडी पर एफडी का ऑफर लेटर भेज दिया. फिर AKTU की एक फर्जी मेल आईडी बनाकर बैंक की ऑफिशियल मेल आईडी पर एक और ऑफर लेटर की मांग की.
इसके बाद 5 जून को AKTU के अधिकृत बैंक खाते से यूनियन बैंक को 120 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए. उसी दिन खुद को यूनिवर्सिटी का वित्त अधिकारी बताने वाले शख्स का नाम लेकर तीसरा शख्स अनुराग श्रीवास्तव बैंक आया और उसने खुद को मुख्य खाता अधिकारी बताते हुए फर्जी कागजात के आधार पर यूनिवर्सिटी के नाम से एक खाता खुलवाया. इसके बाद तुरंत एक चेक बुक भी निलवाकर पूरे 120 करोड़ रुपए गुजरात की 'श्री श्रद्धा एजुकेशन एंड चैरिटेबल ट्रस्ट' में खाते ट्रांसफर कर दिए.
एक ही दिन में 120 करोड़ बैंक से निकलने पर UBI के अफसरों ने यूनिवर्सिटी जाकर संपर्क तब किया तो ठगी खुलासा हुआ. जानकारी मिलने पर यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया ने पूरे ट्रांजेक्शन को रोक लिया.
Ubi के चीफ मैनेजर अनुज सक्सेना की ओर से एफआईआर दर्ज करवाई गई. जांच के बाद लखनऊ साइबर टीम ने 7 लोगों- गिरीश चंद्रा, शैलेश रघुवंशी, जोशी देवेंद्र प्रसाद, केके त्रिपाठी, दस्तगीर आलम, उदय पटेल और राजेश बाबू को गिरफ्तार कर लिया.
पढ़िए नोएडा अथॉरिटी में जालसाजी की पूरी कहानी
साल 2023 में नोएडा अथॉरिटी ने बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) और एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) में 200-200 करोड़ की एफडी बनवाई थी. जालसाजों ने पूरी प्लानिंग के तहत एक बैंक से 200 करोड़ रुपये निकालने की कोशिश की. चार करोड़ रुपये निकाल भी लिए गए. 9 करोड़ और निकालने की तैयारी थी कि उससे पहले ही बैंक को शक हो गया और ट्रांजेक्शन रोक दिए गए.
ऐसे शुरू हुआ ठगी का खेल
दरअसल, बैंक ऑफ इंडिया और एचडीएफसी से एफडी बनकर नोएडा अथॉरिटी के दफ्तर आ चुकी थीं. अधिकारियों ने इन एफडी (FD) को बिना जांच पड़ताल किए फाइल में लगा दिया और संबंधित लोगों को इसकी जानकारी भेज दी. नियम के मुताबिक, जिस बैंक में एफडी खोली जाती है, वहां खाता भी होना चाहिए. ऐसे में दोनों जगह बैंक अकाउंट खोलने की प्रकिया शुरू कर दी गई. फिर यही से शुरू हो गई जालसाजी...
जालसाजों को पता था कि बैंक में खाता खोला जाना है. ऐसे में उन्होंने 2300 किमी से ज्यादा दूर पुडुचेरी के रहने वाले अब्दुल खादर का फर्जी परिचय पत्र बनवाया. इसमें अब्दुल को नोएडा अथॉरिटी का अकाउंटेंट बताया गया. गैंग के सदस्य अब्दुल के साथ बैंक आने जाने लगे. बैंक कर्मी भी अब्दुल का परिचय पत्र देखकर उसे अथॉरिटी का कर्मचारी समझने लगे. इसी विश्वास का फायदा उठाकर अब्दुल बैंक खाता खुलवाने में कामयाब हो गया. इस तरह बैंक ऑफ इंडिया में नोएडा अथॉरिटी के नाम पर ऐसा खाता खुला, जिसमें मोबाइल नंबर और ईमेल एड्रेस जालसाजों ने अपना दिया था. इस गैंग ने खाता खुलवाने के लिए जो कागजात दिए, उनमें वित्त नियंत्रक और मुख्य वित्त अधिकारी के फर्जी साइन थे.
अब्दुल खादर ने सबसे पहले बैंक अधिकारियों से कहा कि 200 करोड़ की एफडी में से 3 करोड़ 90 लाख खाते में ट्रांसफर कर दो. बैंक अधिकारियों ने बिना जांच पड़ताल के पैसा ट्रांसफर कर दिया. गैंग से जुड़े लोगों ने उस पैसे को तुरंत कई अन्य खातों में ट्रांसफर कर लिया.
इसके बाद अब्दुल को 9 करोड़ रुपये निकालने के लिए एक बार फिर से बैंक भेजा गया. बैंक अधिकारियों को इस पर कुछ शक हुआ. उन्होंने कुछ बहाना बनाकर तुरंत पैसा ट्रांसफर करने से मना कर दिया और अगले दिन आने को कहा. दूसरे दिन जैसे ही अब्दुल बैंक पहुंचा, अधिकारियों ने बातों में लगा लिया. इसी दौरान बैंक की एक टीम नोएडा अथॉरिटी पहुंच गई.
जैसे ही बैंक वालों ने अथॉरिटी को ये बताया कि 3 करोड़ 90 लाख रुपये ट्रांसफर हो चुके हैं और आज 9 करोड़ और ट्रांसफर होने हैं, तो अधिकारियों में हड़कंप मच गया. उन्होंने बताया कि पैसे तो कहीं ट्रांसफर होने ही नहीं थे. इसके बाद बैंक में भी खलबली मच गई. इसी बीच अब्दुल के जो साथी बैंक के बाहर थे, वो खतरा भांपकर भाग गए.
इस संबंध में अथॉरिटी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 23 जून 2023 को 200 करोड़ रुपये एफडी के रूप में जमा कराने के लिए बैंक ऑफ इंडिया (सेक्टर-62, नोएडा) को दिए गए थे. बैंक ने एफडी के पेपर्स अथॉरिटी को उपलब्ध कराए थे. एफडी बनने के बाद नियमानुसार पैसे निकाले नहीं जा सकते, बावजूद इसके बिना किसी आदेश के बैंक ने 3 करोड़ 80 लाख रुपये तीन व्यक्तियों को ट्रांफसर कर दिए. मामले की जानकारी मिलते ही बैंक ऑफ इंडिया के खिलाफ सेक्टर-58 पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है. बैंक द्वारा लिखित आश्वासन दिया गया है कि पूरी धनराशि जल्द ही उपलब्ध करा दी जाएगी.