उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 150 साल पुरानी एक इमारत का 27 करोड़ रुपये की लागत से जीर्णोद्धार किया जा रहा है. ये इमारत ब्रिटिश काल में चर्चित होटल हुआ करती थी, लेकिन अब ये नगर निगम का कार्यालय है. इमारत के रिनोवेशन का काम दिसंबर 2024 तक पूरा होने की योजना है और 2025 की शुरुआत में होने वाले महाकुंभ के दौरान इसे धरोहर स्थल (हेरिटेज साइट) के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा. हालांकि, पहले इस इमारत को तोड़कर नए सिरे से बनाए जाने की योजना थी. जिसे मंजूरी नहीं दी गई.
प्रयागराज नगर निगम के सलाहकार सूरज वीएस ने पीटीआई को बताया,"इमारत को संरक्षित करने का फैसला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और आईआईटी बॉम्बे की सलाह के बाद लिया गया. एएसआई ने इमारत को एक धरोहर स्थल के रूप में संरक्षित करने की सिफारिश की."
'ग्रेट नॉर्दर्न होटल थी पहले बिल्डिंग'
उन्होंने बताया कि पुराने रिकॉर्ड से पता चला है कि 1865 के आसपास प्रयागराज बनी इस बिल्डिंग को पहले ग्रेट नॉर्दर्न होटल के रूप में जाना जाता था.
INTACH के संयुक्त सचिव वैभव मैनी ने इमारत के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, "अमेरिकी लेखक मार्क ट्वेन 1896 में अपनी इलाहाबाद यात्रा के दौरान इसी होटल में रुके थे. लेकिन बाद में ब्रिटिश शासन काल के दौरान इस इमारत को प्रशासनिक भवन के रूप में तब्दील कर दिया गया था.
एएसआई और आईआईटी बॉम्बे की सिफारिश के बाद 27 करोड़ की लागत से बिल्डिंग के रिनोवेशन का काम किया जा रहा है. सवानी हेरिटेज, मुंबई द्वारा किए जा रहे रिनोवेशन के काम में टेडिशनल मटेरियल और बिल्डिंग के मूल चित्र को ध्यान में रख कर रिस्टोर किया जा रहा है.
इन चीजों से हो रही है बिल्डिंग की मरम्मत
अधिकारी ने बताया कि बिल्डिंग में आधुनिक सीमेंट और सैंड के बजाए चूना, सुरखी,सैंड, बेल गिरी, गुड़, उड़द दाल और मेथी के मिश्रण का इस्तेमाल किया जा रहा है जो लंबे वक्त तक टिकाऊ है.
नगर आयुक्त चंद्र मोहन गर्ग ने प्रयागराज के लिए इमारत के ऐतिहासिक महत्व को स्वीकार किया और कहा कि रिनोवेशन के बाद ये इमारत प्रयागराज आने वाले लोगों को आकर्षित करने का काम करेगी, क्योंकि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में संगम पर दोगुने लाखों लोगों के आने की उम्मीद है.
मुख्य अभियंता सतीश कुमार ने पीटीआई-भाषा को बताया, ''रिनोवेशन का काम दिसंबर 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है.'' नगर निगम पार्षद आनंद गिल्डियाल ने कहा कि इमारत सिविल लाइंस क्षेत्र के पूर्व गांव कमौरी की नजूल भूमि पर बनी है.
2020 में गिरी बिल्डिंग की छत
बता दें कि दिसंबर 2020 में बिल्डिंग के एक कमरे की छत ढह जाने के बाद इस इमारत को ढहने की योजना शुरू की गई थी, लेकिन एएसआई ने इमारत को गिराने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया और रिनोवेशन का सुझाव दिया था. जिसके बाद इस प्रोजेक्ट को लेकर आईआईटी बॉम्बे से सलाह मांगी गई थी.