उत्तर प्रदेश के बरेली में आईपीएस प्रभाकर चौधरी के ट्रांसफर की खूब चर्चा हो रही है. कांवड़ियों पर लाठीचार्ज मामले के तीन घंटे बाद ही उनका ट्रांसफर कर दिया गया. बीते 8 साल में 15 जिलों की कमान संभाल चुके प्रभाकर चौधरी का 18 बार तबादला किया गया है. इसी को लेकर उनके प्रभाकर के पिता पारस नाथ चौधरी ने बीजेपी के प्रति नाराजगी दिखाई. उन्होंने कहा कि वो आज से बीजेपी के खिलाफ ही रहेंगे. आगे चुनाव में कुछ इलाकों में तो बीजेपी को कभी भी जीतने नहीं देंगे.
'यूपी तक' से बातचीत में पारस नाथ चौधरी ने कहा, ''प्रभाकर के ट्रांसफर का मुख्य कारण है उनकी ईमानदारी. ईमानदारी के कारण ही उनका ट्रांसफर होता रहता है. वो नेताओं से दूरी बनाकर रखते हैं. प्रभारकर उनकी बातों को नहीं सुनते क्योंकि नेता उनसे गलत काम करवाना चाहते हैं. जब प्रभाकर बीजेपी के नेताओं की बात नहीं सुनते तो वो उनसे नाराज हो जाते हैं. यही कारण है कि प्रभाकर का दो या तीन महीने में ही ट्रांसफर करवा दिया जाता है.''
उन्होंने बताया, ''प्रभाकर को ट्रांसफर की इतनी आदत पड़ गई है कि वो जिले या सूबे में 4 से 6 महीने में रहते-रहते खुद ही ऊब जाते हैं. उन्हें पता होता है कि उनका ट्रांसफर फिर से करवा दिया जाएगा.'' बरेली में कांवड़ियो पर लाठीचार्ज पर प्रभाकर के पिता ने कहा कि वहां उन्होंने अच्छा काम किया. अगर उस दिन जरा सी भी लापरवाही बरती जाती तो करीब 10 से 20 कांवड़िये जरूर मारे जाते. लेकिन अच्छे काम का नतीजा काफी बुरा मिला. हमें इसका बेहद दुख है.
'10 से 20 इलाकों में बीजेपी को जीतने नहीं दूंगा'
इसी के साथ पारस नाथ ने कहा, ''मैं पहले बीजेपी का बड़ा पदाधिकारी था. लेकिन आज से मैंने तय कर लिया है कि मैं बीजेपी के खिलाफ ही रहूंगा. बहुत बड़ा आदमी तो नहीं हूं लेकिन 10 से 20 इलाकों पर इतनी मेरी भी पकड़ है कि वहां तो मैं बीजेपी को कभी जीतने नहीं दूंगा. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने मेरे बेटे के साथ गलत किया. उसकी ईमानदारी के बदले उसका ट्रांसफर ही करवा दिया.''
बता दें, कांवड़ियों पर लाठीचार्ज के महज तीन घंटे के भीतर प्रभाकर चौधरी का तबादला लखनऊ कर दिया गया. कहा जा रहा है कि उन्हें एसएसपी से सेनानायक बनाकर उनके कद को छोटा कर दिया गया है. प्रभाकर चौधरी की जगह सीतापुर के एसपी सुशील चंद्रभान धुले को बरेली का नया एसएसपी बनाया गया है. दरअसल, रविवार की शाम 7 बजे कांवड़ियों पर लाठीचार्ज का मामला सामने आया था. इसके बाद ट्रांसफर आदेश आ गया.
कौन हैं प्रभाकर चौधरी?
प्रभाकर चौधरी 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. वे अंबेडकरनगर जिले के रहने वाले हैं. प्रभाकर चौधरी ने अपने पहले ही प्रयास में सिविल सर्विसेज की परीक्षा में सफलता हासिल की. उन्हें आईपीएस के रूप में चुना गया. यूपी कैडर में उन्हें तैनाती दी गई. प्रभाकर चौधरी ने देवरिया, बिजनौर, बलिया, बुलंदशहर और कानपुर देहात में एसपी के पद पर काम किया है.
वह वाराणसी, मुरादाबाद, मेरठ और आगरा में एसएसपी का पदभार संभाल चुके हैं. बरेली के एसएसपी पद पर मार्च में उनका ट्रांसफर हुआ था. उन्होंने तब कहा था कि यह उनकी 18वें जिले में तैनाती है. इससे पहले मेरठ के एसएसपी थे, वहां उन्होंने अपना एक साल का कार्यकाल पूरा किया था. अन्य जिलों में प्रभाकर चौधरी सिर्फ छह से सात महीने का ही कार्यकाल पूरा कर पाए.
क्यों हुई कार्रवाई?
प्रभाकर चौधरी के ट्रांसफर को लेकर कई प्रकार की बातें कही जा रही हैं. बरेली में कांवड़ियों पर लाठीचार्ज को कुछ लोग कारण बता रहे हैं. वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि एसएसपी का बयान कार्रवाई का कारण बना है. दरअसल, लाठीचार्ज के बाद एसएसपी ने कहा था कि कांवड़ियों के बीच कुछ गलत लोग नशे में थे. उनके पास अवैध हथियार थे. एसएसपी के इसी बयान को लेकर मीडिया का एक वर्ग ट्रांसफर किए जाने की बात कर रहा है. सीएम योगी आदित्यनाथ के कानून व्यवस्था की बात को आधार बनाया जा रहा है. लोग कह रहे हैं कि जिस कप्तान ने बरेली में दंगे से बचाया, उसी पर एक्शन लिया जा रहा है.
(अंबेडकर नगर से केके पाण्डेय की रिपोर्ट)