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Ayodhya: राम भक्तों के लिए खुशखबरी, अब आरती में फिर हो सकेंगे शामिल... जानिए क्या करना होगा

अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भक्तों की भारी संख्या को देखते हुए आरती में शामिल होने के ऑनलाइन आवेदन निरस्त कर दिए गए थे. माना जा रहा है कि एक मार्च से नई व्यवस्था फिर से शुरू हो सकती है. मगर, अब रामलला के दर्शन के समय में एक घंटे की कटौती भी हो सकती है. जानिए कैसे कर सकते हैं आरती में शामिल होने के लिए आवेदन. 

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आरती में शामिल होने के लिए ऑनलाइन के अलावा ऑफलाइन का ऑप्शन भी भक्तों को मिलेगा.
आरती में शामिल होने के लिए ऑनलाइन के अलावा ऑफलाइन का ऑप्शन भी भक्तों को मिलेगा.

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी. इसके अगले दिन 23 जनवरी को जिस तरह श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी, उसको देखते हुए न सिर्फ श्री राम जन्मभूमि मंदिर में दर्शन पूजन का समय बढ़ा दिया, बल्कि आरती के लिए ऑनलाइन आए सभी आवेदनों को निरस्त कर दिया गया था. 

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अब एक बार फिर राम भक्तों के लिए खुशखबरी है. श्री राम जन्मभूमि मंदिर की सुबह की मंगला आरती और शयन आरती में राम भक्त एक बार फिर से शामिल हो सकते हैं. इसी के साथ हम आपको यह भी बताएंगे कि आने वाले दिनों में दोपहर में किस समय आपको श्री राम जन्मभूमि मंदिर में दर्शन नहीं हो सकेंगे.

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पहले आरती की थी यह व्यवस्था 

सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पहले अस्थाई मंदिर में रामलला की पूजन आरती और भोग शृंगार का समय क्या था. सबसे पहले सुबह 6:30 बजे मंगला आरती होती थी. उसके बाद सुबह 7:00 बजे से दर्शन प्रारंभ होता था, जो 11:30 बजे तक चलता था. 

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दोपहर को 12:00 बजे रामलला को भोग लगाया जाता था और आरती होती थी. उसके बाद रामलला के विश्राम के बाद 2:00 बजे मंदिर दर्शनार्थियों के लिए खुलता था और शाम 7:00 बजे तक दर्शन होते थे. ऑनलाइन आवेदन करने वाले लोगों को 7:30 बजे आरती में सम्मिलित होने का मौका मिलता था और 8:30 बजे शयन आरती के बाद रामलला को सुला दिया जाता था.

प्राण-प्रतिष्ठा के बाद ऐसे बदली व्यवस्था 

22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद अचानक श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा. इसके कारण दर्शन अवधि में बड़ा बदलाव हुआ और अब दर्शन पूजन की अवधि कुछ इस तरह है. अब प्रातः 4:00 बजे रामलला को उठाया जाता है. 4:30 बजे उनकी मंगला आरती होती है. इसके बाद उनका स्नान कराया जाता है और नए वस्त्र धारण करने के बाद शृंगार होता है. इसके बाद 6:30 बजे से दर्शन शुरू हो जाते हैं. 

दोपहर 12:00 बजे भोग आरती तो होती है, लेकिन मंदिर के कपाट बंद नहीं होते और दर्शन चलता रहता है. इसी तरह सायं 7:30 बजे आरती के समय भी कपाट बंद नहीं होते हैं और दर्शन निरंतर जारी रहते हैं. रात को 9:00 बजे भोग आरती होती है, लेकिन दर्शन बंद नहीं होते हैं. रात्रि 10:00 बजे शयन आरती के बाद मंदिर के कपाट बंद होते हैं और रामलला को शयन कराया जाता है. इसी के साथ दर्शन की अवधि समाप्त होती है.

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अब फिर शुरू किए गए आरती के लिए ऑनलाइन आवेदन 

अब यह जानिए कि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के समय दर्शनार्थियों को सुबह 6:30 बजे मंगला आरती और 7:30 बजे की आरती में ऑनलाइन आवेदन के बाद शामिल होने का मौका मिलता था. अब सुबह 4:30 बजे मंगला आरती और रात्रि 10:00 बजे शयन आरती में दर्शनार्थियों को शामिल होने का मौका मिलता है. 30 जनवरी को श्रद्धालुओं कि अचानक बढ़ी संख्या को देखते हुए आरती के लिए किए गए सभी ऑनलाइन आवेदन निरस्त कर दिए गए थे. 

अब एक बार फिर आरती में सम्मिलित होने के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू हो गए हैं. आरती के लिए प्रावधान यह है कि एक समय की आरती के लिए 20 लोग ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. इस तरह दिन भर में 40 राम भक्त आरती में शामिल हो सकते हैं. हालांकि, इसके लिए आपको रेलवे के तत्काल टिकट पाने के लिए जितनी मुश्किल का सामना करना पड़ेगा और उससे भी अधिक इंतजार करना पड़ सकता है. 

दरअसल, आरती के आवेदन के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की वेबसाइट पर अपनी पहचान पत्र के साथ आवेदन करना होता है. आवेदन प्रक्रिया शुरू होते ही तेजी से यह सीमित संख्या समाप्त हो जाती है. आरती के समय 50 लोगों के मौजूद रहने की व्यवस्था है. इसमें 20 लोग ऑनलाइन आवेदन करते हैं, तो 30 लोगों को राम मंदिर ट्रस्ट के द्वारा ऑफलाइन आरती में शामिल होने का मौका दिया जाता है. 

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दर्शन अवधि में हो सकती है एक घंटे की कटौती 

हालांकि, मौजूदा समय में भीड़ के कारण ऑफलाइन आरती में शामिल होने वाले लोगों की संख्या न के बराबर है. अब नई दर्शन अवधि की समय सारणी में बदलाव हो सकता है. इसको लेकर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में लगातार विचार-विमर्श जारी है. 

श्री राम मंदिर ट्रस्ट से जुड़े लोगों की मानें, तो दर्शन अवध में लगभग 1 घंटे की कटौती हो सकती है. यह व्यवस्था मार्च से लागू हो सकती है. अब दर्शन की बढ़ी अवधि में कुछ समय कम करने की मांग क्यों हो रही है इसको भी समझना जरूरी है. 

प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर में विराजमान मूर्ति जीवंत हो जाती है, जबकि श्री राम जन्मभूमि मंदिर में विराजमान होने वाली मूर्ति श्री राम के बाल स्वरूप की है, जो 5 वर्षीय बालक की है. इसलिए मां जिस तरह बच्चों का ध्यान रखती है, इस तरह पुजारी भी रामलला का ध्यान रखते हैं. 

उनको बच्चे की तरह उठाते हैं, उसी तरह नहलाते हैं, उसी तरह दुलारते हैं और भोजन करने के बाद सुलाते भी हैं. दर्शन की अवधि बढ़ने से दोपहर में उन्हें विश्राम नहीं मिल पाता और सुबह जल्दी जगाने से नींद में खलल पड़ता है. इसको समझने के लिए 5 वर्षीय बालक के आचरण को समझना जरूरी है. इसीलिए अब राम मंदिर ट्रस्ट इस बारे में कुछ समय अवधि कम करने पर विचार कर रहा है.

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