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हत्या से लेकर मारपीट के चल चुके हैं केस... जानें कैसे संतोष भदौरिया बना करौली बाबा

Kanpur Karauli Baba News: करौली बाबा संतोष सिंह भदौरिया पर एक भक्त ने पिटवाने का आरोप लगाया है. इसका एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें बाबा और भक्त के बीच बहस हो रही है. मामला तूल पकड़ा तो करौली बाबा की क्राइम कुंडली भी सामने आ गई. करौली बाबा पर कई केस दर्ज हुए थे.

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करौली बाबा संतोष सिंह भदौरिया
करौली बाबा संतोष सिंह भदौरिया

बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री के बाद करौली धाम के बाबा संतोष चर्चा में हैं. उन पर एक भक्त ने पिटवाने का आरोप लगाया है. इसका एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें बाबा और भक्त के बीच बहस हो रही है. इसके बाद भक्त के साथ बाउंसर धक्कामुक्की करते नजर आ रहे हैं. इस मामले में पुलिस आज करौली बाबा संतोष सिंह भदौरिया से पूछताछ करेगी.  

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भक्त डॉक्टर सिद्धार्थ चौधरी के साथ मारपीट वाले स्थान की बिधनू पुलिस टीम मुआयना करेगी. करौली शंकर बाबा के आश्रम में बाबा संतोष सिंह भदौरिया से पूछताछ होगी. कानपुर के डीसीपी साउथ का कहना है कि फिलहाल सिद्धार्थ चौधरी केस की पड़ताल पर पूरा ध्यान है. मामला तूल पकड़ा तो करौली बाबा की क्राइम कुंडली भी सामने आ गई.

आपराधिक इतिहास की लंबी फेहरिस्त

करौली बाबा संतोष सिंह भदौरिया पर कई आपराधिक आरोप लग चुके हैं. करौली बाबा के खिलाफ 1992-95 के बीच हत्या समेत कई आपराधिक मामले दर्ज हुए थे. 14 अगस्त 1994 को तत्कालीन जिलाधिकारी दिनेश सिंह के आदेश पर संतोष भदौरिया पर रासुका की कार्रवाई की गई. जिसका नंबर 14/जे/ए एनएसए 1994 है.

संतोष ने एनएसए हटाने के लिए गृह सचिव को चिट्ठी भेजी थी. चिट्ठी में संतोष ने बताया था कि वह 1989 से किसान यूनियन में कार्यकर्ता हैं. इस बीच पुलिस से बचने के लिए वह किसान नेता बन गया और जमीनों पर अवैध कब्जा करना शुरू करने के आरोप लगे. उस पर एक चर्च की जमीन पर अवैध कब्जा करने का भी आरोप लगा था.

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1992 में फजलगंज में हुई हत्या में आया था नाम 

1992 में फजलगंज थाना क्षेत्र में शास्त्रीनगर निवासी अयोध्या प्रसाद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. राज कुमार ने मामले में संतोष भदौरिया व अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी. इसी दौरान उनका नाम सामने आया था. मामले में पुलिस ने उसे जेल भेज दिया. संतोष भदौरिया 27 मार्च 1993 को जमानत पर रिहा हुआ था.

वहीं 7 अगस्त 1994 को तत्कालीन कोतवाली प्रभारी वेद पाल सिंह ने संतोष भदौरिया व उसके साथियों के खिलाफ गाली-गलौज, मारपीट, आपराधिक धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इसके बाद 12 अगस्त 1994 को महाराजपुर थाने में तैनात तत्कालीन आरक्षक सत्य नारायण व संतोष कुमार सिंह ने चकेरी थाने में मारपीट, सरकारी कार्य में बाधा डालने सहित अन्य धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करायी. इसके अलावा उनके खिलाफ वर्ष 1995 में बर्रा में भी प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

सरकारी दस्तावेजों में हेराफेरी करके खोला आश्रम?

इसके बाद करौली बाबा संतोष सिंह भदौरिया पर आरोप लगा कि बिधनू में भूदान पट्टा के सरकारी दस्तावेजों में हेरफेरी करके आश्रम खोल लिया. आश्रम खोलने के बाद मंत्र से बीमारी या किसी भी तरह के समस्या के समाधान का वीडियो यूट्यूब पर अपलोड करने लगे. करौली बाबा नाम के उनके यूट्यूब चैनल के 93 हजार सब्सक्राइबर हैं.

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कैसे किसान नेता से बाबा बने संतोष भदौरिया?

संतोष सिंह भदौरिया मूल रूप से उन्नाव के बारह सगवर के रहने वाले हैं. उनकी किस्मत उस वक्त बदली जब भारतीय किसान यूनियन के महेंद्र सिंह टिकैत ने संतोष सिंह भदौरिया को कानपुर के सरसोल क्षेत्र की पूरी बागडोर सौंप दी थी. एक मामले में जेल जाने के बाद संतोष सिंह भदौरिया एकदम से किसानों में लोकप्रिय हो गए फिर धीरे-धीरे इनकी किस्मत बदलती चली गई.

इसके बाद संतोष सिंह भदौरिया तब मशहूर हुए जब कोयला निगम का चेयरमैन बनकर लाल बत्ती मिली. हालांकि यह रुतबा कुछ ही दिन रहा. कुछ साल बाद उन्होंने करौली आश्रम बनाया. सबसे पहले उन्होंने शनि भगवान का मंदिर बनवाया. फिर थोड़ी और जमीन खरीद करके करौली आश्रम शुरू कर दिया. इस आश्रम में उन्होंने आयुर्वेदिक हॉस्पिटल शुरू किया. 

इसके बाद उन्होंने वहां पर कामाख्या माता का मंदिर बनवाया. इसके बाद संतोष बाबा ने अपने तंत्र-मंत्र का प्रचार यू-ट्यूब के जरिए शुरू किया. देखते ही देखते करौली बाबा खूब फेमस हो गए. करौली बाबा बनने के बाद धन की वर्षा शुरू हो गई.  इसके बाद संतोष बाबा ने तीन साल में करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया. उनका आश्रम 14 एकड़ में फैला हुआ है.

आश्रम में प्रतिदिन 3 से 4 हजार लोग पहुंचते हैं. यहां आने वाले भक्तों को सबसे पहले 100 रुपये की रसीद कटानी पड़ती है. उसके बाद करीब 5000 रुपये से ज्यादा का खर्च आता है. इस आश्रम में हर समय हवन होता रहता है. हवन करने का मंत्र करौली बाबा यानी संतोष बाबा खुद देते हैं. इस हवन का खर्चा 50000 से लेकर 100000 तक हो जाता है. अगर कुछ खास करना चाहे तो खर्चे की कोई सीमा नहीं है. 

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आश्रम में पूजा सामग्री की दुकानें भी हैं. हवन करने का सामान भी आपको आश्रम से ही लेना पड़ेगा. बागेश्वर धाम की तरह यहां भी लोग अपनी मनोकामना की अर्जी लगाते हैं, फर्क सिर्फ इतना है कि बागेश्वर धाम में अर्जी लगाने का कोई पैसा नहीं पड़ता है, लेकिन यहां 100 रुपये की रसीद कटती है.

 

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