Hathras Stampede News: यूपी के हाथरस में 121 लोगों की मौत हो गई. मौत का ये आंकड़ा बढ़ भी सकता है. नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग के बाद भगदड़ मचने से ये हादसा हुआ. हादसे के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 24 घंटे में जांच रिपोर्ट तलब की है. खुद सीएम योगी आज हाथरस पहुंच रहे हैं. इस हादसे के बाद अब लगातार लखनऊ से हाथरस तक सख्त निर्देश दिए जा रहे हैं. सवाल ये है कि हाथरस में इतना बड़ा हादसा कैसे हो गया?
हाथरस हादसे के बाद मंत्री, डीजीपी से लेकर सारे अफसर मौके पर दौड़ रहे हैं. लेकिन अब तक जो पहली नजर में सामने आया है उसके मुताबिक दावा है कि सिर्फ 40 पुलिसवालों के भरोसे ही हजारों की भीड़ जुटने दी गई. दावा ये भी कि किसी गंभीर हालात से निपटने के लिए स्वास्थ्य का इंतजाम तक नहीं था.
सत्संग खत्म होते ही दौड़-भाग हो गई. एक के ऊपर एक सब दबकर मरने लगे. घंटों तक दबे रहे. आगे वाले गिरते गए, फिर पीछे लोग गिरते गए. मंगलवार दोपहर डेढ़ बजे की घटना है. एक चश्मदीद कहते हैं कि 'प्रभु जी' उठकर चले गए. वहां कीचड़ भी था. लोग दल-दल में फंस गए. एक-दूसरे पर गिर गए. बहुत भीड़ थी. जो नीचे गिर गए, वे उठ नहीं पाए. बच्चे भी दब गए और भीड़ ऊपर से गुजर गई. बहुत लोग मारे गए.
कैसे हुई पूरी घटना...
देश को सदमे में डालने वाली इस घटना में भोले बाबा के नाम से मशहूर आध्यात्मिक नेता नारायण साकार हरि फरार है. चश्मदीद के अनुसार, फुलराई मैदान में खुले में सत्संग आयोजित हो रहा था. इसमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान से 50,000 से ज्यादा अनुयायी शामिल हुए थे. जैसे ही सत्संग समाप्त होने लगा, भक्त आगे बढ़कर बाबाजी के पास इकट्ठा हो गए. उनका आशीर्वाद और उनके पैरों की पवित्र धूल लेने लगे. ये लोग एक गड्ढे से होकर गुजर रहे थे. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि शुरुआत में धक्का लगा और कुछ लोग गिर गए. उसके बाद जो गिरा, वो उठ नहीं पाया और भीड़ ऊपर से गुजरती चली गई. देखते ही देखते बड़ा हादसा हो गया.
तत्काल एक्शन और एफआईआर दर्ज
घटना के अफसर एक्शन मोड में आए और जांच के निर्देश दिए. तत्काल एफआईआर दर्ज की गई. शुरुआती जांच में पता चला कि भीड़ ज्यादा थी और कंट्रोल के लिए खास इंतजाम नहीं थे. पुलिस-प्रशासन ने सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन में खामियों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है.
आजतक ने यूपी सरकार में समाज कल्याण मंत्री और कन्नौज विधायक असीम अरुण से बातचीत की है. असीम अरुण ने कहा, हम पुलिस और आयोजकों की जिम्मेदारी तय करेंगे. इसके लिए गहन जांच कर रहे हैं. जो भी जिम्मेदार होगा उस पर कड़ी कार्रवाई होगी. मामले की जांच के लिए एक टीम गठित की गई है.
लापता की तलाश, शवों की हो रही शिनाख्त
अफरा-तफरी के बीच करीब 20 लोगों के लापता होने की खबर है. लापता व्यक्तियों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है. बचाव अभियान जारी है. असीम अरुण ने कहा, हमारी पहली जिम्मेदारी पहचान कराना है. मुझे उम्मीद है कि यह सुबह तक पूरा हो जाएगा.
परिवार के सदस्य क्या बोले...
इस घटना ने कई परिवारों से उनके सदस्य छीन लिए हैं. परिवार ने घटना के लिए बाबा को दोषी ठहराया है. नोएडा में काम करने वाले सुनील को जब घटना की खबर लगी तो वो तत्काल मौके पर पहुंचे. सुनील बताते हैं कि उन्होंने इस घटना में अपनी मां को खो दिया है. अगर सत्संग नहीं होता तो यह घटना नहीं घटती. हालांकि, मृतक के परिवार के एक अन्य सदस्य कर्पूरी चंद अलग सोचते हैं. वे कहते हैं कि घटना उस तरफ हुई जहां महिलाएं बैठी थीं. मैं भी वहां था. यह जांच का विषय है कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है. लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह बाबा की गलती है.
