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यूपी के इस शहर में 9 दिन में 130 लोगों की हार्ट अटैक से मौत, हर अस्पताल में बढ़े हार्ट पेशेंट

Heart Attack in Winter: यूपी के कानपुर में बीते 9 दिनों में करीब 130 लोगों की हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है. इस मामले में एक्सपर्ट का कहना है कि भीषण ठंड की वजह से ऐसे मामले तेजी से बढ़े हैं. दिल के मरीजों पर ठंड कहर बरपा रही है. लोगों को ठंड से बचने की जरूरत है. कानपुर के अलावा प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी हार्ट पेशेंट बढ़े हैं.

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कानपुर में हार्ट अटैक के मामले एकाएक बढ़ गए हैं
कानपुर में हार्ट अटैक के मामले एकाएक बढ़ गए हैं

उत्तर प्रदेश के कानपुर में अब तक कड़ाके की ठंड के बीच 9 दिन में करीब 130 लोगों की मौत हार्ट अटैक से हो चुकी है. दिल के मरीजों के लिए यह मौसम बेहद खतरनाक बना हुआ है. एक्सपर्ट का कहना है कि भारी ठंड के बीच खून के थक्के जमने से ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ जाता है. इसी वजह से इस कड़ाके की ठंड के मौसम में हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक के काफी मामले सामने आ रहे हैं.

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केजीएमयू के कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. अक्षय प्रधान का कहना है कि इस ठंड के मौसम में हार्ट अटैक सिर्फ बुजुर्गों तक ही सीमित नहीं रहा है. कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें किशोरों को भी दिल का दौरा पड़ा है. उन्होंने कहा कि हर किसी को, चाहे वह किसी भी उम्र का हो, उसे ठंड से बचने की जरूरत है. जहां तक संभव हो, घर के अंदर ही रहें. बाहर निकलने पर पूरी तरह से खुद को ढंक लें.

डॉक्टर बोले- इस साल मौत के आंकड़े हैरान करने वाले हैं

एलपीएस हृदय रोग केंद्र कानपुर के निदेशक डॉ. विनय कृष्ण ने कहा कि सर्दी से सभी को बचने की जरूरत है. कानपुर के साथ ही राजधानी लखनऊ के अस्पतालों में भी हार्ट पेशेंट की संख्या तेजी से बढ़ी है. यहां पिछले साल के मुकाबले आंकड़ा काफी ज्यादा है. विनय कृष्ण ने कहा कि यह आकड़े हैरान करने वाले हैं, पहले कभी इतनी मौतें नहीं देखीं गई, पोस्ट कोविड इफेक्ट और ठंड का डेडली कॉम्बिनेशन बन रहा है.

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कानपुर जिले के सबसे बड़े हृदय रोग के अस्पताल कार्डियोलॉजी में प्रतिदिन हजारों की तादाद में लोग पहुंच रहे हैं. सरकारी आंकड़े के अनुसार पिछले 9 दिन में सिर्फ कार्डियोलॉजी हॉस्पिटल में हार्ट अटैक से 131 लोगों की मौत हुई है. रोज 1000 से 1500 मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं. आलम यह है कि अस्पताल के अंदर बैठने तक की जगह नहीं है और लोग बाहर सड़क पर अपना बिस्तर डालकर समय बिताने पर मजबूर हैं. यहां बैठे लोगों ने बताया कि इनके परिवार के सदस्य को ठंड के चलते हार्ट अटैक आया, जिसके बाद कार्डियोलॉजी में उन्हें भर्ती कराया गया.

उधर, मैक्स अस्पताल के प्रिंसिपल डाइरेक्टर डॉ. विवेक कुमार ने इंडिया टुडे से बात करते हुए बताया कि कोविड 19 महामारी के दौरान जो लोग भी कोरोना वायरस के संक्रमित हुए थे, उनमें हार्ट अटैक का खतरा काफी ज्यादा पाया जा रहा है. मरीजों में यह खतरा सिर्फ कोरोना महामारी के दौरान ही नहीं पाया गया था बल्कि उसके एक साल बाद भी पाया गया. पोस्ट-कोविड टीकाकरण के शुरुआती चरण में भी हार्ट अटैक के मामले बढ़ते हुए नजर आए.

किन लोगों को है सबसे ज्यादा खतरा?
डॉ. कुमार ने बताया कि कोरोना महामारी के बाद से हार्ट अटैक के मामले लगभग दोगुने हो चुके हैं. डॉ. कुमार ने बताया कि जिन लोगों में अभी भी कोरोना का वायरस मौजूद है, ऐसे लोगों में हार्ट अटैक का खतरा काफी ज्यादा है. इसके अलावा जो लोग स्मोकिंग करते हैं और अनियंत्रित डायबिटीज के साथ हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहे हैं, उनमें भी हार्ट अटैक का खतरा काफी ज्यादा होता है.

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इमरजेंसी मेडिकल जर्नल की एडिटर एलेन वेबर ने इंडिया टुडे से बातचीत के दौरान बताया कि, कोरोना महामारी के बाद लोगों में हार्ट अटैक का खतरा काफी ज्यादा बढ़ गया है. एलेन ने बताया कि हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा उन मरीजों में सबसे ज्यादा पाया गया है जो किसी बीमारी के कारण अस्पताल में एडमिट है, इसमें भी खासतौर पर वो मरीज जो आईसीयू (ICU) में हैं. सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि भारत में पहले से ही हृदय संबंधित बीमारियों के मामले ग्लोबल एवरेज से काफी ज्यादा हैं.

 

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