यूपी के पूर्व मंत्री और बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी पर कोर्ट सख्त हो गया है. पुलिस को भी जमकर लताड़ लगाई है. कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अमरमणि को हर हाल में कोर्ट में पेश किया जाए. लेकिन पुलिस है कि उन्हें खोज ही नहीं पा रही. दरअसल, मामला 22 साल पुराने अपहरणकांड से जुड़ा है. इसमें अमरमणि मुख्य आरोपी हैं. इस केस की सुनवाई बस्ती की MP-MLA कोर्ट में चल रही है. लेकिन बार-बार बुलाने पर भी अमरमणि कोर्ट में पेश नहीं हो रहे. कोर्ट ने बस्ती पुलिस को आदेश दिया है वो अमरमणि को कैसे भी करके हाजिर कराए.
अमरमणि त्रिपाठी के मकान पर कुर्की का नोटिस भी चस्पा किया जा चुका है. उन्हें भगोड़ा तक घोषित किया जा चुका है. लेकिन अमरमणि बस्ती पुलिस के हाथ नहीं लग रहे हैं. उधर, कोर्ट से लगातार तल्ख टिप्पणी हो रही कि आखिर अमरमणि को खोजने में पुलिस सफल क्यों नहीं हो रही है.
कोर्ट ने बस्ती के एसपी को लगाई फटकार
दरअसल, तारीख दर तारीख अमरमणि त्रिपाठी कोर्ट में पेशी से गैरहाजिर रहे हैं. जिस पर 16 अक्टूबर को एमपी-एमएलए कोर्ट के जज ने कड़ा रूख अपनाते हुए बस्ती एसपी को आदेश दिया कि वह हर हाल में अमरमणि को कोर्ट में पेश करें. लेकिन बस्ती पुलिस उन्हें कोर्ट में पेश करने में असफल साबित हुई. जिसके बाद कोर्ट ने एसपी को फटकार लगाते हुए कहा कि पुलिस गरीब अपराधियों को पकड़ने में पूरी तत्परता से लग जाती है, उनके खिलाफ पैरवी भी बड़ी तत्परता पूर्वक करती है लेकिन जैसे ही किसी प्रभावशाली दुर्दांत अपराधी को पकड़ने की बात आती है तो उसके कदम डगमगा जाते हैं.
बीते दिन भी अमरमणि को कोर्ट में पेश होना था लेकिन वो फिर से पेश नहीं हुए. इस पर कोर्ट ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि यदि 2 दिसंबर (सुनवाई की अगली तारीख) को आरोपी पेश नहीं हुए तो उनके खिलाफ कुर्की की कार्रवाई की जाएगी. साथ ही शहर कोतवाल को कार्यवाही में अक्षम बताते हुए कोर्ट ने पूछा कि क्यों ना उन्हें दंडित किया जाए. कोतवाल से भी 2 दिसंबर को कोर्ट ने जवाब मांगा है.
बस्ती के कोतवाल को नोटिस
कोर्ट ने बस्ती के कोतवाल को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इस मामले में कोतवाल अभियुक्त को भ्रमित कर रहे हैं, क्यूंकि उन्हें यह आदेश दिया गया था कि अमरमणि की फरारी की उद्घोषणा को समाचार पत्र में इश्तिहार के रूप में निकलवाए लेकिन उन्होंने समाचार पत्र में जो इश्तेहार निकलवाया उसमें इस मामले को "न्यायालय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट" में विचाराधीन होना दिखाया है, जबकि यह मामला एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रहा है. इसको लेकर कोर्ट ने कोतवाल को अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाही बरतने का दोषी मानते हुए उन्हें नोटिस जारी कर दिया है.
फिलहाल, कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस की कई टीमें अमरमणि को तलाश रही हैं. एसओजी भी लगाई गई है. अलग-अलग ठिकानों पर दबिश दी जा रही है. लेकिन अमरमणि का कोई अता-पता नहीं चल रहा है. वहीं, अमरमणि के वकील (बचाव पक्ष) ने कोर्ट से मेडिकल ग्राउंड पर मोहलत देने की याचिका डाली है. जिसे कोर्ट ने रिजेक्ट कर दिया है. कोर्ट ने दो टूक कहा कि आरोपी को हर हाल में पेश होना होगा.
वो अपहरणकांड जिसमें फंसे अमरमणि त्रिपाठी
बता दें कि जिस केस में अमरमणि को वारंट जारी हुआ है वो केस 2001 का है. उस वक्त बस्ती कोतवाली क्षेत्र में बिजनेसमैन धर्मराज गुप्ता के बेटे का अपहरण कर लिया गया था. बाद में व्यापारी के बेटे को तत्कालीन विधायक अमरमणि के लखनऊ स्थित घर से बरामद किया गया था. इस मामले में अमरमणि समेत आधा दर्जन से ज्यादा लोग आरोपी बनाए गए थे. बस्ती के एमपी एमएलए कोर्ट में इस मामले का ट्रायल चल रहा है, जिसमें वारंट जारी होने के बाद भी लगातार पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी न्यायालय में गैरहाजिर चल रहे हैं.