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सिल्लियों पर रखे शव, पोस्टमार्टम का इंतजार और अपनों को खोजती बेबस आंखें... हाथरस भगदड़ का भयावह मंजर!

भगदड़ दोपहर करीब साढ़े तीन बजे उस समय मची जब बाबा सत्संग खत्म करके कार्यक्रम स्थल से निकल रहे थे. अनुयायी दर्शन करने और चरणों की धूल लेने के लिए भोले बाबा की गाड़ी के पीछे दौड़े, इसी दौरान पीछे से भीड़ का दबाव बढ़ने पर लोग सड़क के किनारे खाई में एकदूसरे के ऊपर गिरने लगे.

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हाथरस में भोले बाबा के सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 116 लोगों की मौत हो गई. (PTI Photo)
हाथरस में भोले बाबा के सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 116 लोगों की मौत हो गई. (PTI Photo)

बर्फ की सिल्लियों पर सैकड़ों शव पड़े हुए थे. पीड़ितों के रोते-बिलखते परिजन रिमझिम बारिश के बीच शवों को घर वापस ले जाने के लिए पोस्टमार्टम हाउस के बाहर इंतजार कर रहे थे. हाथरस के सरकारी अस्पताल के अंदर कुछ ऐसा ही भयावह दृश्य मंगलवार की रात देखने को मिला, जहां एक सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 116 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए. मरने वालों में 108 महिलाएं और सात बच्चे शामिल हैं. ये उन हजारों लोगों की भीड़ का हिस्सा थे जो सिकंदराराऊ क्षेत्र के फुलराई गांव के पास भोले बाबा के 'सत्संग' में गए थे.

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भगदड़ दोपहर करीब साढ़े तीन बजे उस समय मची जब बाबा सत्संग खत्म करके कार्यक्रम स्थल से निकल रहे थे. अनुयायी दर्शन करने और चरणों की धूल लेने के लिए भोले बाबा की गाड़ी के पीछे दौड़े, इसी दौरान पीछे से भीड़ का दबाव बढ़ने पर लोग सड़क के किनारे खाई में एकदूसरे के ऊपर गिरने लगे. आयोजन स्थल के आसपास बारिश के कारण कीचड़ था, जिसमें गिरने से लोगों का दम घुटा और उनकी मौत हो गई. बहुत लोग भीड़ में गिरने के बाद दबने और कुचलने से मरे. 

भगदड़ स्थल के सबसे पास सिकंदराराऊ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र था, जहां घायलों को पहुंचाया गया. ज्यादातर लोग यहां पहुंचने से पहले दम तोड़ चुके थे. स्वास्थ्य केंद्र के बाहर, कई लोग देर रात तक अपने लापता परिवार के सदस्यों की तलाश करते रहे. कासगंज जिले के रहने वाले राजेश अपनी मां की तलाश कर रहे थे, जबकि शिवम अपनी बुआ की तलाश कर रहा थे. दोनों ने अपने हाथों में मोबाइल फोन ले रखा था, जिसमें उनके रिश्तेदारों की तस्वीरें दिख रही थीं.

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राजेश ने कहा, 'मैंने एक समाचार चैनल पर अपनी मां की तस्वीर देखी और उन्हें पहचान लिया. वह हमारे गांव के दो दर्जन अन्य लोगों के साथ यहां कार्यक्रम के लिए आई थीं'. अंशू और पाबल कुमार अपने चाचा गोपाल सिंह को खोजने की उम्मीद में सीएचसी के पास इंतजार कर रहे थे. अंशू ने पीटीआई-भाषा को बताया, 'चाचा कार्यक्रम के लिए यहां आए थे,लेकिन अभी तक घर नहीं लौटे हैं. वह सीधे-साधे इंसान हैं, उनके पास फोन भी नहीं है. वह बाबा के अनुयायी नहीं थे, लेकिन एक परिचित के आग्रह पर पहली बार कार्यक्रम में गए थे'.

मीना अपनी मां सुदामा देवी (65) को खोने रही थीं. वह जिला अस्पताल के टीबी विभाग के बाहर फर्श पर बैठकर रो रही थीं और उनके आसपास कई शव रखे हुए थे. उन्होंने कहा, 'जिस इलाके (सादिकपुर) में मैं रहती हूं वहां बूंदाबांदी हो रही थी, नहीं तो मैं भी अपनी मां के साथ संगत में जाने वाली थी. मेरे भाई और भाभी, उनके बच्चे मेरी मां के साथ संगत में गए थे. भीड़ में मेरी मां पीछे छूट गईं और कुचल गईं'. सासनी तहसील के बरसे गांव में रहने वाले विनोद कुमार सूर्यवंशी ने अपनी 72 वर्षीय मौसी को खो दिया, जबकि उनकी मां सौभाग्य से बच गईं. 

