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कर्ज के बोझ तले दबे सहारनपुर के ज्वैलर सौरभ बब्बर ने पत्नी मोना संग नदी में कूदकर सुसाइड कर लिया. सौरभ का अंतिम संस्कार हो चुका है, जबकि पत्नी का शव तीन दिन बाद भी नहीं मिला है. दंपति की मौत से हर कोई सदमे में है. इस बीच पता चला है कि सौरभ ने एक स्कीम (कमेटी) चला रखी थी जिसका नाम था- हर घर सोना. इसे लोग किट्टी कमेटी के नाम से जानते हैं. सौरभ ने 6-7 कमेटी ग्रुप बना रखे थे और हर ग्रुप में 200 मेंबर ऐड थे. हर मेंबर को ₹2000 प्रति माह देने थे, लेकिन सिर्फ 20 लोगों को ही लकी ड्रॉ की रकम मिलती थी. हर ग्रुप के लकी ड्रॉ की डेट अलग थी, किसी ग्रुप की लकी ड्रॉ की डेट महीने की 10 तारीख तो किसी की 25 तारीख. इसके लिए हर कमेटी मेंबर को एक कार्ड दिया जाता था. इसमें हर महीने दी गई रकम की एंट्री की जाती थी, लकी ड्रॉ के बारे में भी लिखा रहता था.
जिस ग्रुप की लकी ड्रॉ की जो डेट होती थी उस दिन सहारनपुर के घंटाघर स्थित एक होटल में सभी मेंबरों को बुला लिया जाता था और वहां पर लकी ड्रॉ निकाला जाता था. लकी ड्रॉ 20 महीने का होता था, शुरू के 10 महीने के जो लकी ड्रॉ जीतते थे उनको 25000 रुपये के सोने या चांदी के आभूषण दिए जाते थे और 11वें महीने से 20 वें महीने तक जो लकी ड्रॉ विनर होते थे उनको 40000 रुपए के सोने या चांदी के आभूषण दिए जाते थे. और बाकी सभी मेंबरों को उनकी टोटल जमा की हुई रकम के सोने/चांदी की आभूषण मिलते थे. किसी भी कमेटी मेंबर को पैसे नहीं मिलते थे सिर्फ गोल्ड या सिल्वर की ज्वैलरी ही दी जाती थी.
लकी ड्रॉ के दिन गायब हुआ सौरभ, फिर आई मौत की खबर
बताया जा रहा है कि 10 अगस्त 2024 को भी कमेटी का लकी ड्रॉ खुलना था. इसको लेकर सभी मेंबर इकट्ठे होकर सौरभ बब्बर की दी हुई होटल की लोकेशन पर पहुंच गए और उसका इंतजार करने लगे. काफी समय हो गया लेकिन सौरभ नहीं पहुंचा. इसपर मेंबरों ने कई बार सौरभ को फोन किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. लकी ड्रॉ के लिए पहुंचे मेंबर सिर्फ यही बात कर रहे थे कि आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि सौरभ बब्बर टाइम पर ना आया हो, न जाने आज क्या हो गया. आखिर में सभी कमेटी मेंबर अपने-अपने घर चले गए. इसके अगले दिन (11 अगस्त) पता चला कि सौरभ ने अपनी पत्नी मोना के साथ हरिद्वार की गंगा में कूदकर आत्महत्या कर ली है. यह बात जानकर सारे मेंबर सन्न रह गए.
फिलहाल, सौरभ बब्बर की दुकान के बाहर रोज कमेटी मेंबर्स जमा हो रहे हैं. कोई एक जाता है तो दूसरा आता है. सबने सिर्फ यही उम्मीद लगा रखी है शायद कोई उनका गोल्ड/पैसा लौटा देगा या कुछ भरोसा देगा. लेकिन सौरभ की दुकान और मकान पर ताला लगा हुआ है. कमेटी मेंबर के हाथों में सिर्फ एक कार्ड है जिस पर लिखा है श्री साईं ज्वेलर्स, हर घर सोना स्कीम. कई मेंबरों की गोल्ड कमेटी (किट्टी कमेटी) पूरी हो चुकी है और उनको सिर्फ सोना लेना था. उन सभी को सौरभ ने बीते सोमवार को बुला रखा था. मगर जब वे सौरभ की दुकान पर पहुंचे तो वहां पर ताला देखकर मायूस हो गए.
