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सोशल मीडिया पर प्रयागराज महाकुंभ (Mahakumbh) में आई एक युवती सुर्खियों में है. गले में रुद्राक्ष और फूलों की माला, माथे पर तिलक और साध्वी का भेष धारण किए इस युवती के वीडियो वायरल हो रहे हैं. इस वायरल युवती का नाम है हर्षा रिछारिया (Harsha Richhariya) है. 'आजतक' को दिए इंटरव्यू में हर्षा ने अपनी पूरी कहानी बयां की है.
आपको बता दें कि हर्षा रिछारिया निरंजनी अखाड़े की शिष्या हैं. उनका जन्म यूपी के झांसी में हुआ, बाद में वो एमपी के भोपाल में शिफ्ट हो गईं. माता-पिता आज भी भोपाल में ही रहते हैं. वहीं, हर्षा ने काफी टाइम तक मुंबई और दिल्ली आदि शहरों में रहकर काम किया. बाद में उनका मन अध्यात्म की ओर मुड़ गया. पिछले काफी वक्त से वो उत्तराखंड में रहकर साधना कर रही हैं.
निरंजनी अखाड़े के संपर्क में आने के सवाल पर हर्षा रिछारिया कहती हैं कि वो दो साल पहले महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि जी के संपर्क में आईं. गुरुजी का सानिध्य मिलने के बाद उनके जीवन में परिवर्तन आया. पिछले काफी समय से वो कैलाशानंद गिरि जी की छत्र छाया में रहकर साधना कर रही हैं, अध्यात्म और सनातन के बारे में जान रही हैं और सीख रही हैं.
कम उम्र में साध्वी बनने के सवाल पर हर्षा ने कहा कि भक्ति या साधना के लिए कोई उम्र नहीं होती. जब ईश्वर की और गुरुजनों की कृपा होती है तो सब हो जाता है. आप खुद से धर्म के रास्ते पर चलने लगते हैं. देखें वीडियो-
रील की दुनिया से निकलकर साध्वी के जीवन में आने पर क्या बदलाव हुआ? इस सवाल के जवाब में हर्षा कहती हैं कि दोनों ही चीजें बेहतर हैं. पहले मैं रील के माध्यम से लोगों को धर्म व संस्कृति के बारे में जागरूक करती थी, अब भी वही काम कर रही हूं, बस थोड़ा दूसरे तरीके से. हालांकि, मुझे साध्वी नहीं कहना चाहिए. क्योंकि, मैं अभी साध्वी के लिए जरूरी साधना, संस्कार और तमाम जरूरी चीजों से नहीं गुजरी हूं. बस गुरुजी से मंत्र से लेकर साधना शुरू किया है.
30 साल की हर्षा रिछारिया ने साफ किया कि उन्होंने अभी तक साध्वी की दीक्षा नहीं ली है. हां, गुरुदेव से दीक्षा के लिए निवेदन जरूर किया था. उन्होंने कहा है कि वो इसपर विचार करेंगे. फिलहाल, उनके आदेश का इंतजार है.
बकौल हर्षा- मेरी वेशभूषा को देखकर लोगों ने 'साध्वी हर्षा' नाम दे दिया. मैं भी दो दिन से देख रही हूं कि मुझे 'सबसे खूबसूरत साध्वी' जैसे नामों से बुलाया जा रहा है. लेकिन मैं यही कहूंगी कि मुझे साध्वी का टैग देना अभी ठीक नहीं है. मेरे गुरुदेव ने इसकी आज्ञा भी नहीं दी है.
वहीं, पुरानी रील में डांस करने और वेस्टर्न कपड़े पहनने पर ट्रोल होने के सवाल पर हर्षा ने कहा कि मैं इसे पॉजिटिव तरीके से ले रही हूं. इससे लोगों को पता चलेगा कि कैसे लाइफ में बदलाव में आता है. लोग जानेंगे कि मैं कहां से कहां पहुंची हूं.
हर्षा ने आगे बताया कि उन्होंने अपने गुरु से संन्यास के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. गुरूजी ने कहा कि अभी तुम्हें गृहस्थ जीवन की बहुत सारी जिम्मेदारियां निभानी हैं. तब तक अपनी साधना करो और अपना काम करो. जब सही समय आएगा तब सन्यास की दीक्षा देंगे.
हर्षा रिछारिया के मुताबिक, अब वो फिर से ग्लैमर की दुनिया में नहीं जाना चाहती. आजीवन धर्म का प्रचार-प्रसार करना है. वहीं, परिवार के रिएक्शन के सवाल पर हर्षा कहती हैं कि घरवालों से पिछले कुछ दिन से बात नहीं हुई है लेकिन जब अध्यात्म की राह चुनी थी तो माता-पिता खुश ही थे. अब आगे का नहीं पता वो क्या कहेंगे.