उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में 'मौत का बुलडोजर' चला. यहां सोमवार को अतिक्रमण हटाने के दौरान मां और बेटी की जलकर मौत हो गई. इस घटना पर अब सियासत तेज हो गई है. सपा से लेकर कांग्रेस तक ने ब्राह्मणों के उत्पीड़न का मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है. कांग्रेस ने कानपुर की घटना पर ब्राह्मण कार्ड चला है तो सपा ने अपने विधायक मनोज पांडेय के अगुवाई में 11 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल भेजा है, जो पीड़ित परिवार से मुलाकात करेगा. इसी तरह से कांग्रेस की तरफ से नकुल दुबे ने मोर्चा संभाल लिया है.
बीजेपी को सपा ने ब्राह्मण विरोधी बताया
समाजवादी पार्टी ने ट्वीट कर कानपुर देहात की घटना को ब्राह्मणों के उत्पीड़न से जोड़ते हुए निंदा की. सपा के मीडिया सेल ने कहा कि योगी सरकार में लगातार ब्राह्मण निशाने बनाए जा रहे हैं. लगातार चुन-चुन कर ब्राह्मणों के साथ घटनाएं घटित हो रहीं हैं. दलित-पिछड़ों के साथ साथ ब्राह्मण भी बीजेपी शासित योगी सरकार के अत्याचार का निशाना बन रहे हैं. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर कहा कि शासन-प्रशासन जब अभय एवं निर्भय की जगह भय और उत्पीड़न के प्रतीक बन जाएं तो समझ लेना चाहिए उनका अंत निकट है.
सपा का प्रतिनिधिमंडल घटना का लेगा जायजा
सपा ने अपने विधायक और पार्टी के ब्राह्मण चेहरा मनोज पांडे के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल भेजा कानपुर देहात पीड़ित परिवार से मिलने के लिए भेजा है, जिसमें कानपुर से विधायक अमिताभ बाजपेयी, विधायक विनोद चतुर्वेदी, प्रदीप यादव और हसन रूमी सहित 11 सदस्य शामिल हैं. सपा का प्रतिनिधि मंडल में जिस तरह से ब्राह्मण नेताओं को जगह दी गई है और पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे हैं, उससे साफ है कि सपा ब्राह्मण कार्ड खेलने की तैयारी में है.
समाजवादी पार्टी ने अपने अन्य ब्राह्मण नेताओं को भी निर्देश दिया है कि सूबे में जहां पर भी ब्राह्मणों के उत्पीड़न की घटना हो रही है, उसकी तत्काल जानकारी प्रदेश कार्यालय को दें ताकि संबंधित क्षेत्र में एक प्रतिनिधिमंडल भेज कर पूरे मामले की जांच कराई जा सके. इसके अलावा पिछले कुछ दिनों में जिन-जिन स्थानों पर ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ जो भी मामले हुए हैं, उन सभी के आकंड़े मांगे गए हैं. सपा इन आंकड़ों को विधानसभा में भी पार्टी रखकर बीजेपी को घेरने की रणनीति बना रही है.
कांग्रेस ने भी चला ब्राह्मण कार्ड
कांग्रेस ने भी कानपुर घटना को लेकर बीजेपी पर ब्राह्मण समुदाय पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है. कांग्रेस ने ट्वीट किया कि यूपी में तानाशाही चरम पर है. कानपुर में ब्राह्मण परिवार का मंदिर तोड़ दिया गया, घर पर बुलडोजर चला दिया गया. ब्राह्मण परिवार अधिकारियों के आगे गिड़गिड़ाता रहा... एक न सुनी गई. आखिर में परेशान होकर घर की महिलाओं ने खुद को आग लगा ली... मौत हो गई. योगी के बुलडोजर ने दो जान ले ली.
कांग्रेस कानपुर की घटना के बहाने ब्राह्मण कार्ड पर खुलकर खेलने की तैयारी में है. इसीलिए प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी, क्षेत्रीय अध्यक्ष नसीमुद्दीन सिद्दीकी, अनिल यादव और नकुल दुबे पीड़ित परिवार से मिलने के लिए जा रहे थे, लेकिन रास्ते में अचगैन के पास पुलिस ने उन्हें रोक लिया है. कांग्रेस इस मुद्दे पर आक्रमक है और योगी सरकार को ब्राह्मण विरोधी कठघरे में खड़ी करने में जुट गई है.
कानपुर देहात का क्या है पूरा मामला
बता दें कि कानपुर देहात के मैथा तहसील क्षेत्र के मड़ौली पंचायत के चालहा गांव में सोमवार को ग्राम समाज की जमीन पर कृष्ण गोपाल दीक्षित के खिलाफ अवैध कब्जे की शिकायत की गई थी. इसी कब्जे को हटाने प्रशासन की टीम बुलडोजर के साथ पहुंची थी. दीक्षित और उनके परिवार का बुलडोजर दस्ते से कहासुनी हुई और फिर झोपड़े को गिरने से बचाने के लिए मां-बेटी ने खुद को उसमें बंद कर लिया.
बुलडोजर ने पहले नल और मंदिर को गिराया और फिर छप्पर गिराया. छप्पर गिरते उसमें आग लग गई. झोपड़ी में मौजूद कृष्ण गोपाल की पत्नी प्रमिला और उनकी 23 साल की बेटी नेहा की आग की चपेट में आने से जलकर मौके पर ही मौत हो गई, जबकि कृष्ण गोपाल गंभीर रूप से झुलस गए. कानपुर देहात की इस घटना ने हर किसी को झकझोर दिया है और गांव के लोग भड़क गए हैं. उच्चाधिकारियों द्वारा परिजनों को समझाने का प्रयास चल रहा है. परिजन पांच करोड़, सरकारी नौकरी व दोनो बेटों के लिए आवास की मांग पर अड़े हैं.
बीजेपी ने ब्राह्मण नेताओं को भेजा
गांव में तनाव को देखते हुए भारी पुलिस बल के साथ पीएसी भी तैनात कर दी गई है. ऐसे में राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला और पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी मौके पर पहुंचे हैं. दोनों ने दुखी परिवार को सांत्वना दी. साथ ही घटना के बारे में जानकारी लेने के साथ ही हर संभव मदद का भरोसा दिया. राज्यमंत्री ने मामले की निष्पक्ष जांच व सरकारी मदद दिलाए जाने की बात भी पीड़ित परिवार से कही है, लेकिन गांव के लोग उनकी बात मानने को तैयार नहीं है. ऐसे में विपक्ष ने सियासी रंग दे दिया है और ब्राह्मण कार्ड भी चल रही हैं.