देश ही नहीं, दुनिया भर में अयोध्या सीट पर बीजेपी की हार सबसे ज्यादा चर्चा में है. कारण, जिस अयोध्या में इसी साल 22 जनवरी को नए राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद देश भर में 2024 के चुनाव का आगाज हुआ, बीजेपी वही अयोध्या हार गई. पिछले 40 सालों से जिस अयोध्या के राम मंदिर आंदोलन की बदौलत बीजेपी ने अपनी पूरी पार्टी खड़ी कर ली, वह अयोध्या भाजपा राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के कुछ महीनो के भीतर ही हार गई.
दरअसल, अयोध्या यूपी की फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. फैजाबाद लोकसभा में 6 विधानसभा आती हैं. विधानसभा वार वोट की बात करें तो जिस अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का जिक्र भाजपा की रैलियों में रहा, उसी अयोध्या में बीजेपी को INDIA ब्लॉक के प्रत्याशी से करीब 4000 से वोट अधिक मिले हैं. यह बात बीजेपी के समर्थकों को हजम नहीं हो रही है. इसी के चलते सोशल मीडिया पर तमाम बीजेपी समर्थक अब अयोध्यावासियों को लेकर तरह-तरह की बयानबाजी कर रहे हैं.
किस विधानसभा में किसे मिले कितने वोट
अयोध्या:
- INDIA ब्लॉक को 1,00,004 वोट
- बीजेपी को 1,04,671 वोट
रुदौली विधानसभा:
- INDIA ब्लॉक को 1,04,113 वोट
- बीजेपी को 92410 वोट
मिल्कीपुर विधानसभा:
- INDIA ब्लॉक को 95,612 वोट
- बीजेपी को 87879 वोट
विकासपुर विधानसभा:
- INDIA ब्लॉक को 1,22,543 वोट
- बीजेपी को 92,859 वोट
दरियाबाद विधानसभा:
- INDIA ब्लॉक को 1,31,277 वोट
- बीजेपी को 1,21,183 वोट
ये है अयोध्या का जातीय समीकरण
इस हार की सबसे बड़ी वजह यहां का जातीय समीकरण बने. अयोध्या में जातियों का आंकड़ा समझ लीजिए. अयोध्या में सबसे ज्यादा ओबीसी वोटर हैं जिसमें कुर्मियों और यादवों की संख्या सबसे ज्यादा है ओबीसी 22 प्रतिशत हैं, दलित मतदाता दूसरे नंबर पर आता है जिनकी तादाद लगभग 21% है और उसमें भी पासी बिरादरी सबसे ज्यादा है जिस तबके से सपा के जीते हुए उम्मीदवार अवधेश प्रसाद आते इसके अलावा मुस्लिम भी लगभग 18% यहां है ये तीनो मिलकर 50 फीसदी से ज्यादा होते हैं, इस बार ओबीसी वोटरों का एक साथ आना इसके अलावा दलित वोटरों का इस सामान्य सीट पर दलित कैंडिडेट को जीताने का जुनून और मुस्लिम यादव वोटरों का एकमुश्त सपा का समर्थन बीजेपी की हार का कारण बना.
हार के कारणों को तलाशने में जुटी बीजेपी
अभी इस हार के कारणों को तलाशा जा रहा है. कोई इसे भाजपा के ओबीसी और दलितों के छिटकने की हर बता रहा है, कोई इसे अखिलेश का सॉलिड जातीय समीकरण साधने को वजह मान रहा है, कोई इसे बीजेपी के भीतर दिल्ली और लखनऊ के तनाव से जोड़कर देख रहा है. अयोध्या की हार सिर्फ बीजेपी ही नहीं बल्कि देशभर के भाजपा समर्थकों हिंदुत्ववादी सोच के लोगों के लिए एक सदमें जैसा है. यूं तो फैजाबाद समाजवादी पार्टी के सबसे तगड़े समीकरण के सीटों में से एक है लेकिन इस बार संविधान बदलने का जो माहौल, जो नरेटिव पिछले कुछ दिनों में तैयार हुआ, उसकी पृष्ठभूमि में अयोध्या और उसके सांसद लल्लू सिंह थे. जब बीजेपी ने 400 पर का नारा दिया तो लालू सिंह ही वह पहले नेता थे, जिन्होंने अयोध्या में यह कहा की 400 सीट बीजेपी को संविधान बदलने के लिए चाहिए और उसके बाद तो संविधान बदल देने का मुद्दा ऐसा जोर पकड़ा कि बीजेपी पूरे चुनाव में इस पर सफाई देती रही और इस नॉरेटिव का जवाब देती घूमती रही.
अयोध्या के आसपास की सीटें पर भी बीजेपी की हार
इसके अलावा अयोध्या के विकास में लोगों की जमीनों का अधिकार ग्रहण और मन मुताबिक मुआवजा न मिलाना भी एक नाराजगी की वजह बनकर सामने आई. अयोध्या में लोगों के बीच एक चर्चा रही कि अयोध्या में अगर मंदिर बना अयोध्या शहर का अगर विकास हो रहा है तो इसका फायदा अयोध्या के सुदूर गांव वालों को नहीं मिल रहा बल्कि बाहर से आने वाले बिजनेस करने वाले लोग ही उठा रहे हैं जबकि अयोध्या के लोगों को बड़े-बड़े प्रोजेक्ट में अपनी जमीन में गंवानी पड़ रही है. बीजेपी सिर्फ अयोध्या ही नहीं हारी बल्कि अयोध्या से सटी सभी सीटें हार गई. बस्ती अम्बेडकरनगर, बाराबंकी, जैसी सीटें भी भाजपा हार गई, पूरी तरीके जातीय गोलबंदी ने बीजेपी को अयोध्या में धराशाई कर दिया.