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चार लाख का इनवेस्टमेंट, देहरादून में ट्रायल, मेरठ में सेटअप... अवैध इंटरनेशनल कॉल एक्सचेंज से हर दिन हो रही थी 25 हजार की कमाई!

उत्तर प्रदेश पुलिस ने मेरठ में चल रहे एक अवैध अंतरराष्ट्रीय टेलीफोन एक्सचेंज का भंडाफोड़ किया है, जहां वीओआईपी (VoIP) कॉल को स्थानीय वॉयस कॉल में बदला जा रहा था. पुलिस ने इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि तीन फरार हैं. छापेमारी के दौरान 200 से अधिक सिम कार्ड, सिम बॉक्स और अन्य संचार उपकरण बरामद किए गए हैं. पुलिस के अनुसार, यह गिरोह रोजाना 20,000 से 25,000 रुपये की कमाई कर रहा था.

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मेरठ में चल रहा था अवैध इंटरनेशनल कॉल एक्सचेंज. (Photo: AI)
मेरठ में चल रहा था अवैध इंटरनेशनल कॉल एक्सचेंज. (Photo: AI)

उत्तर प्रदेश पुलिस ने मेरठ में एक अवैध तरीके से चलाया जा रहा इंटरनेशनल टेलीफोन एक्सचेंज का भंडाफोड़ किया है, जो वीओआईपी (VoIP) कॉल को लोकल कॉल में बदलने का काम कर रहा था. इससे सरकार को भारी नुकसान हो रहा था. कॉल ट्रैकिंग में भी दिक्कतें आ रही थीं. इस मामले में पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि तीन अन्य फरार हैं. पुलिस ने मौके से 200 से अधिक सिम कार्ड, सिम बॉक्स और अन्य उपकरण बरामद किए हैं.

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एजेंसी के अनुसार, पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) राकेश कुमार मिश्रा ने बताया कि यह अवैध कॉल एक्सचेंज लखीपुरा इलाके में जुनैद नाम के युवक के घर की ऊपरी मंजिल पर चल रहा था. पुलिस ने एक गुप्त सूचना के आधार पर लिसाड़ी गेट थाना प्रभारी सुभाष चंद्र गौतम और एसडब्ल्यूएटी टीम प्रभारी अरुण कुमार मिश्रा के नेतृत्व में छापेमारी की.

इस दौरान जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, उनकी पहचान जुनैद, उसके भाई शकीब, अरिस और आसिफ के रूप में हुई है. वहीं तीन आरोपी शाहरुख, जीशान और हाजी इरफान फरार हैं, जिनकी तलाश की जा रही है.

यह भी पढ़ें: ऑपरेशन साइबर शील्ड... फर्जी कॉल सेंटर के जरिए करते थे ठगी, जयपुर पुलिस ने 5 आरोपियों को किया अरेस्ट

पुलिस का कहना है कि आरोपी अंतरराष्ट्रीय वीओआईपी कॉल को सामान्य वॉयस कॉल में बदलते थे. इससे कॉल करने वाले की पहचान छिप जाती थी और सरकार को राजस्व का नुकसान होता था. इस गोरखधंधे से आरोपी रोजाना 20,000 से 25,000 रुपये तक की कमाई कर रहे थे.

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जांच में सामने आया कि जुनैद और जीशान ने ये पूरी प्लानिंग की थी. इस धंधे को शुरू करने के लिए उन्होंने हाजी इरफान से चार लाख रुपये का इनवेस्टमेंट कराया था. उसे मुनाफे में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी देने का वादा किया था. इसके बाद इन्होंने आसिफ को इस गिरोह में शामिल कर लिया. उसने 3.45 लाख रुपये की लागत से यह अवैध कॉल एक्सचेंज तैयार किया. वहीं शाहरुख ने इस नेटवर्क को सिम कार्ड, सिम बॉक्स और टेक्निकल हेल्प की.

पहले देहरादून में किया था टेस्ट, फिर मेरठ में सेटअप

पुलिस ने बताया कि इस कॉल एक्सचेंज को पहले देहरादून में रिजवान के घर पर टेस्ट किया गया था, लेकिन नवंबर 2024 में इसे मेरठ में शिफ्ट कर दिया गया. इसके बाद से यह धंधा लगातार चल रहा था. पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम और आईटी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है. अधिकारियों का कहना है कि यह ऑपरेशन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा था, क्योंकि इससे कई संदिग्ध कॉल्स की ट्रेसिंग मुश्किल हो गई थी. इस मामले में आगे की जांच जारी है, और फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम जुटी हुई है.

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