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कानपुरः चार दिन बाद भी नहीं पहुंचा शहीद बेटे का पार्थिव शरीर, गुस्साए लोगों ने जाम किया हाइवे

जम्मू कश्मीर में हुए आतंकी हमले में कानपुर के रहने वाले सैनिक करण सिंह यादव की भी शहादत हुई है. करण सिंह का पार्थिव शरीर अभी तक घर नहीं पहुंचा है, इसको लेकर परिजन और गांव के लोग बेहद नाराज हैं. आक्रोशित ग्रामीणों ने हाइवे जाम कर कहा कि हम शहीद बेटे का अंतिम संस्कार कानपुर में ही करेंगे.

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नाराज लोगों ने लगाया जाम.
नाराज लोगों ने लगाया जाम.

जम्मू कश्मीर में शहीद हुए कानपुर के शहीद सैनिक करण सिंह पार्थिव शरीर घर न पहुंचने की वजह से परिजनों में आक्रोश है. परिजनों ने इसको लेकर नेशनल हाइवे पर जाम लगा दिया. गांव के लोगों व परिजनों का कहना है कि चार दिन बाद भी शहीद का पार्थिव शरीर नहीं आया है.

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बता दें कि जम्मू कश्मीर में चार दिन पहले आतंकी हमले में शहीद हुए कानपुर के सैनिक करण सिंह यादव के परिजन प्रशासन से नाराज हो गए हैं. उनका कहना है कि चार दिन बाद भी शहीद बेटे का पार्थिव शरीर घर नहीं लाया गया है.

शनिवार को सेना के लोग शहीद की पत्नी और उनके बच्चों को अपने साथ लेकर जम्मू कश्मीर के राजौरी ले गए थे. इधर शहीद सैनिक के पिता और परिजनों के साथ-साथ सैकड़ों की संख्या में गांव वाले पार्थिव शरीर का इंतजार कर रहे हैं. उनका कहना है कि सेना पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार वहीं करना चाहती है, ये हमें स्वीकार नहीं है.

गांव वालों ने हाइवे जाम कर कहा- कानपुर में ही करेंगे अंतिम संस्कार

ग्रामीणों ने कहा कि शहीद बेटा हमारे गांव का हीरो था. हम उसको गांव में देखना चाहते हैं. हम अंतिम संस्कार कानपुर में ही करेंगे. गंगा किनारे पूरे सम्मान से संस्कार करके अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त करेंगे. पार्थिव शरीर नहीं आने की वजह से नाराज गांव वालों ने चौबेपुर के लिंक रोड और नेशनल हाइवे पर जाम लगा दिया. यह लोग प्रशासन से सख्त नाराज हैं.

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यहां देखें वीडियो

फरवरी में घर आने वाले थे करण सिंह

दरअसल, पुंछ हमले में कानपुर में चौबेपुर के भाऊपुर गांव के रहने वाले करण सिंह यादव ने भी शहादत दी है. वे अगस्त में घर आए थे. पिता से कहा था कि अब फरवरी में आऊंगा. मगर, उनके आने से पहले ही शहादत की खबर आ गई. शहादत की खबर आने के साथ ही करण सिंह के घर के साथ ही पूरे गांव में मातम छा गया. 

पूरे गांव के प्रिय थे शहीद करण सिंह

दिलेरी, जांबाजी और अपने स्वभाव के चलते करण सिंह गांव के लोगों के प्रिय थे. जब भी छुट्टी पर आते तो गांव वालों से प्यार से बातें करते. करण की दो बेटियां हैं. परिवार में माता-पिता एक भाई और दो बहनें हैं.

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