उमेश पाल हत्याकांड में पांच-पांच लाख के इनामी शूटर असद और मोहम्मद गुलाम का एनकाउंटर हो गया है. इस एनकाउंटर के मामले में इनामी शूटर असद और मोहम्मद गुलाम पर तीन मुकदमे दर्ज किए गए हैं. झांसी के बड़ागांव थाने में एसटीएफ की तरफ से 3 एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें एनकाउंटर की पूरी डिटेल शामिल है.
पहली एफआईआर क्राइम नंबर- 74/23 में असद और गुलाम पर हत्या के प्रयास की एफआईआर दर्ज हुई. दूसरी एफआईआर क्राइम नंबर- 75/23 अतीक अहमद के बेटे असद से बरामद हुई पिस्टल के मामले में आर्म्स एक्ट में दर्ज हुई. तीसरी एफआईआर क्राइम नंबर- 76/23 मो गुलाम से बरामद हुई विदेशी पिस्टल और कारतूस के मामले में दर्ज हुई है.
एसटीएफ ने चलाई 9 गोली
तीनों एफआईआर को एसटीएफ के डिप्टी एसपी नवेंदु सिंह की तरफ से लिखाई गई. तीनों एफआईआर के अनुसार असद और गुलाम ने पुलिस पर की फायरिंग तो एसटीएफ की तरफ से 9 गोली चलाई गई. सीओ नवेंदु सिंह ने दो गोली चलाई, सीओ विमल सिंह ने एक, इंस्पेक्टर अनिल सिंह और ज्ञानेंद्र राय ने एक-एक गोली चलाई थी.
इसके अलावा हेड कांस्टेबल पंकज तिवारी, सुशील कुमार, सुनील कुमार और भूपेंद्र ने अपनी-अपनी पिस्टल से एक-एक फायर किया. एफआईआर में कहा गया कि मुखबिर से पुलिस को असद और शूटर गुलाम की खबर मिली और फिर पुलिस ने झांसी से 23 किलोमीटर दूर पारीछा में असद-गुलाम की घेराबंदी की और एनकाउंटर में दोनों मारे गए.
कैसे असद और गुलाम की घेराबंदी की गई?
पुलिस की एफआईआर में माफिया अतीक अहमद के बेटे असद के एनकाउंटर की पूरी डिटेल है. एफआईआर के मुताबिक, शूटर असद और गुलाम के बारे में मुखबिर से पुलिस को जानकारी मिली. 13 अप्रैल को ही पुलिस को पता चला कि असद और गुलाम झांसी के चिरगांव में है. 13 अप्रैल को 11.30 बजे पुलिस को खबर मिली थी कि असद और गुलाम बिना नंबर वाली काली और लाल रंग की डिस्कवर बाइक से पारीछा डैम की तरफ जा रहे थे.
पुलिस की टीम पहले से तैयार थी. पारीछा डैम के 100 मीटर पर उन्हें बुलंद आवाज में रूकने को कहा गया, लेकिन बाइक रूकी नहीं. उसकी स्पीड बढ़ गई. पीछा करने पर बाइक से कच्चे रास्ते की भागने लगे. आगे बबूल की झाड़ी पर बाइक गिर गई. झाड़ी की आड़ में छिपकर असद और गुलाम पुलिस को गाली देने लगे. अंधाधुंध गोलियां चलाने लगे.
सूनसान इलाके में एनकाउंटर
जवाब में पुलिस ने गोलियां चलाई. जब सामने से फायरिंग बंद हुई तो पास से देखा गया. असद-गुलाम कराह रहे थे. एंबुलेंस बुलाकर दोनों को पास के अस्पताल में भेजा गया, जहां दोनों की मौत की जानकारी दी गई. असद-गुलाम का जहां एनकाउंटर हुआ, वो इलाका झांसी से 23 किलोमीटर दूर है. पारीछा डैम का इलाका सुनसान है. आस-पास कोई रिहायशी इलाका नहीं है.
असद और गुलाम की जो बाइक मिली, वो बिना नंबर की है. असद और गुलाम ने हेलमेट भी नहीं लगाई थी मतलब पहचान छुपाने की दोनों ने कोई कोशिश नहीं की थी. सवाल तो ये भी है कि आखिर झांसी क्यों पहुंचा था असद-गुलाम? चिरगांव से सुनसान इलाके वाला परीछा डैम की ओर क्यों जा रहा था?