उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की डिग्री मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपील खारिज कर दी है. इससे पहले मौर्य की शैक्षिक योग्यता को लेकर की गई शिकायत को जिला कोर्ट ने खारिज किया था. इसके खिलाफ अपील की गई थी, जिसे अब हाई कोर्ट ने भी खारिज कर दिया है.
दरअसल, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पर आरोप लगा कि उन्होंने फर्जी डिग्री लगाकर 5 अलग-अलग चुनाव लड़े. साथ ही फर्जी डिग्री के आधार पर ही उन्होंने पेट्रोल पंप भी हासिल किया. आरटीआई एक्टिविस्ट दिवाकर त्रिपाठी की ओर से कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी.
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इसमें कहा गया कि साल 2007 में शहर के पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से केशव प्रसाद मौर्य ने विधानसभा का चुनाव लड़ा. इसके अलावा उन्होंने कई अन्य चुनाव भी लड़े. उन्होंने अपने शैक्षणिक प्रमाण पत्र में हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा जारी प्रथम, द्वितीय आदि की डिग्री लगाई है. यह प्रदेश सरकार या किसी बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है.
उन्होंने ये भी कहा था कि इन्हीं डिग्रियों के आधार पर केशव प्रसाद ने इंडियन ऑयल कारपोरेशन से पेट्रोल पंप भी हासिल किया. इसके अलावा उनपर यह भी आरोप लगाया गया कि उनकी डिग्रियों में अलग-अलग तारीख अंकित हैं.
उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ग्रेजुएशन डिग्री से जुड़े मामले में दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई अब चार महीने के लिए टल गई है. दिल्ली हाईकोर्ट अब मई में सुनवाई करेगा. दिल्ली यूनिवर्सिटी ने CIC के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. CIC ने यूनिवर्सिटी को 1978 में बीए परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले सभी छात्रों के रिकॉर्ड के निरीक्षण की अनुमति देने का निर्देश दिया गया था जिस वर्ष पीएम मोदी ने वहां से स्नातक की परीक्षा पास की थी.
केजरीवाल ने 2016 में डिग्री पर उठाए थे सवाल
अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह पर गुजरात यूनिवर्सिटी की छवि खराब करने का आरोप है. केजरीवाल ने अप्रैल 2016 में केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) को एक पत्र लिखकर पीएम मोदी की शैक्षिक योग्यता से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की थी. उन्होंने पत्र में लिखा कि इस मुद्दे पर किसी भी तरह के भ्रम को दूर करने के लिए डिग्री को सार्वजनिक किया जाना चाहिए.