सौरभ बब्बर के द्वारा जो गोल्ड कमेटी के किट्टी ग्रुप चलाए जा रहे थे, उसमे हर मेंबर को एक कार्ड दिया जाता था. इसमें हर महीने दिए गए रकम की एंट्री की जाती थी जिसमें लकी ड्रॉ के बारे में भी लिखा रहता था. इसी के साथ कुछ नियम और शर्तें भी थीं, जो कुछ इस प्रकार हैं-
* यह स्कीम 2000 प्रतिमाह की 20 माह तक चलेगी, ड्रॉ हर माह की 25 तारीख को 5 बजे खुलेगा.
* किश्त ड्रॉ से पहले देनी होगी, नहीं तो मेंबर का टोकन शामिल नहीं किया जाएगा.
* जिस व्यक्त्ति का लकी ड्रॉ निकलेगा उसे स्कीम के अनुसार जेवर (सोना, चांदी, हीरा, आभूषण) मिलेगा और उसको आगे से किस्त नहीं देनी होगी.
* अगर कोई मेंबर बीच में कमेटी छोड़ दे तो कुछ किस्त काटकर उसको अंतिम माह में आभूषण दिए जायेंगे.
* 10वें विजेता को 50000 व 20वें विजेता को 70000 का नकद इनाम दिया जायेगा.
* हर माह ड्रॉ के बाद 5 Present Gift भी टोकन के माध्यम से निकाले जाएंगे.
* जिस व्यक्ति का लकी ड्रॉ नहीं निकलेगा उसे भी 20वें माह में 40000 रुपये का जेवर मिलेगा.
* सभी सम्मानित मेंबरों को धर्म कांटे की पर्ची और पक्का बिल दिया जाएगा, जिससे की आप भविष्य में भी हमसे जुड़े रह सकें.
* पक्का बिल लेना अनिवार्य होगा क्योंकि हम कोई भी ज्वैलरी बिना पक्के बिल के नहीं दे सकते.
* किसी भी स्थिति में पैसे वापस नहीं होंगे केवल आभूषण ही मिलेंगे, गिन्नी नहीं मिलेगी.
तमाम कमेटी मेंबर्स ने क्या कहा?
इस मसले पर शाइस्ता नाम की गोल्ड कमेटी मेंबर कहती हैं कि 10 तारीख को लकी ड्रॉ होना था, हम वहां पर गए, हमने उनका (सौरभ) इंतजार किया लेकिन वह नहीं आए. हमारी कमेटी का लकी ड्रॉ हर महीने 10 तारीख को होता था, इसमें सोना मिलता था 40000 का. मेरी 40 हजार की कमेटी थी और 40 हजार का सोना मिलना था. महीने के ₹2000 देते थे. हमारे पास 23 कार्ड है, यानि इतनी बार रकम जमा की थी. लकी ड्रॉ पर गोल्ड मिलना था लेकिन वो आए ही नहीं, बाद में सुसाइड की खबर पता चली.
वहीं, कमेटी मेंबर एक और मेंबर हरप्रीत सिंह भाटिया ने कहा कि सौरभ इंसान तो बहुत बढ़िया थे. इसलिए किसी को भी विश्वास नहीं हुआ जब इस बात का पता चला कि उन्होंने जान दे दी है. अब देखिए गरीब लोग, मजदूर लोग जिनकी मेहनत की कमाई लगी थी उनका क्या होगा. इसमें तो प्रशासन ही कुछ कर सकता है. लोगों का करीबन 5 से 6 करोड़ के आसपास फंसा है. पैसे भी गए और गोल्ड/जेवर भी नहीं मिला.
गोल्ड कमेटी मेंबर आबदा के मुताबिक, हमारा भी पैसा जमा है. सोमवार को गोल्ड लेना था. गोलू भैया (सौरभ का नौकर) को सब पता है. उनके सामने पैसे दिए थे. सौरभ ने कॉल कर कहा था कि 11 अगस्त को आना दुकान गोल्ड (7 से 8 तोला) ले जाना. मगर फिर कॉल नहीं उठाई. अगले दिन मौत की खबर आई. हालांकि, हम लोगों को बॉडी का चेहरा नहीं दिखाया गया. समझ नहीं आ रहा हम लोग क्या करें.