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लखनऊ के 906 अस्पतालों में सिर्फ 301 के पास फायर एनओसी, झांसी अग्निकांड के बाद आजतक की पड़ताल

झांसी हादसे के बाद लखनऊ में भी बड़ा एक्शन हुआ है, लखनऊ के 80 अस्पतालों को नोटिस दिया गया है. कई अस्पतालों में फायर विभाग ने जांच की. 906 अस्पतालों में सिर्फ 301 अस्पतालों के पास फायर एनओसी पाई गई. फायर विभाग बचे अस्पतालों में जांच कर अब कारवाई करेगा.

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झांसी अग्निकांड में 11 नवजात बच्चों की झुलसकर मौत हो गई
झांसी अग्निकांड में 11 नवजात बच्चों की झुलसकर मौत हो गई

झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार देर रात लगी आग में झुलसकर 11 बच्चों की मौत हो गई. अस्पताल में न तो आग से बचाव के पुख्ता इंतजाम थे और न ही फायर एग्जिट दुरुस्त था. आजतक ने जब राजधानी लखनऊ के बच्चों और महिलाओं के प्रसव वाले सरकारी अस्पतालों में फायर के इंतजामों की पड़ताल की तो यही हाल लखनऊ के अस्पतालों का मिला.

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झांसी हादसे के बाद लखनऊ में भी बड़ा एक्शन हुआ है, लखनऊ के 80 अस्पतालों को नोटिस दिया गया है. फायर विभाग ने अस्पतालों को नोटिस दिया, क्योंकि गाइडलाइंस के मुताबिक इंतजाम नहीं मिले. कई अस्पतालों में फायर विभाग ने जांच की. 906 अस्पतालों में सिर्फ 301 अस्पतालों के पास फायर एनओसी पाई गई. फायर विभाग बचे अस्पतालों में जांच कर अब कारवाई करेगा.

रियलिटी चेकः झलकारी बाई अस्पताल, हजरतगंज 

आजतक सबसे पहले लखनऊ का दिल कहे जाने वाले हजरतगंज स्थित झलकारी बाई अस्पताल में पड़ताल करने पहुंचा. यहां एंट्री और एग्जिट का एक ही गेट नजर आया. अंदर जाने की कोशिश हुई तो बाहर ही रोक दिया गया, 10 से 15 मिनट इंतज़ार के बाद एक फोन कॉल पर अस्पताल की CMS डॉ. निवेदिता कर ने बात की और कहा कि वह अभी बात नहीं कर पाएंगी, फायर को लेकर इंतज़ाम पूरे हैं. इसके बाद परमिशन लेने के बाद आजतक अपस्ताल के अंदर दाखिल हुआ. बताया गया कि कुल 30 फायर एक्सटिंग्विशर लगे हैं. करीब जाकर देखने पर पता चला कि सभी पर नई नवेली स्लिप चिपकी हुई है, और दो महीने पहले की तारीख फायर एक्सटिंग्विशर पर लगी हुई है. पड़ताल करने पर बताया गया कि इलेक्ट्रीशियन पूरा काम देखते हैं, मानकों के मुताबिक एक फायर अफसर का मौके पर होना ज़रूरी है, जो नदारद मिला. आगे चलने पर जब पड़ताल की गई कि फायर एग्जिट कहां है? तो बताया गया कि आगे से जाइए. जब वहां पहुंचे तो पाया कि एक पतली सी गली जैसा स्पेस है, जिसके आधे रास्ते पर बोरे पड़े हुए हैं और नीचे पानी भरा है, जिसमें मच्छर पनप रहे हैं. एग्जिट गेट के नाम पर बंद पड़ा रास्ता है. रास्ता भी ऐसा कि इमरजेंसी में कोई बाहर भाग भी न पाए. 

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झलकारी बाई अस्पताल में ऐसा है फायर एग्जिट का रास्ता