सत्संग स्थल के क्या हालात...
सत्संग स्थल पर अब तबाही का मंजर है. लोगों का सामान बिखरा पड़ा है. कपड़े, शादी के कार्ड, आधार कार्ड, टिफिन बॉक्स और बैग, जूते-चप्पय चारों ओर बिखरे हुए हैं, जो इस घटना की गंभीरता बयां कर रहे हैं.
प्रत्यक्षदर्शी क्या बोले...
लापता के परिवार के सदस्य समेत प्रत्यक्षदर्शियों ने घटना के बारे में सिलसिलेवार जानकारी दी है. प्रत्यक्षदर्शी कहते हैं कि 1 लाख से ज्यादा लोग जुटे थे. जब सत्संग समाप्त हुआ तो लोगों ने जाना शुरू कर दिया. मुख्य सड़क पर कई वाहन खड़े थे. लोगों ने सोचा कि वे सत्संग स्थल के सामने वाले मैदान से आसानी से बाहर निकल सकते हैं. जमीन फिसलन भरी थी और कीचड़ जमा था, जिससे लोग फिसल कर एक-दूसरे पर गिरने लगे. हालात भदगड़ के बन गए.
सुरक्षा व्यवस्था पर्याप्त नहीं थी...
घटना के बाद इंतजामों पर सवाल खड़े हो गए. घायलों को तत्काल अस्पताल भेजने की व्यवस्था नहीं थी. काफी देर तक लोग मौके पर पड़े रहे. सिकंदर राव सीएचसी के एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि जब घायल और मृतक आने लगे तो अस्पताल में डेढ़ घंटे तक बिजली नहीं थी, जिससे कुछ मरीजों के तत्काल इलाज में देरी हुई. सिकंदर राव सीएचसी उन अस्पतालों में से एक है, जहां 92 शव लाए गए. मृतकों और घायलों को अस्पताल ले जाने वाले पहले एक व्यक्ति ने कहा, जब हम लोग यहां पहुंचे तो सिर्फ एक डॉक्टर उपलब्ध था.
कौन हैं नारायण साकार हरि...
नारायण साकार हरि का असली नाम सूरजपाल सिंह है. वे यूपी पुलिस विभाग में पदस्थ रहे हैं. नौकरी में मन नहीं लगा तो आध्यात्म की ओर मुड़ गए. सूरजपाल का एटा जिले के बहादुर नगरी गांव में जन्म हुआ. कुछ ही समय में नारायण सरकार हरि के बड़ी संख्या में अनुयायी हो गए. बाबा के सत्संग में विशेषकर महिलाएं गुलाबी कपड़े पहनकर आती हैं और उन्हें भोले बाबा के नाम से पुकारती हैं. भोले बाबा की पत्नी को माताश्री कहा जाता है. सत्संग में दोनों एक साथ बैठते हैं. अक्सर आयोजनों के दौरान पत्नी उनके साथ रहती हैं. उनका एक आश्रम बहादुर नगरी में भी है जो अभी भी संचालित होता है और प्रतिदिन हजारों भक्त पहुंचते हैं. बाबा का मैनपुरी के बिछवा में भी आश्रम 30 एकड़ में फैला हुआ है. नारायण साकार हरि क्षेत्र में साप्ताहिक सभाएं आयोजित करते हैं, जिसमें काफी भीड़ उमड़ती है.
भविष्य के लिए क्या संदेश देती है ये घटना...
नारायण साकार हरि के सत्संग में हुई घटना ने बड़े धार्मिक समारोहों में आयोजन कमेटी और सुरक्षा उपायों के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं. अब तक यह सामने आया है कि भारी भीड़ को प्रभावी ढंग से काबू नहीं पाया जा सका, इसलिए हालात बिगड़ गए. अब सिस्टम को कड़े नियमों और निगरानी पर जोर देने की जरूरत है.
जिम्मेदारी और जवाबदेही...
यूपी पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने आजतक से बातचीत में कहा कि घटना की जांच कई प्रमुख बिंदुओं पर केंद्रित होगी, जिसमें कार्यक्रम की अनुमति देने में स्थानीय अधिकारियों की जिम्मेदारी, सुरक्षा व्यवस्था की पर्याप्तता और सुरक्षा सुनिश्चित करने में आयोजकों की भूमिका शामिल है. अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि लापरवाही बरतने वालों को जवाबदेह ठहराया जाएगा. जैसे-जैसे जांच सामने आती है और जवाबदेही तय होती है, यह जरूरी है कि सबक सीखा जाए और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए उपाय लागू किए जाएं.