
22 जनवरी को होने वाली रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या पूरी तरह राममय हो चुकी है. इस खास मौके पर विपक्ष के नेता सुर्खियों और उन ऐतिहासिक तस्वीरों से अदृश्य रहेंगे क्योंकि देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने प्राण-प्रतिष्ठा से दूर रहने का फैसला कर लिया है. कांग्रेस के न्योता ठुकराने पर आजतक ने रामलला के मुख्य पुजारी सतेंद्र दास से भी उनकी प्रतिक्रिया पूछी तो उन्होंने कहा कि राम का विरोध करने वाले ना आएं,यही अच्छा है.
'श्रीरामोपासना' के जरिए होगी प्राण प्रतिष्ठा
अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा की भव्य तैयारी हो रही है. 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा की पूजा-पद्धति क्या रहेगी इसकी पूरी डिटेल भी आ गई है. आजतक के पास 'श्रीरामोपासना' की वो एक्सक्लूसिव पुस्तिका आ गई है. जिसमें उस दिन का पूरा विधि-विधान है.
मुख्य पुजारी सतेंद्र दास ने कहा कि हमारे पास ट्रस्ट द्वारा जारी की गई सुपर एक्सक्लूसिव बुकलेट है जिसमें 22 जनवरी की प्राण प्रतिष्ठा के लिए संपूर्ण पूजा पद्धति है.
ये है मुहूर्त
22 जनवरी को यह वक्त दोपहर 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से शुरू होकर 12 बजकर 30 मिनट और 32 सेकंड के बीच का होगा, जब पूजन स्थल पर अक्षत छोड़ा जाएगा. 'आजतक' से खास बातचीत में ज्योतिषाचार्य द्राविण बंधु, पंडित विश्वेश्वर शास्त्री द्राविण और पंडित गणेश्वर शास्त्री द्राविण ने बताया कि मुहूर्त निकालने के लिए नियमों पर विचार किया गया है. तिथि, वार, लग्न और नक्षत्रों पर विचार करके दिया गया है. विक्रम संवत 2080 शालिवाहन शक 1945 पौष शुक्ल 12 सोमवार, मृगशीर्ष नक्षत्र, ऐन्द्र योग, बालव करण, आनन्द योग दिनांक 22 जनवरी 2024 को मेष लग्न में वृश्चिक नवांश में राम मूर्ति स्थापना का अतिसूक्ष्म मुहूर्त है.
इस लग्न में शुक्र और गुरु दोनों ही अनुकूल है. इसलिए विरोधी भी कुछ नहीं कर सकते हैं. मंगलाष्टक के श्लोक के बाद 84 सेकंड में अक्षत डाल दिया जाएगा और भगवान से प्रार्थना होगी कि हे परमेश्वर आप प्रतिष्ठित हो. राम मंदिर के शिलान्यास से ज्यादा श्रेष्ठ मुहूर्त रामलला के मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का है.
विपक्ष के आमंत्रण ठुकराने पर विहिप का बयान
विहिप अध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया कि अयोध्या में तैयारियां आखिरी चरण में हैं, राम मंदिर की ओर जाने वाले पूरे रास्ते को सजा दिया गया है और लोग बेहद उत्साहित हैं. आडवाणी के अयोध्या आने की इच्छा पर उन्होंने कहा, जब मैं आडवाणी जी से मिला, तो उन्होंने मुझसे कहा कि वह प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेना चाहते हैं. हमने सभी लॉजिस्टिक्स पर चर्चा की है जो भी लॉजिस्टिक्स की आवश्यकता होगी, हम सभी व्यवस्था करेंगे.
कांग्रेस ने निमंत्रण ठुकराने पर उन्होंने कहा कि हमने सिर्फ बीजेपी अध्यक्ष को ही नहीं बल्कि सभी पार्टियों के अध्यक्षों को निमंत्रण दिया, अगर हमें राजनीति करनी होती तो निमंत्रण नहीं दिया जाता. अखिलेश यादव द्वारा निमंत्रण ठुकराये जाने पर उन्होंने कहा कि मुझे उनका तर्क समझ नहीं आया, ये मेरा निजी कार्यक्रम नहीं है बल्कि ये ट्रस्ट का कार्यक्रम है अगर वो आएं और समारोह में हिस्सा लें तो मुझे ख़ुशी होगी. उन्होंने कहा कि जब यह आंदोलन शुरू हुआ तो किसी के मन में राजनीति नहीं थी, 1984 में हिंदुओं ने राजनीति को नहीं बल्कि अपनी आस्था को ध्यान में रखते हुए इसे शुरू किया था.
कांग्रेस सहित इन दलों ने ठुकराया निमंत्रण
आपको बता दें कि कांग्रेस ने यह कहते हुए प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण ठुकरा दिया है कि बीजेपी-आरएसएस ने राम मंदिर को एक राजनीतिक परियोजना बना दिया है और एक अर्धनिर्मित मंदिर का उद्घाटन चुनावी लाभ उठाने के लिए किया जा रहा है. दरअसल रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा 2024 की चुनावी परीक्षा की लाइफलाइन बन गई है.विपक्ष भारी असमंजस में फंस गया है.
बीजेपी हुई हमलावर
राम मंदिर पर विपक्ष की दुविधा ने बीजेपी का काम आसान कर दिया है. विपक्ष को राम विरोधी बताकर बीजेपी सीधे हमले कर रही है. दिलचस्प बात ये है कि जिस दिन खड़गे, सोनिया गांधीऔर अधीर रंजन ने न्योता ठुकराया -उसी दिन बीजेपी से लालकृष्ण आडवाणी के प्राण-प्रतिष्ठा आयोजन में शामिल होने की पुष्टि आ गई. इन दो खबरों से राममंदिर पर चल रही राजनीति की दिशा आप आसानी से भांप सकते हैं.