रियलिटी चेकः  वीरांगना अवंतीबाई महिला अस्पताल उर्फ डफरिन 

इसके बाद आजतक राजधानी के वीरांगना अवंतीबाई महिला अस्पताल उर्फ डफरिन पहुंचा. यहां के इंतज़ाम और खस्ता हाल मिले. यहां बाहर दो फायर hose box दिखाई पड़े. (फ़ायर होज़ बॉक्स का मतलब है अग्नि नली बॉक्स, जिसमें अग्निशमन से जुड़े उपकरणों को रखा जाता है. इनमें फ़ायर होज़, फ़ायर एक्सटिंग्विशर, फ़ायर होज़ रील, शाखा पाइप वगैरह शामिल हैं.) करीब जाकर देखा तो होज box के अंदर कपड़े और कागज रखे हुए थे, होज पाइप की जगह अंदर मच्छर तैर रहे थे. इसका इस्तेमाल अस्पताल में कपड़े सुखाने के लिए भी किया जा रहा था. सामने बने एक और hose box को जब देखा, उसका तो शीशा टूटा पड़ा था, पाइप निकला रहा था और बॉक्स नीचे से पूरा टूटा हुआ था. बगल में पानी एकत्र था, अलग-अलग तरह के मच्छर, थूक, गंदगी से रंगी फर्श और दीवार नजर आया.

डफरिन में फायर होज बॉक्स में कपड़े पड़े हुए हैं

 

फायर एक्सटिंग्विशर पर नई स्लिप लगी थी

इतना सब देखने के बाद जब पड़ताल के लिए आजतक अस्पताल के अंदर दाखिल हुआ, तो गार्ड्स ने बोला- यहां सब लगा हुआ है, आगे चलकर जब फायर एक्सटिंग्विशर दिखे, तो उसपर फोन सटा कर चार्जिंग की जा रही थी. कैमरा देखते ही उसे हटाया गया. फायर एक्सटिंग्विशर पर एक स्लिप लगी थी, जिसने 2 महीने पुरानी तारीख लगी थी. हालांकि, यह स्लिप भी काफी नई थी, जैसे कल ही लगाई गई हो. उस स्लिप के नीचे एक और स्लिप भी पाई गई. सवाल करने पर गार्ड मुस्कुरा दिया.

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होज बॉक्स के शीशे टूटे, पाइप उखड़ा मिला

आगे चलने पर जगह-जगह गंदगी से होते हुए कुछ और होज बॉक्स दिखाई पड़े, कुछ के शीशे टूटे थे, कुछ में पाइप उखड़ा हुआ था, कुछ के हालात बेहद खराब थे, कोने में बना एक बॉक्स ही ठीक पाया गया. बाहर निकलते वक्त दिखाई पड़ा कि जहां ट्रांसफार्मर बना है, वहां फायर बकेट स्टैंड तो बना है, लेकिन उसपर गमले टंगे हैं. कैमरा देखते ही आननफानन में फायर बकेट लाए गए और गमले हटाए जाने लगे. सवाल करने पर बताया कि फायर बकेट में बालू रखी जाती है, जिससे आग लगने पर बचाया जा सके, जब पूछा गया कि अभी तक फायर स्टैंड खाली क्यों था, तो मौजूद कर्मचारियों ने कहा कि ऐसे खाली-खाली लग रहा था इसलिए गमले टांग दिए थे.

'लोगों की नियमों के पालन में रुचि नहीं'

नवजात शिशुओं के सरकारी अस्पतालों के ये हालत देखने के बाद हम फायर नॉर्म्स और कमियों को समझने के लिए पूर्व चीफ फायर ऑफिसर राकेश राय के पास पहुंचे, जिन्होंने विस्तृत तरीके से आगे लगने और लापरवाही की वजहों पर प्रकाश डाला. राकेश राय ने कहा कि सरकार इतनी सुविधाएं दे रही है, ताकि आग से नुकसान न हो, इसके बाद भी चीजें इंप्लीमेंट नहीं हो रही हैं. लेवना होटल में आग के दौरान भी यही हुआ था. लोगों की नियमों के पालन में रुचि नहीं है. एक पार्टी ऑडिट मांग रही है, दूसरी पार्टी फायर एनओसी दे रही है. नेशनल बिल्डिंग कोर्ट के मुताबिक ऑडिट हमेशा थर्ड पार्टी ही करेगी. थर्ड पार्टी को हटा दिया गया. यही सारी समस्या की जड़ है. अगर थर्ड पार्टी ऑडिट करेगी, तो दोनों की कमी को उजागर कर देगी. उन्होंने कहा कि तमाम अस्पतालों में ऑल्टरनेट रूट नहीं है. अस्पताल में जगह की कमी के कारण एग्जिट गेट नहीं रखते. एनओसी देने वाले और लेने वाले दोनों तरफ से कमियां होती हैं. फायर डिपार्टमेंट अगर एनओसी दे रहा है, तो अपनी ही ऑडिट में गलती क्यों मानेगा. भवन स्वामी की जिम्मेदारी है कि वह देखे कि उसने जो एनओसी ली है, वह सही है कि नहीं.

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