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उन्होंने अपनी मौसी के बेटे का ग्रेटर नोएडा से हाथरस पहुंचने का इंतजार करते हुए कहा, 'मैं यहां तीन घंटे से हूं. शव अभी भी यहीं है और मुझे बताया गया है कि अब इसका पोस्टमॉर्टम होगा, लेकिन मुझे पता नहीं है कि इसमें और कितना समय लगेगा. मेरी मौसी और मां लगभग 15 वर्षों से बाबा के संगत में जा रही थीं'. हाथरस जिला अस्पताल में कई शव रखे गए थे. कुछ शव घटनास्थल के पास स्थित सिकंदराराऊ सीएचसी के ट्रॉमा सेंटर में थे, जबकि कुछ को निकटवर्ती एटा जिले के सरकारी अस्पताल में भेजा गया.

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आरएसएस और बजरंग दल के कार्यकर्ता और स्वयंसेवक भी दोपहर से अस्पताल में मौजूद रहे. उन्होंने पीड़ितों के रिश्तेदारों को पानी के पैकेट बांटे और चिकित्सा प्रक्रियाओं में उनका मार्गदर्शन दिया, जिनमें से कई सदमे में थे और इस त्रासदी से उबरने के लिए संघर्ष कर रहे थे. पसीने से लथपथ बजरंग दल के स्वयंसेवक अनिकेत ने पीटीआई को बताया, 'आज हमने यहां जितने शव देखे हैं, उनके लिए एम्बुलेंस की संख्या अपर्याप्त थी. सिकंदराराऊ ट्रॉमा सेंटर के बाहर दिल दहला देने वाले दृश्य दिखे. यहां मृतकों और घायलों को एंबुलेंस, ट्रकों और कारों में लादकर लाया जा रहा था'.

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अस्पताल के बाहर एक गुस्साए युवक ने कहा, 'लगभग 100-200 लोग हताहत हुए हैं और अस्पताल में केवल एक डॉक्टर है. ऑक्सीजन की कोई सुविधा नहीं है. कुछ लोग अब भी सांस ले रहे हैं, लेकिन उचित इलाज की कोई सुविधा नहीं है'. प्रत्यक्षदर्शी शकुंतला देवी ने पीटीआई को बताया कि भगदड़ तब हुई जब लोग 'सत्संग' के अंत में कार्यक्रम स्थल से बाहर जा रहे थे. उन्होंने कहा, 'बाहर नाले के ऊपर काफी ऊंचाई पर सड़क बनी हुई थी. लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरे जा रहे थे'.

दूसरे प्रत्यक्षदर्शी सोनू कुमार ने कहा कि कार्यक्रम स्थल पर कम से कम एक लाख लोग थे और जब बाबा वहां से जाने लगे, भीड़ उनके पैर छूने के लिए दौड़ पड़ी. जब लोग वापस लौट रहे थे, तो फिसलकर एक-दूसरे के ऊपर गिरने लगे, क्योंकि पास के नाले से बह रहे पानी के कारण जमीन का कुछ हिस्सा दलदली हो गया था. कार्यक्रम समाप्त होने से पहले वहां से जा चुके एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि जितनी भीड़ जुटी थी, उसके लिए आयोजन स्थल पर किए गए इंतजाम अपर्याप्त थे. 

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एटा में शवगृह के बाहर खड़े कैलाश ने कहा कि कीचड़ में फिसलन के कारण लोग एक-दूसरे के ऊपर गिर गए और पीछे से आ रही भीड़ ने उन्हें कुचल दिया. सत्संग में भाग लेने के लिए फिरोजाबाद से हाथरस पहुंचे संतोष ने पीटीआई से कहा, 'मैं अपनी बहन के साथ यहां आया था. दोपहर के करीब हरि जी आए. डेढ़ बजे सत्संग समाप्त हुआ, मैंने अपनी बहन के साथ पंडाल में प्रसाद लिया. जब हम बाहर आए तो देखा कि सभी लोग बाबा के पीछे दर्शन के लिए दौड़ रहे थे. पास में ही एक नाला था और कुछ लोग उसमें गिर गए'.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगरा के एडीजी और अलीगढ़ कमिश्नर को घटना की जांच करने का निर्देश दिया है और 24 घंटे में रिपोर्ट देने को कहा है. मीडियाकर्मियों से बात करते हुए, जिला मजिस्ट्रेट आशीष कुमार ने कहा कि यह एक निजी समारोह था जिसके लिए उप-विभागीय मजिस्ट्रेट द्वारा अनुमति दी गई थी. उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन ने कार्यक्रम स्थल के बाहर सुरक्षा मुहैया कराई जबकि आंतरिक व्यवस्था की देखभाल आयोजकों को करनी थी. उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि कार्यक्रम के आयोजकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी.

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