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वसूली का एक केस और ऐसे यूपी से पंजाब की जेल तक पहुंचा था मुख्तार, अदालती लड़ाई लड़कर योगी सरकार लाई थी बांदा जेल

उत्तर प्रदेश की मऊ विधानसभा से पूर्व विधायक और गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की गुरुवार को मौत हो गई. वो बांदा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा था. मुख्तार को करीब दो साल तक पंजाब की रोपड़ जेल में भी रखा गया था.

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मुख्तार अंसारी (फाइल फोटो/PTI)
मुख्तार अंसारी (फाइल फोटो/PTI)

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के माफिया डॉन और मऊ विधानसभा से पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) की गुरुवार को मौत हो गई. बांदा जेल में अचानक उसकी तबीयत बिगड़ने के बाद मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए ले जाया गया था. यहां इलाज के दौरान शाम करीब 08:25 बजे उसकी मौत हो गई. मौत का कारण हार्ट अटैक बताया गया है. बता दें कि मुख्तार को कुछ दिनों के लिए पंजाब की रोपड़ जेल में भी रखा गया था.

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कांग्रेस की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार के तहत मुख्तार अंसारी को जनवरी 2019 से अप्रैल 2021 तक दो साल से ज्यादा वक्त तक पंजाब की रोपड़ जेल में रखा गया था. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके पंजाब सरकार पर मुख्तार को बचाने का आरोप लगाया था. आइए जानते हैं कि कौन से मामले में मुख्तार अंसारी को पंजाब की जेल ले जाया गया था और कैसे उत्तर प्रदेश सरकार ने कानूनी लड़ाई के जरिए उसे बांदा जेल में शिफ्ट करवाया था.

वसूली का मामला और रोपड़ जेल में मुख्तार अंसारी

होमलैंड ग्रुप (Homeland Group) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) की शिकायत पर जबरन वसूली (भारतीय दंड संहिता की धारा 386) और आपराधिक धमकी (आईपीसी की धारा 506) के आरोप में मामला दर्ज होने के बाद मुख्तार अंसारी को जनवरी 2019 से पंजाब जेल में बंद था. सीईओ ने मोहाली एसएसपी को दी अपनी शिकायत में कहा था कि 9 जनवरी, 2019 की शाम को उन्हें एक कॉल आई, जिसने खुद को 'यूपी के किसी अंसारी' के रूप में पेश किया और उनसे कहा कि 10 करोड़ रुपये का भुगतान करें. शिकायतकर्ता ने कहा कि उसने कॉल रिकॉर्ड कर ली है. पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज की, जिसमें अंसारी को आरोपी बनाया गया.

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यह केस के दर्ज होने के कुछ दिनों बाद पंजाब पुलिस मुख्तार अंसारी को यूपी की बांदा जेल से प्रोडक्शन वारंट पर लेकर आई थी. 

यह भी पढ़ें: 'जेल में एक दिन खाना खाते ही हाथ-पैरों की नसों में उठा दर्द...', मुख्तार अंसारी ने कोर्ट में की थी 'धीमा जहर' देने की शिकायत

सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार की याचिका

26 मार्च 2021 को, उत्तर प्रदेश सरकार की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया था कि मुख्तार अंसारी की हिरासत दो हफ्ते के अंदर यूपी सरकार को सौंपी जाए. कोर्ट में सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने पंजाब सरकार पर मुख्तारी अंसारी को बचाने का आरोप लगाया था.

उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक दोषी या विचाराधीन कैदी, जो देश के कानून को नहीं मानता है, एक जेल से दूसरे जेल में अपने ट्रांसफर का विरोध नहीं कर सकता है और जब कानून के शासन को चुनौती दी जा रही हो, तो अदालतों को असहाय दर्शक नहीं बनना चाहिए.

Ex MLA Mukhtar Ansari
मुख्तार अंसारी (फाइल फोटो)

3 अप्रैल को, पंजाब गृह मंत्रालय विभाग ने अपने उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों को मुख्तार की हिरासत सौंपने के लिए बात की थी. पंजाब के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अनुराग अग्रवाल ने यूपी एसीएस (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी को पत्र लिखकर कहा था कि रोपड़ जेल से मुख्तार अंसारी का ट्रांसफर किया जा सकता है.

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यूपी सरकार ने किस आधार पर मुख्तार अंसारी को यूपी जेल में ट्रांसफर करने की मांग की थी?

24 फरवरी 2021 को हुई सुनवाई के दौरान, उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पंजाब सरकार हत्या, जबरन वसूली, धोखाधड़ी के 10 जघन्य मामलों में मुकदमे का सामना कर रहे बीएसपी विधायक मुख्तार अंसारी को हिरासत में न सौंपकर 'बेशर्मी से उसकी रक्षा' कर रही है. अक्टूबर 2020 में बीजेपी विधायक और पूर्व विधायक कृष्णानंद राय (2005 में हत्या) की पत्नी अलका राय ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी को एक पत्र लिखकर पंजाब सरकार पर मुख्तार को अदालत में पेश होने से बचने में मदद करने का आरोप लगाया था. यूपी सरकार ने कोर्ट में यह भी कहा था कि मऊ सदर सीट से विधायक मुख्तार अंसारी को कृष्णानंद की हत्या के मामले में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में नामित किया गया था. दिल्ली की एक स्पेशल कोर्ट ने 2019 में मुख्तार को बरी कर दिया था.

यह भी पढ़ें: 'यह एक सांस्थानिक हत्या...', मुख्तार अंसारी की मौत पर किसने क्या दी प्रतिक्रिया

मुख्तार अंसारी को पंजाब जेल में क्यों रखना चाहती थी पंजाब सरकार? 

पंजाब जेल विभाग ने अपनी दलीलों में कहा था कि डॉक्टरों के एक पैनल ने 'मुख्तार अंसारी को लंबा सफर न करने की सलाह दी है.' राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा था कि मुख्तार को 2019 में PGIMER, चंडीगढ़ द्वारा और पिछले साल सितंबर (2020) में रोपड़ जिले में तीन डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा आराम की सलाह दी गई थी. 

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पंजाब ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत यूपी द्वारा दायर रिट याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि केवल नागरिक ही अपने मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं, न कि राज्य, जिसके पास कोई मौलिक अधिकार नहीं है. दूसरी ओर, यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि मुख्तार को पंजाब की जेल में ले जाना योजनाबद्ध लगता है और कार्यवाही में देरी करने की साजिश का संदेह पैदा करता है.

'प्रदेश में तरह-तरह की अफवाहें...'

उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी ओपी सिंह कहते हैं कि प्रदेश में तरह-तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं और हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. पुलिस और प्रशासन गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़, जौनपुर और वाराणसी जैसे इलाकों में पूरी तरह से अलर्ट है. पुलिस सड़कों पर गश्त कर रही है और लोगों को शांति बनाए रखने और अफवाहें न फैलाने के लिए कह रहे हैं. 

ओपी सिंह ने आगे कहा कि जब मुख्तार अंसारी पंजाब की जेल में बंद था, तो उसने मेडिकल आधार पर कई ऐसे आवेदन दिए थे, ताकि उसे यूपी की अदालतों में पेश न होना पड़े. मुख्तार लंबे वक्त से बीमार चल रहा था. जहर देने का आरोप लगाना बिल्कुल बेबुनियाद है. पोस्टमॉर्टम होने के बाद स्थिति बिल्कुल साफ हो जाएगी. मुख्तार अंसारी एक अपराधी, डॉन और माफिया था और उसकी मौत पर बहुत ज्यादा सोचा नहीं जाना चाहिए.

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