यूपी के रामपुर से बीजेपी विधायक और सपा नेता आजम खान के धुरविरोधी आकाश सक्सेना की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आकाश सक्सेना को वाई प्लस कैटेगरी की सुरक्षा दी है, जिसमें सीआरपीएफ कमांडो उनकी सुरक्षा में तैनात रहेंगे.
जानकारी के मुताबिक, आकाश की सुरक्षा के पहले घेरे में सीआरपीएफ जवान और दूसरे घेरे में यूपी पुलिस के जवान रहेंगे. आकाश, आजम खान के खिलाफ दर्ज कई मुकदमों की पैरवी कर रहे हैं. आजम खान से वोटिंग का अधिकार भी जिनकी शिकायत पर छीना है, वो आकाश सक्सेना ही हैं. इस वजह से उनकी सुरक्षा को खतरा माना गया और गृह मंत्रालय की ओर से उनकी सुरक्षा बढ़ाई गई.
कौन हैं आकाश सक्सेना?
आकाश सक्सेना पहली बार विधायक बने हैं. आजम खान का गढ़ माने जाने वाले रामपुर में उन्होंने सपा उम्मीदवार आसिम रजा को हराया है. दरअसल इस सीट से खुद आजम खान विधायक चुने गए थे, लेकिन जब उन्हें एक मामले में दोषी पाया गया था, उसके बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी और उस पर उपचुनाव हुए थे.
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आकाश के पिता रह चुके हैं कैबिनेट मंत्री
आकाश सक्सेना जिस परिवार से आते हैं, उसका राजनीति और बीजेपी से बहुत पुराना संबंध है. उनके पिता शिव बहादुर सक्सेना को बीजेपी के शुरुआती सदस्यों में से एक माना जाता है. शिव बहादुर सक्सेना स्वार सीट से चार बार विधायक रहे हैं. उत्तर प्रदेश में जब कल्याण सिंह की सरकार थी, उसमें शिव बहादुर सक्सेना मंत्री भी थे.
2022 में आजम से चुनाव हारे थे आकाश सक्सेना
2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शिव बहादुर सक्सेना को आजम खान के खिलाफ उतारा था, लेकिन वो 46 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हारे. 2022 में बीजेपी ने आकाश सक्सेना को उम्मीदवार बनाया और वो भी आजम खान से 55 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हार गए. यूपी में इस साल जब चुनाव हुआ था, तब आजम खान जेल में बंद थे.
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46 साल के आकाश सक्सेना ने 12वीं तक की पढ़ाई की है. उनके एफिडेविट के मुताबिक, वो अपना कारोबार करते हैं और उनके पास 5 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है.
रामपुर में क्या है सियासी गणित?
रामपुर मुस्लिम बहुल सीट है. यहां की करीब 60 फीसदी आबादी मुस्लिम है. जबकि 40 फीसदी हिंदू हैं. 1980 में पहली बार आजम खान यहां से विधायक बने थे. तब आजम खान जनता पार्टी (सेक्युलर) के नेता थे. चार दशकों में सिर्फ 1996 में ही एक ऐसा मौका आया था, जब कांग्रेस के अफरोज अली खान ने आजम खान को मात दी थी.
रामपुर में पहली बार 1952 में विधानसभा चुनाव हुए थे. तब कांग्रेस के फजल-उल-हक यहां से विधायक बने थे. 1952 से अब तक कभी भी यहां कोई हिंदू उम्मीदवार नहीं जीत सका था. आकाश सक्सेना न सिर्फ रामपुर से बीजेपी के पहले विधायक हैं, बल्कि हिंदू विधायक भी हैं.