उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गोंडा जिले की एक कोर्ट ने 20 साल पहले नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी पर हमला करने के लिए दो लोगों को दोषी ठहराया है. यह मामला तब हुआ था, जब कैलाश सत्यार्थी और उनके साथियों ने पुलिस के साथ मिलकर सर्कस में काम करने वाली नाबालिग लड़कियों को बचाने की कोशिश की थी. एजेंसी के मुताबिक अदालत ने ग्रेट रोमन सर्कस के मालिक रजा मोहम्मद खान और प्रबंधक शफी खान को दोषी ठहराया है. कोर्ट ने बुधवार को निर्देश दिया कि दोनों को एक साल के लिए अच्छे आचरण के प्रोबेशन पर रिहा किया जाए. यह बात इस शर्त पर कही गई कि वो इस दौरान कानून नहीं तोड़ेंगे.
गोंडा के सहायक जिला सरकारी वकील अवनीश धर द्विवेदी ने कहा कि अदालत ने यह भी आदेश दिया कि हमले में घायल हुए चार लोगों में से प्रत्येक को पांच हजार रुपये का मुआवजा दिया जाए.
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सर्कस के मैनेजमेंट ने साल 2004 में 'बचपन बचाओ आंदोलन' के संस्थापक कैलाश सत्यार्थी, उनके बेटे भुवन, सहयोगी रमाकांत राय, राकेश सिंह और अन्य पर हमला किया था. बता दें कि ये सभी लोग पुलिस के साथ मिलकर सर्कस में काम करने वाली नाबालिग लड़कियों को बचाने की कोशिश की थी.
बचाव पक्ष से क्या दलील दी गई?
वकील ने बताया कि सुनवाई के दौरान एडिशनल सेशन जज राजेश नारायण मणि त्रिपाठी ने दोनों आरोपियों को दोषी करार दिया है. बचाव पक्ष के वकील ने तर्क दिया कि आरोपी अब बूढ़े हो चुके हैं, सर्कस बहुत पहले बंद हो चुका है और उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं है, इसलिए उन्हें रिहा किया जाना चाहिए. इस पर जज ने निर्देश दिया कि दोनों आरोपियों को एक साल के लिए अच्छे आचरण के प्रोबेशन पर रिहा किया जाए, बशर्ते कि वे कानून न तोड़ें.
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फैसले आने के बाद कैलाश सत्यार्थी ने क्या कहा?
अदालत के द्वारा फैसला सुनाए जाने के बाद अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कैलाश सत्यार्थी ने कहा, '20 साल की लंबी अपमानजनक और महंगी कानूनी लड़ाई के बाद, कुख्यात सर्कस के मालिक और प्रबंधक को गोंडा अदालत ने दोषी ठहराया और सजा सुनाई.'