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कानपुर में कालिंदी एक्सप्रेस ट्रेन को डिरेल करने की साजिश के खुलासे में जांच एजेंसियां जुटी हुई हैं. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, एजेंसियों ने अब तक 219 सीसीटीवी कैमरों से फुटेज जुटाए हैं, 100 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की है, साथ ही 12 लोगों को हिरासत में भी लिया है. फिलहाल, कई संदिग्धों से पूछताछ जारी है.
इस बीच कानपुर पुलिस ने तीन गैस सिलेंडर एजेंसियों से भी पूछताछ की है. क्योंकि, ट्रेन को डिरेल करने के लिए एलपीजी सिलेंडर का ही इस्तेमाल किया गया था. ऐसे में हो सकता है कि सिलेंडर एजेंसियों से पूछताछ में अहम इनपुट मिल जाए.
पुलिस और जांच एजेंसियों मौके से बरामद सिलेंडर पर लिखे सीरियल नंबर से यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर ये सिलेंडर कहां से डिलीवर हुआ था. सूत्रों के अनुसार, पुलिस को इन एजेंसियों से सिलेंडर खरीदने वालों का नाम और पता मिल गया है. जल्द ही उनसे पूछताछ शुरू की जाएगी.
वहीं, खबर है कि जिस वक्त जांच एजेंसी अपने डॉग स्क्वॉड के साथ सर्च ऑपरेशन चला रही थी, उनका खोजी कुत्ता घटनास्थल के पास झाड़ियों में घुस गया. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि ट्रेन को डिरेल करने वाले ने इन्हीं झाड़ियों में छिपकर साजिश को अंजाम दिया होगा.
गौरतलब है कि यूपी पुलिस के साथ-साथ LIU, NIA, IB और ATS कानपुर में डेरा डाले हुए हैं. एनआईए को भी केस का अपडेट दिया गया है. मामले में यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि हमारे वरिष्ठ अधिकारियों ने मौके का मुआयना किया है. हम इसे गंभीरता से देख रहे हैं. जिस तरह के तथ्य प्रकाश में आएंगे, हम अवगत कराएंगे. हम सभी पहलुओं को देखेंगे. जांच-पड़ताल जारी है.
बता दें कि रविवार की देर रात को कालिंदी एक्सप्रेस ट्रेन सिलेंडर से टकरा गई थी. गनीमत रही की किसी तरह का कोई हादसा नहीं हुआ. ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन रोकी थी. पुलिस के मुताबिक, इस पूरे मामले की जांच हुई तो पता चला कि कुछ अज्ञात लोगों ने एक्सप्रेस ट्रेन को गैस सिलिंडर और बारूद से उड़ाने की साज़िश रची थी. यूपी की एंटी टेररिस्ट स्क्वायड ने घटनास्थल से एक गैस सिलिंडर, मिठाई के एक डिब्बे में बारूद, एक माचिस और पेट्रोल बम बरामद किया.
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर ट्रेन से टक्कर होने के बाद इस गैस सिलिंडर में ब्लास्ट होता तो कितना बड़ा हादसा हो सकता था और ये ट्रेन एक बड़ी साजिश का शिकार हो जाती. रेलवे पुलिस, ATS और इंटेलीजेंसी ब्यूरो का मानना है कि इस घटना के पीछे कोई बड़ी साजिश हो सकती है और यही कारण है कि अब सरकार ने इस मामले की जांच NIA को सौंप दी है.